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जीवन परोपकार और सेवा में काम आए तो सार्थक है वरना जीते तो सभी हैं : डॉ.सुरेश आचार्य ★ डॉ सुरेश आचार्य के 75 वे जन्म दिन पर हुआ अमृत जयंती, पुस्तक लोकार्पण एवं सम्मान समारोह

जीवन परोपकार और सेवा में काम आए तो सार्थक है वरना जीते तो सभी हैं : डॉ.सुरेश आचार्य 
★ डॉ सुरेश आचार्य के 75 वे जन्म दिन पर हुआ अमृत जयंती, पुस्तक लोकार्पण एवं सम्मान समारोह


सागर। राष्ट्रीय स्तर पर व्यंग्यकार तथा डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के विभिन्न पदों पर रहे अवकाश प्राप्त ऑफिसर सुरेश आचार्य का 75 वां जन्मदिन श्यामलम् संस्था के संयोजन में सागर नगर की समस्त साहित्यिक सांस्कृतिक सामाजिक संस्थाओं द्वारा मंगलवार को रवींद्र भवन सभागार में आयोजित अत्यधिक भव्य व गरिमामय कार्यक्रम में अमृत  महोत्सव के रूप में मनाया गया।


इस अवसर पर डॉ हरीसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ नीलिमा गुप्ता ने आचार्य जी को 75 वे जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए उनके शतायु होने की कामना की और उपस्थित जनसमूह से कहा कि हम सभी इसी तरह आचार्य जी का 100 वां जन्मदिन मनाने के लिए एकत्रित होंगे। उन्होंने आचार्य जी के दो ग्रंथों 'पोजीशन सॉलिड है' तथा 'गठरी में लागे चोर' का विमोचन करते हुए कहा कि हम जानते हैं संसार में किसी की भी पोजीशन सॉलिड नहीं है ऐसे में आचार्य जी की पुस्तक का शीर्षक पोजीशन सॉलिड है गहरा व्यंग्यार्थ रखता है। 

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को आचार्य जी के अनुभवों को सुझाव का लाभ मिलता रहा है। वह 75 वर्ष के हो गए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। भविष्य में भी उनके अनुभवों और सुझावों का स्वागत विश्वविद्यालय करता रहेगा। अभी भी वे उपन्यास लेखन में रत हैं।उनकी कर्मठता, ईमानदारी, जीवंतता प्रशंसनीय है।
कार्यक्रम के केंद्र बिंदु डॉ सुरेश आचार्य ने इस अवसर पर अपने भावपूर्ण वक्तव्य में कहा कि जीवन परोपकार और सेवा में काम आए तो सार्थक है वरना जीते तो सभी हैं। अत्याचार,अन्याय और झूठ के विरुद्ध खड़ी एक आवाज दूर-दूर तक गूंजती है।


साहित्य, संस्कृति,कला और भाषा इसी आवाज के लाउड स्पीकर हैं। मुझे अपने जीवन से संतोष है कि मुझे मित्रों, भाई बंधुओं और गुरुओं ने दक्षिणायन से खींच कर उत्तरायण में खड़ा कर दिया। सबको सादर प्रणाम करता हूं।
सागर के पूर्व सांसद दादा लक्ष्मीनारायण यादव ने आचार्य के साथ विश्वविद्यालयीन जीवन की स्मृतियां साझा करते हुए उनके साहित्यिक योगदान को सराहा और जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं।

आचार्य जी के शालेय गुरु साहित्यकार एल एन चौरसिया ने कहा कि सुरेश आचार्य का गुरु होने पर मुझे बहुत प्रसन्नता है।हर गुरु की यह इच्छा होती है कि वह अपने शिष्य से ज्ञान के क्षेत्र में पराजित हो और मैं सुरेश आचार्य से अनेक बार पराजित हुआ हूं ,यही गुरु के द्वारा शिष्य के लिए किया गया अवदान है। सुप्रसिद्ध वरिष्ठ योगाचार्य विष्णु आर्य ने आचार्य परिवार से अपने आत्मीय और गहरे रिश्तों को उल्लेखित  करते हुए अनेक संस्मरण व्यक्त किए। सरस्वती वाचनालय के सचिव वरिष्ठ गांधीवादी विचारक शुकदेव प्रसाद तिवारी ने आचार्य को एक विलक्षण प्रतिभा के धनी सहृदय व्यक्तित्व के रूप में उद्धृत करते हुए संस्था द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका साहित्य सरस्वती के प्रधान संपादक के रूप में उनके समर्पण भाव को सराहा।


डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने आचार्य जी से अपने आत्मिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि सुरेश आचार्य एक जिंदादिल इंसान और हिंदी के श्रेष्ठ श्रेयस्कर विद्वान के रूप में प्रतिष्ठित हैं।विश्वविद्यालय स्तर पर उन्होंने आचार्य वाजपेयी की गरिमामय परंपरा को समृद्ध किया। उनके व्यक्तित्व की आभा, उनकी वक्तृत्व कला अविस्मरणीय है ।ऐसे कुशल अध्यापक और समर्थ प्रशासक वर्तमान में दुर्लभ हैं ।‌ आचार्य की वक्तृत्व कला हरिशंकर परसाई और शरद जोशी की व्यंग्य परंपरा का अभिनव प्रयास है। उन्होंने अपनी आलोचनात्मक दृष्टि और रचनात्मक लेखन से हिंदी साहित्य को सतत रूप से समृद्ध ही नहीं किया वरन उस में नए आयाम भी जोड़े।

प्रारंभ में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन सरस्वती जी तथा आचार्य जी की माता - पिता के चित्र पर माल्यार्पण किया। कवि मुकेश तिवारी ने सरस्वती वंदना तथा प्रसिद्ध  बुंदेली लोक गायक शिवरतन यादव ने प्रकृति गीत का मधुर गायन किया। अतिथि स्वागत वीरेन्द्र प्रधान, पार्षद शैलेंद्र ठाकुर, कपिल बैसाखिया, हरी शुक्ला, कुंदन पाराशर व डॉ लक्ष्मी पांडेय ने किया। आचार्य के जीवन परिचय का वाचन प्रदीप पाण्डेय ने तथा श्यामलम् एवं विभिन्न संस्थाओं द्वारा आचार्य जी को प्रदत्त अभिनंदन पत्रों का वाचन क्रमशः कपिल बैसाखिया,ऋषभ समैया जलज, संतोष श्रीवास्तव विद्यार्थी, प्रभात कटारे, डॉ नलिन जैन,एम डी त्रिपाठी, डॉ एस आर श्रीवास्तव और अशोक गोपीचंद रायकवार द्वारा किया गया। पंडित श्रीराम शास्त्री एवं ऋषिकुल संस्कृत विद्यालय के विद्यार्थियों ने स्वस्तिवाचन किया।

श्यामलम् अध्यक्ष उमाकांत मिश्र ने कार्यक्रम परिचय व स्वागत उद्बोधन दिया। कार्यक्रम का व्यवस्थित और सुचारू संचालन डॉ अंजना चतुर्वेदी तिवारी और रमाकांत शास्त्री ने किया। आचार्य परिवार की ओर से डॉ लक्ष्मी पांडेय एवं आयोजकों की ओर से श्यामलम् उपाध्यक्ष सुभाष दुबे दमोह ने आभार व्यक्त किया।

कार्यक्रम में सुशील तिवारी, पूर्व विधायक सुनील जैन, संतोष सोहगौरा, इं.देवेश गर्ग,आर के तिवारी, निधि जैन, प्रकाश जैन, प्रोफेसर पुणतांबेकर, डॉ गजाधर सागर, डॉ विनोद दीक्षित, डॉ मनीष झा, संतोष श्रीवास्तव विद्यार्थी, डॉ जी एल दुबे, डॉ राजेंद्र यादव , डॉ आशुतोष मिश्र ,डॉ शशि कुमार‌ सिंह, अफराज बेगम, डॉ लोकनाथ मिश्र, सूर्यांश तिवारी,राघवेंद्र नायक, हरीसिंह ठाकुर, चंपक भाई जैन, डॉ विनोद तिवारी, डॉ अनिल जैन, निरंजना जैन,


 किरण प्रभा मिश्र,सुनीला सराफ, संध्या सर्वटे, नंदिनी चौधरी,दीपा भट्ट, ममता भूरिया,ऊषा बर्मन,अलका श्रीवास्तव, अभिलाषा, अर्चना आचार्य, डॉ कविता शुक्ला, डॉ शैलेश आचार्य, डॉ संजय आचार्य, टी आर त्रिपाठी, पी आर मलैया, एम डी त्रिपाठी,  भगवानदास रायकवार, रमेश दुबे ,आशीष ज्योतिषी, डॉ अमर जैन, जगदीश लारिया, अमित आठिया, डॉ सीताराम श्रीवास्तव भावुक, पूरन सिंह राजपूत, बिहारी सागर, डॉ अशोक कुमार तिवारी, डॉ एम के खरे, डॉ सिद्धार्थ शुक्ला, मनोज श्रीवास्तव,पैट्रिस फुस्केले, सुदेश तिवारी, राजेश श्रीवास्तव,विनोद आर्य, रिंकू सरवैया, डॉ अतुल श्रीवास्तव, रचना श्रीवास्तव, अपूर्व मिश्र, प्रियांक दीक्षित,  असरार अहमद, अबरार अहमद अबरार, संचित शुक्ला, डॉ अनिल वात्सल्य, शांतनु , शत्रुंजय आचार्य, नीलरतन पात्रो, चंद्रकुमार जैन, विश्वनाथ चौबे,कुंदन पाराशर, अखिलेश शर्मा,राजेश बोहरे,जे सी श्रीवास्तव, आचार्य परिवार के सदस्यों सहित बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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