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गुरु के सम्मान में आयोजित हुई व्यास पूजा ,संस्कारों का ज्ञान कराने

गुरु के सम्मान में आयोजित हुई व्यास पूजा ,संस्कारों का ज्ञान कराने 


सागर। पर्ल पब्लिक स्कूल में हिंदू संस्कृति और संस्कारों का ज्ञान कराने और भारतीय संस्कृति में गुरु शिष्य परंपरा को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य आज भारतीय शिक्षण मंडल सागर इकाई के द्वारा व्यास पूजा का आयोजन किया गया । 
पर्ल पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल जो कि एक अंग्रेजी माध्यम का स्कूल है उसके संचालक श्री धर्मेंद्र शर्मा जी अपने विद्यालय में पाश्चात्य संस्कृति को रोकने और हिंदू संस्कृति और संस्कारों की शिक्षा दीक्षा देने के लिए भारतीय शिक्षण मंडल के साथ एक गुरु शिष्य के बीच व्यास पूजा का आयोजन प्रातः 9:00 स्कूल परिसर में आयोजित किया । इस आयोजन में प्रमुख वक्ता के रूप में श्री सुनील देव जी, प्रांत कार्यवाहक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ महाकौशल प्रांत, मुख्य अतिथि श्री मनीष वर्मा जी, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण सागर संभाग, विशिष्ट अतिथि श्री संजय पाठक जी, सह प्रांत मंत्री भारतीय शिक्षण मंडल, श्री संतोष  सागोरा जी, कुलसचिव डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय, प्रमुख रूप से उपस्थित हुए ।

  कार्यक्रम के आरंभ में सभी अतिथियों ने सरस्वती पूजन और भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण किया जिसके साथ पर्ल पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने संगीतमय सरस्वती वंदना का गायन किया। तत्पश्चात अतिथियों का सम्मान भारतीय शिक्षण मंडल के श्री जयंत दुबे, श्री अनुराग ब्रिजपुरिया, श्री कैलाश तिवारी एवं अन्य सदस्यों और छात्र छात्राओं द्वारा गुरु शिष्य परंपरा के अनुसार किया गया।


कार्यक्रम के प्रारंभिक चरण में श्रीमती क्लिम राय जी ने भारतीय शिक्षण मंडल के गीत से कार्यक्रम का शुभारंभ किया । श्री संजय पाठक जी ने अपने वक्तव्य में गुरु और शिष्य के बीच गुरु में गुरु तत्व और शिष्य में विद्या अर्जन करने के लिए श्रद्धा भाव होने पर बल दिया तथा श्रद्धा से कैसे एक छात्र एक अच्छा शिष्य, शिक्षक और गुरु बन सकता है और देश का समाज का कैसे कल्याण कर सकता है ।  ततपश्चात श्री संतोष सागौरा जी ने विद्यार्थियों के बीच अपनी बात बड़े सरल तरीके से रखते हुए बताया कि किस तरह विद्यार्थी उच्च शिक्षा में आकर अपने जीवन को संस्कारों सुरक्षित और पोषित कर सकता है और कैसे उच्च शिक्षा में आकर उसे अपने संस्कारों की सुरक्षा करनी होती है । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री मनीष वर्मा जी  ने विद्यार्थियों को और उपस्थित शिक्षकों को चाणक्य और चंद्रगुप्त का उदाहरण देकर गुरु शिष्य परंपरा का महत्व समझाया और बताया कि चंद्रगुप्त कैसे विजय यात्रा में कवच जीत कर लाए और उसके पश्चात उन्हें चाणक्य के द्वारा उस कवच को लाने के पीछे जो भाव था उस भाव के द्वारा विद्यार्थियों में भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के बात कही।

प्रमुख वक्ता श्री सुनील देव जी ने विधार्थियों को भारतीय संस्कृति और भारतीय मनीषियों द्वारा किए गए आविष्कारों द्वारा विश्व कल्याण की भावना रखते हुए भारत की विश्व को उपलब्धियो की देन को अनेकों उदाहरणों सहित समझाया , उन्होंने बताया कि जिसे हम पाइथागोरस प्रमेय के नाम से जानते हैं वह भी कई वर्ष पूर्व हमारे भारतीय मनीषी द्वारा ही रचित की गई है। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता है कि भारत के गौरवशाली इतिहास को उसके सही स्वरूप में विद्यार्थियों तक पहुंचाने की आवश्यकता है जिससे इस देश का हर एक विद्यार्थी और नागरिक अपने आप में गर्व महसूस कर सकें और अपने देश के प्रति सम्मान एवं राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत हो सके और अपने देश के विकास को अग्रसर करते हुए अपने राष्ट्र को उन्नत राष्ट्र बनाने का लक्ष्य प्राप्त कर सकें ।

कार्यक्रम में  भारतीय शिक्षण मंडल के प्रांत सह प्रमुख पंडित श्री कैलाश तिवारी, जिला संयोजक श्री सोनिक नामदेव जी, युवा आयाम प्रमुख श्री महेंद्र सिंह, श्री अनुराग ब्रिजपुरिया , देवकी नंदन,श्री जयंत दुबे जी, श्रीमती क्लिम राय उपस्थित रही कार्यक्रम का संयोजन बीटी कॉलेज के प्राचार्य श्री राजू टंडन जी ने किया और मंच का संचालन करते हुए सभी विद्यार्थियों को भविष्य में शिक्षा का महत्व और अपने संस्कार और संस्कृति को स्वीकार करते हुए मार्गदर्शन प्रदान किया ।
अंत मे विधालय संचालक धर्मेंद्र शर्मा जी ने समस्त अतिथियो का आभार प्रकट माना।


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