भगवान शंकर बिना भेद करें कल्याण करते हैं: पंडित प्रदीप मिश्रा
★ भगवान गणेश, रिद्धि- सिद्धि की आरती हुई
सागर । भगवान भोलेनाथ को पता था कि समुद्र मंथन से अमृत निकलेगा लेकिन उन्होंने विष को ग्रहण करना उचित समझा। देवताओं ने अमृत तो खुद ग्रहण कर लिया लेकिन विष भोलेनाथ को भेज दिया,क्योंकि उन्हें पता था कि अगर इस दुनिया में विष को कोई पीने वाला है, संसार के कष्टों का निवारण करने वाला है तो वह मात्र शिव है।भगवान शिव शंकर को यदि भेजोगे, उनका नित्य स्मरण करोगे ,तो वह भी कष्टों का हरण करने में संकोच नहीं करेंगे । तुम्हारे लिए उत्पन्न होने वाला विष वह पीकर तुम्हे अमृत पान करा देंगे। ऐसे भोले हैं कि पाप करने वाले भी यदि शरण में पहुंच जाए तो उसका भी कल्याण कर देते हैं। उक्त सारमयी वचन पंडित प्रदीप मिश्रा (सीहोर वालों) ने पटकुई बरारू स्थित वृंदावन धाम परिसर में ओम श्री शिव महापुराण कथा का श्रवण कराते हुए व्यक्त किए।
वृंदावन धाम परिसर में मुख्य यजमान श्रीमती राम श्री श्याम बाबू केशरवानी एवं उनके परिवार द्वारा आयोजित ओम श्री शिव महापुराण कथा के छठवें दिवस पंडित प्रदीप मिश्रा (सीहोर वालों) ने कहा कि अमृत कोई भी पी सकता है। अमृत पीना सरल है ।परंतु विष धारण करना बहुत कठिन कार्य है।समुद्र मंथन के दौरान देवता और असुरों के बीच जो खींचतान और एक दूसरे से पहले अमृत पाने को बुद्धि का चिंतन,मन का मंथन हो रहा था, उसी का परिणाम था कि विष निकला। इस दुनिया में जो भी विष रूपी कष्ट ,दुख ,क्लेश,हो तो उसका निवारण मात्र शिव के पास है। जब तुम भटक जाओ, कष्टों का पहाड़ टूट पड़े और मन में तमाम प्रकार के मंथन हो रहे हो तो अपने मन को शिव के द्वार पर ले जाना। वह तुम्हारे कष्ट हर लेगा और तुम्हारा कल्याण करेगा।
काम और दर्शन यह दृष्टि पर निर्भर=
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जब आप शिवालय में जाते हैं और भगवान शिव को जल, बेलपत्र अर्पित करते हैं ,तो आपकी दृष्टि प्रभु भोलेनाथ पर होती है ।और उसके बाद जब आप नंदी के पास जाकर खड़े हो जाते हैं तो फिर भगवान की आप पर दृष्टि होती है ।दृष्टि आपकी जैसी होगी वैसा ही आपको दिखेगा। उन्होंने कहा कि जब वृंदावन धाम जाते हैं तो कहते हैं कि बांके बिहारी के दर्शन करने जा रहे हैं और जब हम आगरा जाते हैं तो कहते हैं कि ताजमहल देखने जा रहे हैं ।यह दृष्टि का अंतर है। जब देखते हैं तो काम जागता है और जैसे ही दर्शन करते हैं तो काम समाप्त हो जाता है। इसलिए हमेशा दृष्टिकोण अच्छा रखें।
गृहस्थ जीवन में जप तप करना कठिन =
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कथा श्रवण कराते हुए कहा कि मनुष्य जीवन में सन्यासी, संत बनना जप, तप करना सरल है, लेकिन ग्रहस्थ जीवन में जीते हुए जप तप ,पूजा पाठ करना कठिन है । कुटुंब के साथ,परिवार के साथ रहते जप, तप से हम इसीलिए विमुख हो जाते हैं क्योंकि हम सिर्फ परिवार की प्रतिपूर्ति में ही लगे रहते हैं ।शुकदेव ने राजा जनक को जब गुरु बनाना चाहा तो उन्होंने उसके एवज मे गुरु दक्षिणा में मांगा कि तुम गृहस्थ जीवन जियोगे सन्यासी नहीं बनोगे। शुकदेव ने कहा कि गुरुदेव यह क्या मांग लिया। मुझे तो तीर्थ करना थे।मुझे गृहस्थ दायित्वो से न बांधे ।तब राजा जनक ने शुकदेव से कहा कि जहां भजन कीर्तन हो रहा है ,सत्संग चल रहा है , साधुओं का सानिध्य मिले, भगवान शिव की कथा मिले वहां बैठ जाना ।फिर तुम्हें किसी तीर्थ पर जाने की जरूरत नहीं है ।सारे तीर्थ तुम्हें शिव के दरबार में मिल जाएंगे। जहां कथा होती है उस स्थान पर सारे तीर्थ, नदियां, कुंड, इकट्ठे हो जाते हैं।
मन भगवान में लगाओगे तो मैल नहीं रहेगा=
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि मन को हमेशा स्वच्छ , साफ रखें। मन में मैल रहेगा तो फिर यह तन किसी काम का नहीं है । उन्होंने कहा कि जिस तरह हम घर की चीजें फ्रिज में रखते हैं ,तो चीजें खराब नहीं होती। उसी तरह तुम कथा में बैठे हो तो तुम्हारा मन खराब नहीं हो सकता।हमें अपने मन को फ्रिज बनाना होगा, जिससे हमारे अंदर क्रोध, लोभ रूपी सड़न पैदा ना हो। जिसने मनुष्य की देह पाकर भगवान का ध्यान नहीं किया तो मनुष्य का जन्म बेकार है ।84 लाख योनि के बाद जब तुम्हें मनुष्य तन मिला है, परिवार का भरण पोषण करने के साथ, तुम जो जिम्मेदारी निभा रहे हो उसे पूर्व जन्मों का कर्ज समझना। मृत्युलोक में आए हो तो सब कुछ करना ,लेकिन प्रभु भोलेनाथ का भजन मत भूलना।
हमेशा भगवान से ही आस लगाए =
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा हम हमेशा दूसरों से आस लगा लेते हैं और वह टूट जाती है इसलिए भगवान से आस लगाए। उन्होंने कहा कि आप पानी का मटका लाते हैं इस उद्देश्य से कि उसमें हम ठंडा पानी पी लेंगे, लेकिन अचानक वह टूट जाए तो आस टूट जाती है ।यदि गुलदस्ता लाते हैं तो हमें पता होता है कि उसके फूल मुरझाना ही है इसीलिए हमेशा ध्यान रखो कि भगवान से आशा रखो ,आशा एक राम जी से, दूजी आशा छोड़ दो। सिर्फ तुम परिवार से से आशा करते हो, रिश्तेदारों से आशा करते हो और जब पूरी नहीं होती तो अपको बहुत बुरा लगता है,आपका दिल टूट जाता है। लेकिन शिव इतना भोला है कि तुम्हारा दिल कभी नहीं तोड़ेगा।
अब समय दान की जरूरत=
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि काम ,वैभव ,ऐश्वर्य अब इतना हो गया है कि लोग भगवान के साथ परिवार को भी भूलने लगे हैं।रक्त दान, अन्न दान,कन्यादान का जीवन में बहुत ही महत्व है ।लेकिन इस आधुनिक युग में अब समय दान की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। लोग सब कुछ पाने के चक्कर में, परिवार और भगवान को भूल गए हैं। मोबाइल ने सोने पर सुहागा का काम कर दिया है। आजकल समय बहुत जरूरी हो गया है। उन्होंने आह्वान किया कि रिश्तेदारों को समय दो ,पुत्र ,पुत्रियों, पत्नी को समय दो। परिवार के साथ बैठकर उनके दिल की,मन की बात सुनो। उनके मन की बात निकालने का प्रयास करो ।यदि तुम परिवार को समय नहीं दोगे तो बुढ़ापे में फिर तुम अकेले रह जाओगे। फिर तुम पुत्र, पुत्रियों को दोष मत देना। घर परिवार में उठोगे बैठोगे तो समस्या का हल घर में ही हो जाएगा। भगवान और परिवार को समय दोगे तो जीवन में सुख, समृद्धि ,शांति रहेगी।
पिता की कीमती दौलत होती है बेटी=
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि परिवार में बेटी होना सौभाग्य की बात है।बेटा यदि मां की अमानत होता है, तो बेटियां पिता की सबसे कीमती दौलत होती हैं। बेटी की कोई भी इच्छा हो पिता उसे हर संभव पूरा करने का प्रयास करता है। बेटी जब विदा होती है तो पिता कभी उसके सामने नहीं होता, क्योंकि कोई भी अपनी दौलत को खोना नहीं चाहता ।उन्होंने बेटियों से आह्वान किया कि जिस तरह तुम पर पिता ने सब कुछ समर्पित किया है, उसी तरह तुम भी पिता के मान और सम्मान का ध्यान रखना और पिता को अपना कन्यादान करने का मौका अवश्य देना। कभी भी पिता की शान और मान को कम मत होने देना।
अभियुक्त, असाधारण नगरी है काशी=
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा बनारस जिसे हम काशी भी कहते हैं एक परमधाम है। और यहां मृत्यु को प्राप्त होने वाले सीधे मोक्ष धाम में जाते ।काशी वासियों के लिए भगवान शिव से माता पार्वती ने दो वरदान मांगे थे।पहला कि पति-पत्नी में विवाद हो तो उनमें प्रेम भी बड़े और दूसरा जो काशी में मरे उसके कान में भगवान शंकर मंत्र फुके ।भगवान के वरदान अब भी लागू है। पांच
कोस की काशी में जब कोई मरता है तो उसका कान टेढ़ा हो जाता है। इसका मतलब है कि भगवान शिव ने उसके कान में मंत्र फूंका है। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति तीर्थ के क्षेत्र में या मंदिर प्रांगण में मरता है तो समझो वह मोक्ष को पा गया है। भगवान ने उसे स्वीकार कर लिया है। फिर कभी वह लौटकर नहीं आएगा ।उस व्यक्ति के मृत होने पर रोना नहीं चाहिए।
प्रदीप मिश्रा ने माता पार्वती एवं शंकर द्वारा चौसर खेलने, शंकर जी के नीलकंठ पर्वत पर जाने, भगवान गणेश एवं छोटी पुत्री अशोक सुंदरी के जन्म की कथा का विस्तार से श्रद्धालुओं को श्रवण कराया। उन्होंने कहा कि कलयुग है तो सच झूठ चलता रहता है, लेकिन झूठ बोलने पर भी प्रभु के चरणों में जाकर अपनी बात रख दो। भोलेनाथ तुम्हारे उस पाप को वही नष्ट कर देंगे। उन्होंने कहा भोलेनाथ का जप तप ही तारने वाला है।
कल कथा 11:00 बजे से=
पटकुई बरारू स्थित वृंदावन धाम परिसर में आयोजित ओम श्री महा शिव पुराण कथा अंतिम दिवस 9 जून गुरुवार को सुबह 11:00 से 2:00 तक आयोजित की जाएगी । कथा समापन पश्चात यजमान परिवार के सदस्य श्रीमती राम श्री श्याम बाबू केशरवानी,राजेश केशरवानी ,सोहन केशरवानी ,मोहन केशरवानी एवं उनके परिजनों ने भगवान गणेश रिद्धि सिद्धि की आरती की। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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