श्रीकृष्ण प्रणामी स्वाध्याय पीठ और वनमाली सृजन केंद्र का हुआ संयुक्त आयोजन
▪️महामति प्राणनाथ सर्वधर्म स्वतंत्रता के नैसर्गिक अग्रदूत थे : प्रो. बलवंतराय जानी
भारतीय प्रज्ञा और चेतना के श्रेष्ठतम मनीषियों में महामति प्राणनाथ का स्थान अग्रगण्य है. प्राणनाथ जी ने बुन्देलखण्ड को केंद्र बनाकर 17 वीं शताब्दी में धार्मिक समभाव और राष्ट्र की स्वतंत्रता की अलख जगाया था. उन्होंने अपने शिष्य महाराज छत्रसाल को माध्यम बनाकर सदियों की गुलामी के विरूद्ध भारतीय स्वत्व - बोध एवं स्वराज का एक नये मंत्र को जन - जन तक पहुँचाया. आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं ऐसे में महामति प्राणनाथ का प्रतिस्मरण एक जरुरी अकादमिक एवं सामाजिक-सांस्कृतिक कर्म है.
उक्त विचार आचार्य नन्द दुलारे बाजपेयी सभागार में श्रीकृष्ण प्रणामी स्वाध्याय पीठ और वनमाली सृजन केंद्र सागर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित व्याख्यानमाला में डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रो. बलवंतराय शांतिलाल जानी ने व्यक्त किया.
महामति प्राणनाथ बुंदेलखंड के जागतिक गुरु हैं : आचार्य कृष्णमणि जी महाराज
श्री 5 नवतनपुरी धाम, जामनगर गुजरात के प्रमुख आचार्य कृष्णमणि जी महाराज ने अपने वीडियो संदेश के माध्यम से सभा का सम्बोधित करते हुए कहा कि महामति प्राणनाथ ने सभी धर्मों के बीच एक सेतु का कार्य किया. धर्मों के बीच के मतभेद और छोटे-बड़े की भावना का समाहार कर उन्हें मनुष्यता की एक सर्वमान्य अवधारणा के रूप में प्रस्तुत किया. उन्होंने बुंदेलखंड की माटी को चन्दन बना दिया. वे सच्चे अर्थों में बुंदेलखंड का जागतिक गुरु हैं.
श्रीकृष्ण प्रणामी स्वाध्याय पीठ जल्दी ही धार्मिक समरसता का केंद्र बनेगा : प्रो. नीलिमा गुप्ता
कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने अध्यक्षीय उन्बोधन में कहा कि श्री 5 नवतनपुरी धाम, जामनगर गुजरात के सहयोग से स्थापित श्रीकृष्ण प्रणामी स्वाध्याय पीठ महामति प्राणनाथ के विचारों और मूल्यों को अकादमिक स्वरूप देते हुए जल्दी ही पूरे देश और दुनिया के लिए धार्मिक समरसता का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा. महामति प्राणनाथ के विचार मानवता की जय यात्रा है.
अतिथियों का स्वागत और विषय प्रवर्तन प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा ने किया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. नौ निहाल गौतम ने किया और आभार प्रो. ब्रजेश कुमार श्रीवास्तव ने माना.
कार्यक्रम में प्रो. चंदा बैन, प्रो. जे.के. जैन, प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, डॉ. बेडरे, डॉ.पंकज तिवारी, डॉ. कालीनाथ झा, डॉ. राजेंद्र यादव, डॉ. आशुतोष, डॉ. आर.पी. सिंह, डॉ. रामहेत गौतम, डॉ. प्रीति बागडे, डॉ. संजय कुमार, डॉ. हिमांशु, डॉ. अरविंद. डॉ. अफरोज बेगम के साथ ही अनेक विभागों के शिक्षक , विद्यार्थी, शोधार्थी उपस्थित रहे.
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