अनुशासन मानवीय उत्कर्ष को सुनिष्चित करने की भारतीय संस्कृति परंपरा- प्रो. चन्दा बेन★ योग निद्रा को तनाव जनित रोंगों में उपयोगी-योगाचार्य विष्णु आर्य

अनुशासन मानवीय उत्कर्ष को सुनिष्चित  करने की भारतीय संस्कृति परंपरा- प्रो. चन्दा बेन
★ योग निद्रा को तनाव जनित रोंगों में उपयोगी-योगाचार्य विष्णु आर्य


सागर। अनुषासन नियम बद्धता में पराधीनता नही है, हमारी संस्कृति और परंपरा का आधार आत्मानुषासन है। अनुषासन व्यक्तित्व विकास की नींव और आधार है। इसी परंपरा का अनुसरण करते हुए महर्षि पतंजलि योग का प्रथम सूत्र अथ योगानुषासनम् के रूप मंे व्यक्त करते हैं। वैदिक परंपरा से लेकर महाभारत काल जिसमें तेरहवाँ पर्व अनुषासन पर्व बताया गया है, बुद्ध का विनय पिटक अनुषासन आधारित है तो जैन दर्षन पूर्ण रूप से अनुषासन का पाठ सिखाता है, इस तरह दर्षन काल, भक्ति काल जिसमें कबीर दास एक निर्गुण अनुषासन साधना की व्याख्या करते है, अनुषासन भारतवर्ष की संस्कृति परंपरा का परिचयात्मक शब्द है जो मानवीय उत्कर्ष को सुनिष्चित करता है। उक्त विचार विष्वविद्यालय की प्राक्टर प्रो. चन्दा बेन ने योग विभाग की कार्यषाला में व्यक्त किए।

अनुषासन शब्द की महिमा को यत् पिण्डे तत् ब्रह्माण्डे सूत्र की व्याख्या से स्पष्ट करते हुए प्रो. चन्दा बेन ने कहा कि प्रकृति में समस्त घटनाचक्र अनुषासित रूप से चल रहा है, दिन के बाद रात, रात के बाद पुनः सबेरा, पृथ्वी आदि ग्रह उपग्रह अपनी धुरी पर सूर्य की परिक्रमा यथा समयानुसार कर रहे हैं, प्रकाष और ऊर्जा की सभी प्राणियों पर बिना भेदभाव एक सी वर्षा हो रही है, यह सब एक नियमित, नियम बद्ध, निष्काम भाव से चल रहा है यह सब योग का प्रभाव है। योग का दूसरा नाम अनुषासन ही है। 
कार्यषाला में योगाचार्य श्री विष्णु आर्य ने परमहंस स्वामी सत्यानंद द्वारा उद्घाटित योग निद्रा की सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक प्रविधियों से प्रतिभागीयों को अनुभव कराया। श्री आर्य ने योग निद्रा में धारण किए गये संकल्प के फलित होने के उदाहरण भी प्रस्तुत किए। उन्होंने योग निद्रा को तनाव जनित रोंगों में उपयोगी बताया। 
स्वागत भाषण देते हुए ष्योगविभागाध्यक्ष प्रो. गणेष शंकर गिरी ने कहा कि जीवन में अनुषासन प्राणीमात्र की सफलता की अहम कुँजी है। प्रातः 5.30 बजे से योगाभ्यास का सत्र का संचालन किया गया। छात्रा पूजा जैन ने स्वरचित योग कविता एवं अनन्या साहू ने ओडिसी नृत्य की प्रस्तुति दी। वसंचालन सुश्री प्रज्ञा साव ने तथा आभार ज्ञापन कोमल सैनी ने किया।  

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