मैं ठाकुर जी से प्रार्थना करता हूॅं मुझे दर्शन हो न हो पर इन सभी भक्तजनों को दर्शन देना : स्वामी महंत श्री 1008 श्री किशोरदास जी महाराज

मैं ठाकुर जी से प्रार्थना करता हूॅं मुझे दर्शन हो न हो पर इन सभी भक्तजनों को दर्शन देना : स्वामी महंत श्री 1008 श्री किशोरदास जी महाराज 

सागर।  दीनदयाल नगर एस व्ही एन कॉलेज कथा परिसर से दोप. 3 बजे से 6 बजे तक संगीतमय श्री भक्त माल कथा के चतुर्थ पावन दिवस की मंगलमय बेला में श्री हरिदास जी महाराज जी की पुजा अर्चना वन्दना की। तत्पष्चात् भक्त माल कथा का परम पूज्यनीय स्वामी महंत श्री 1008 श्री किशोरदास जी महाराज गोरेलाल कुंज बृंदावन धाम जी ने अपने अमृत मयी वाणी से कहा- मेरे ठाकुर जी युगल सरकार क्रोधी का क्रोध चला जाए, लोभी का लोभ चला जाए जो हमारे भक्ति में अवरोध कर रहे उपासना क्या है, उपासना जीवन में होना चाहिए जो उपासक उपासना करने वाला निकटतम हो जो भी हमारे सद् गुरू भगवान हैं हमें संबन्ध दिया है वह हमारे अंदर होना चाहिए जो हमारे सगे संबंधी लगते हैं हम चार जनों में कहते है कि ये हमारे ये लगते हैं और ये अरे भाई कैसे हुआ और ये जगत संसार न हमारा था न हमारा है नहीं तो साथ छोड़कर नहीं जाता जब जीव छोड़कर चला जाता है तो कोई कुछ नहीं करता है। हमारे तो युगल सरकार ठाकुर जी हैं जो न कभी साथ छोड़े थे न कभी छोड़ेगें। भगवान हमारे थे हमारे रहेगें। हमारे अनादी से अनादी तक रहेगें ऐसा मानकर उपासना करते हैं हमारी रसिक उपासना में ठाकुर जी हमारे सहचरी के बिना नहीं रह सकते सहचरि ठाकुर जी के बिना नहीं रह सकते ये आदान-प्रदान है जितने रिष्ते-नाते है बदल जाएगे पर मेरे ठाकुर को अपना आराध्य बनाकर जहां बैठाओगे वहीं बैठ जाएगें जो बिहारी से संबंध बनाओगे वहीं बन जाएगें।
 पूज्य महाराज जी ने कथा सुनाते हुए कहां कि हम कथा में कितने भी बैठ जाए कितनी भी कथा श्रवण कर लें जब तक हम कथा को अपने अन्तरमन में न बैठा लेवें तब कि हमारे चित्त का मार्जन नहीं हो पाएगा। उदाहरण से देखे औषधि पान करने से हमारा रोग ठीक हो जाता है क्योंकि औषधि में रोग ठीक करने का तत्व होता है उसी प्रकार जीव के जीवन में आध्यात्मिक शत्रु काम, क्रोध, मद, लोभ हैं तो यदि कथा सत-संग रूपी औषधि को अपने मन में बैठा लेवें तो हमारे जीवन के सारे दुषण छण भर में नष्ट होकर के भगवान की सामिप्यता प्राप्त होना शुरू हो जावेगीं।
श्री नवलेष जी महाराज भागवत रत्न चित्रकूट धाम रामभद्र कृपाचार्य के षिष्य ने कहा- भगवान की कथा सुनाने वाले तीन प्रकार के होते हैं एक महान कथा वाचक, महत्तम कथा वाचक, महान्तम कथा वाचक। महाराज जी विष्लेषण करते हुए कहा वक्ता वह है सुना और सुना दिया, कथा को श्रवणकर किया और अपने विचारों की छनी में छानकर प्रसारित कर दिया। तो यह तो हो गये कथा वाचक लेकिन कथा से ज्यादा कथा के महत्म का महत्व होता है उसी प्रकार कथा के महत्म के समान आप के द्वारा संत वाणी में अमृतमयी कथा सुनकर हम ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे साक्षात् भगवान आपकी जीहवा पर बैठकर कथा का रसास्वादन करा रहे हांे।
वृंदावन से पधारे बाबा श्री चित्र-विचित्रदास जी महाराज के द्वारा रात्रि 08ः30 बजे से भजन संध्या का आयोजन हुआ जिसमें हजारों श्रद्धालु भाव विभोर होकर राधे नाम डुबकर भजन का आनन्द लिया।

कथा की आरति देवाचार्य स्वामी डॉ. राजेन्द्रदास जी के पिता रामअवतार पाण्डे, मैहर धाम शारदापीठ चरण सेवक पं. श्री देवीप्रसाद दुबे(बमबम महाराज) महंत रामआश्रयदास जी केरवना, राधारमणदास महाराज राजघाट, महंत नरहरिदास, डॉ. अजय तिवारी, डॉ. अनिल तिवारी, डॉ. सुषील तिवारी, अनुराग प्यासी, प्रभात सिंह बामोरा, रविभूषण पाठक, विनय मिश्रा, भरत नेमा, जाहर सिंह, प्रमोद उपाध्याय, गीतेष अग्रवाल, प्रखर तिवारी, उत्तम सिंह, भरत तिवारी, पप्पु तिवारी, राजा रिछारिया, गिरीषकान्त तिवारी, कुलदीप सोनी, सुनील मिश्रा ने की। कथा में श्रद्धालुजन उपस्थित रहे जिन्में अंकुर नायक, अनिल दुबे, डॉ. आदित्य दुबे एम.डी. त्रिपाठी, एड. रविन्द्र अवस्थी, डॉ. राजेन्द्र यादव, मुकेष नायक, अभिषेक गौर, रामपाल सिंह राजपुत, भानसिंह परिहार, अंकित पाण्डे, अमित मिश्रा, प्रभात मिश्रा, मनीष दुबे, राहुल समेले, अंकित दीक्षित, सोमु दुबे, समर्थ दीक्षित, आदित्य पाण्डे, अमित सोनी, विषाल मिश्रा, मृदुल पन्या, राघवेन्द्र सिंह अटारी, शरद जैन।
प्रतिदिन गुरू दीक्षा एवं स्वामी जी के दर्षन सुबह 10 से 12 बजे तक होगें। आप सभी सादर आमत्रिंत हैं। बृजवासी ब्रॉडकास्ट चैनल द्वारा सीधा प्रसारण आप यूट्यूब के माध्यम से भी देख सकते हैं।

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