84 लाख योनी भोगने के बाद यह मनुष्य देह मिली है इसे भक्ति भाव से सार्थक बनाएं- श्री श्री 1008 श्री किशोरादास जी महाराज
सागर। दीनदयाल नगर एस व्ही एन कॉलेज कथा परिसर से दोप. 3 बजे से 6 बजे तक श्री भक्त माल कथा के द्वितीय पावन दिवस पर सर्वप्रथम श्री हरिदास जी महाराज जी की पुजा अर्चना वन्दना की। भक्त माल कथा का परम पूज्यनीय स्वामी महंत श्री 1008 श्री किशोरदास जी महाराज गोरेलाल कुंज बृंदावन धाम जी ने अपने अमृत मयी वाणी से संतों की महिमा पर प्रकाष डालते हुए कहा कि जहां-जहां संत विराजमान होते हैं जहां संतों के चरण पड़ते हैं, उस शहर ग्राम गली घर में संतों के साथ-साथ मैं स्वयं विराजमान होता हूंॅं जहां संत कीर्तन करते हैं वहां मैं कीर्तन को श्रवण करने मैं स्वयं उपस्थित रहता हूॅं। संत ज्ञानेष्वर के जीवन चरित्र पर प्रकाष डालते हुए महाराज जी ने कहा कि भगवान को प्रिय है भक्ति और भक्ति संतों के रोम-रोम में व्याप्त है। तो भक्ति के प्रभाव से भगवान भक्तों के अधीन होकर भक्तों का सदा कल्याण करते हैं। सत्संग को उपटन की उपाधि देते हुए कहां कि जिस प्रकार हमारे षरीर में मैल रूपी दुषण को दूर करने के लिए उपटन का लेप करते हैं उपटन करके हम निखर जाया करते हैं उसी प्रकार मनुष्य के जीव से काम, क्रोध, मद, लोभ इत्यादि दूषण सत्संग रूपी उपटन से नष्ट हो जाया करते हैं। और हमारे जीवन को अहंकार अभिमान दूर होगा तो हमें भक्ति स्वतः ही प्राप्त हो जाएगी। संतों के प्रति हमारी निष्टा होगी तो परमात्मा हमारे पास स्वयं आ जाएगें। ठाकुर जी को प्रसन्न करना चाहते हो तो गौ सेवा, संता सेवा करिये इसी से जीव का कल्याण है। क्योंकि संत और सदाचारी, सर्वहित कारी कहा गया है। संत के हृदय में सात्विक चिन्तन रहने के कारण उनके हृदय में परमात्मा का वास रहता है। संत चलते फिरते तीर्थ है। रामचरित मानष में गोस्वामी जी ने संकेत किया है संत मिलन राम सुख जगमाही इसलिए संत संग दुलर्भ और अमोख है। संत सदैव धर्मनीति में आस्था वान और पर दुख से उनका हृदय द्रवित होने लगता है। हमने धन का सुख सम्पत्ति का संग्रह तो कर लिया पर ये साथ नहीं जायेगा माटी का खिलौना माटी में मिल जायेगा।
ठाकुर जी हमारे हृदय में अनन्त अनन्त भक्ति भर दें ऐसा प्रयास होना चाहिए। बिना भक्त माल भक्ति बहुत दूर है जब तक हम भगवान का भगवत का आश्रय नहीं लेंगें तब तक ठाकुर जी से हम दूर हैं। नगर विधायक शैलेन्द्र जैन ने स्वामी श्री किषोरदास जी महाराज का शाल श्रीफल पुष्प माला से स्वागत कर आषीर्वाद लिया।
कथा की आरति पं. अषोक तिवारी, डॉ. अजय तिवारी, केषव महाराज, भगवतशरण महाराज, अजय दुबे, प्रमोद उपाध्याय, गीतेष अग्रवाल, अनुराग प्यासी, अनिल दुबे, अमित मिश्रा, प्रभात मिश्रा, भरत नेमा, अंकित पाण्डेय, डॉ. विनोद तिवारी, षिवषंकर मिश्रा,ने की। कथा में उपस्थित विपिन बिहारी, जयनारायण तिवारी बण्डा, नेवी जैन, डॉ. लक्ष्मी ठाकुर, श्रीमति श्रीदेवी तिवारी, जगदीष मिश्रा, ष्याम नेमा डॉ. रामकुमार खम्परिया, चतुर्भुज पाण्डेय, राजा रिछारिया, मनीष ठाकुर, प्रषांत उपाध्याय, अकुंर नायक, बालमुकुन्द शास्त्री, कुंजबिहारी, प्रमोद शास्त्री, संतोष दुबे, राजु पालिवाल, निषांत दुबे, सुरेन्द्र तिवारी, बाटु दुबे, रामगोविन्द शास्त्री, प्रषांत उपाध्याय, कुलदीप दुबे, अभिषेक समेले, गिरीषकान्त तिवारी, मुकुष नायक, सुषील शास्त्री, रामकृष्ण गर्ग रहे।
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