दान, समर्पण के साथ मुक्ति में भक्ति का समावेश जरूरी: पंडित प्रदीप मिश्रा
★ ओम श्री महा शिव पुराण कथा का आयोजन
सागर। जब तक शिव कथा ना हो तब तक भगवान की अविरल भक्ति पाने का मौका नहीं मिल सकता। मानव देह पाना बहुत मुश्किल है, लेकिन उससे भी मुश्किल है भगवान का जप करना। यदि मानव देह मिली है और आप भगवान की भक्ति कर रहे हो तो मानना कि भगवान शिव की आप पर कृपा है और ईश्वर ने आपका हाथ पकड़ कर रखा है ।भगवान की भक्ति में डूबो तो आनंद अवश्य मिलेगा। भक्ति और मुक्ति अलग प्रसंग है। दान, त्याग सत्कर्म करोगे तो मुक्ति अवश्य मिलेगी।लेकिन इस मुक्ति में यदि भक्ति का समावेश हो जाए तो जीवन का संपूर्ण हल मिल जाता है ।उक्त हृदयस्पर्शी विचार राष्ट्रीय संत पंडित प्रदीप मिश्रा ने ओम श्री महा शिव पुराण कथा का श्रद्धालुओं को श्रवण कराते हुए कथा के प्रथम दिवस व्यक्त किए।
पटकुई बरारू स्थित वृंदावन धाम परिसर में केशरवानी परिवार द्वारा आयोजित की जा रही।ओम श्री शिव महापुराण कथा के शुभारंभ अवसर पर कलश यात्रा निकाली गई ।कलश यात्रा गाजे-बाजे के साथ कथा स्थल पहुंची जहां कथा यजमान श्रीमती राम श्री श्याम बाबू केशरवानी ,सरोज, राजेश केसरवानी एवं परिजनों ने व्यासपीठ का पूजन किया।
भगवान भूतेश्वर की नगरी में मिला सौभाग्य
पंडित प्रदीप मिश्रा (सीहोर वाले)ने शिव महापुराण कथा का श्रवण कराते हुए कहा कि केशरवानी परिवार के कारण भगवान भूत भावन भूतेश्वर की नगरी में कथा सुनाने एवं श्रवण कराने का सौभाग्य मिला है ।भगवान भूतेश्वर की नगरी के लोगों को ओम श्री शिव महापुराण कथा का श्रवण करना है जिसमें हम देव आदि देव के पंचाक्षर मंत्र ओम नमः शिवाय के ओम पर विचार करेंगे कि ओम इतना प्रबल क्यों है?यह हर मंत्र यंत्र में यह पहले क्यों आता है?
भगवान की नजर जरूर पड़ेगी
प्रदीप मिश्रा सीहोर वालों ने कहा कि संतों के सानिध्य में यदि हम भक्ति सत्संग में आगे बढ़ते जाते हैं तो एक ना एक दिन भगवान की नजर हम पर जरूर पड़ती है ।जिस तरह आप नवरात्र मे 9 दिन तक जोत जला कर अखंड रखने के लिए कांच या अन्य वस्तुओं से उसे ढकते हैं उसी तरह अपने देह रूपी मन में भी शिव भक्ति की अखंड ज्योत जलाए । यही भगवान को पाने का तरीका है ।अविरल भक्ति कलयुग में केवल भगवान का नाम ही आधार है। किसी भी भगवान का सुमिरन करो लेकिन ध्यान रखो कि मन, चित्त, वृत्ति भगवान के प्रति एकाग्र चित्र होकर की जाए। भगवान को मिलने में देरी नहीं होगी।
धोती और चोटी सनातन धर्म की पहचान
पंडित प्रदीप मिश्रा ने श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए कहा कि धोती और चोटी सनातन धर्म की अखंडता को प्रबल करते हैं ।यह हमारे धर्म की पहचान है ।उन्होंने कहा कि व्यासपीठ चौकी जिस पर महापुराण रखा रहता है उसके चार पाए हमारी वर्ण व्यवस्था ब्राह्मण, वैश्य ,क्षत्रिय ,शूद्र को वर्णित करते हैं ।यदि इनमें से एक भी पाया कम हो जाए तो धर्म व्यवस्था गड़बड़ा जाएगी ।यदि यह चार पाये मजबूत रहेंगें तो सनातन धर्म हमेशा अग्रणी एवं मजबूत रहेगा।
जानवर के उसूल होते हैं मनुष्य के नहीं
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जलचर, थलचर ,नभचर कोई भी पशु जीव हो उसके मरने के बाद शरीर पर कफन नहीं डाला जाता ,सिर्फ मनुष्य ही एकमात्र है जिसके मरने के बाद उसके शरीर पर कफन डाला जाता है ।शिव पुराण कथा कहती है कि मनुष्य झूठ, कपट, प्रपंच, बेईमानी करता है इसलिए उसके शरीर को ढका जाता है ताकि उसकी बुराई उसके साथ चली जाए। महाराज श्री ने कहा कि जानवर का भी नियम होता है। उसका संकल्प होता है जैसे शेर घास नहीं खाएगा, हाथी गाय मांस नहीं खाएगी लेकिन मानव का कोई उसूल नहीं होता।अपने स्वार्थ ,अपने आराम के लिए सभी नियम तोड़ देता है । कोई नियम भंग करना जानता है तो वह है मानव जाति हम भजन, सत्कर्म का संकल्प लेकर पैदा हुए लेकिन भजन की जगह भोजन में लग गए हैं इस प्रवृत्ति को बदलना होगा।
कथा सुनने से पाप कम होंगे
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिव पुराण कथा कहती है कि कथा सुनने अगर बैठोगे तो यह जरूरी नहीं कि भगवान आप को दर्शन दे देंगे ,लेकिन इतना अवश्य है कि 3 घंटे की कथा सुनने के दौरान आपका मन भगवान में लगेगा, सद्विचार आएंगे और कम से कम 3 घंटे आप छल प्रपंच झूठ बेईमानी जैसे कार्यों से बच जाएंगे और फिर कभी ना कभी भगवान नंदी पर बैठ कर जरूर आएंगे।
देवाधिदेव का द्वार मत छोड़ना
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शरीर में या परिवार में कष्ट हो तो देवाधिदेव का द्वार कभी मत छोड़ना। जो मन से चित् से भक्ति करता है उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। जो सुकून नहीं पूरे संसार में वह सुकून मिलता है महादेव के दरबार में ।उन्होंने कहा कि समस्या कोई भी सामने आए हमेशा याद रखना हर समस्या का हल महादेव को एक लोटा जल। मतलब महादेव को एक लोटा जल नित्य प्रति अर्पित करे
जन्म लिया है तो दुख आएगा ही
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि आपने मनुष्य जन्म लिया है तो दुख कष्ट तो आएगा ही। कथा सुनोगे तो भी मरोगे, नहीं सुनोगे तो भी मारोगे । मरना निश्चित है, इसलिए डर कर नहीं वीर बनकर मरो ।मान, प्रतिष्ठा जीते जी रहती है। जब श्मशान में चले जाते हैं तो सिर्फ एक लोटे में अस्थियां होती है। जीवन में कभी घमंड ना करें। जिस परिवार के लिए हम गर्व करते हैं वह भी मरने के बाद पिंडदान कर देते हैं, याने पिंड छुड़ा लेते हैं ।इसलिए भगवान की भक्ति में ही शक्ति है और उसमें जीवन लगाओगे तो तर जाओगे।
समापन अवसर पर परिवार के सदस्य श्रीमती राम श्री श्याम बाबू केशरवानी, सरोज राजेश केशरवानी, श्रीमती काजल मोहन केशरवानी, श्रीमती शिल्पी सोहन केशरवानी, स्वप्निल, अनिमेष, शिवानी, आकाश, आयुष आर्यमन, आसी, विनोद गुरु, जगदीश गुरु ने शिव पुराण की आरती की। शिव पुराण कथा सुनने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पटकुई बरारू वृंदावन धाम पहुंचे थे।
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