मंत्र, साधना, तप का प्रमाण है ओम शब्द: पंडित प्रदीप मिश्रा
★ ओम श्री शिव महापुराण कथा का द्वितीय दिवस
सागर । तुलसी दल, जल, बेलपत्र तीनों चीजें हमारे व्रत, पूजन और साधना का प्रमाण है,और हमारे मंत्र, हमारी साधना, तप का प्रमाण है। सृष्टि, पालन, संहार, तिरोभाव, अनुग्रह यह पांचों कार्य महादेव के हैं ।प्रथम चार कृत्य संसार का विस्तार करने वाले हैं। पांचवा कर्म अनुग्रह मोक्ष के लिए है। ॐ की उत्पत्ति भगवान शिव के मुख से ही हुई है ।जो भी इस ओम का जाप प्रतिदिन करता है वह शिव कृपा का भागी होता है। उक्त अमृतमयी वचन अंतर्राष्ट्रीय संत पंडित प्रदीप मिश्रा (सीहोर वाले) ने वृंदावन धाम परिसर पटकुई बरारू में ओम श्री शिव महापुराण की कथा का श्रद्धालुओं को श्रवण कराते हुए व्यक्त किए।
प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जब तक भगवान शंकर की कृपा नहीं होती तब तक मनुष्य एक कदम भी भगवान की ओर नहीं बढ़ा सकता। शंकर का एक नाम भस्मैया भी है। जिसका मतलब शिव भस्म मय हो जाना या रम जाना। शिव पुराण कथा कहती है जब मनुष्य मां की कोख मे होता है तो रक्त, जल में सना हुआ होता है, और जब जन्म लेता है तो संसार के जितने सुख-दुख, धर्म कर्म है उनमें रमा हुआ होता है। अंतिम समय आता है तो वह भगवान का भजन करता है और प्राण छूटने पर भस्म में बदल जाता है । मनुष्य के अंतिम क्षण का समय बड़ा मूल होता है। अंतिम क्षण भक्ति में लगाओ तो शिवत्व अवश्य प्राप्त करोगे।
सत्यनारायण कथा का प्रसाद अवश्य ग्रहण करें
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि सत्यनारायण की कथा जहां कहीं भी हो, भले ही कथा सुनने जाओ या न जाओ लेकिन आरती होने के बाद प्रणाम करने जरूर जाओ। क्योंकि जो प्रभु के प्रसाद के रूप में जो पंजीरी मिलेगी वह प्रभु का साक्षात दर्शन है। सत्यनारायण की कथा का मतलब है सत्य पर टिक जाना, सत्य पर अड जाना ।इसी सत्य के बल पर परमात्मा के दर्शन हो जाना यही सत्यनारायण की कथा है। यदि उनके प्रसाद को ग्रहण कर यदि सत्य आ जाए तो फिर शिव मिल जाएगा। शिव मिल जाएगा तो जीवन सुंदर हो जाएगा।
अंतिम समय का लेन-देन सुधारें=
पंडित प्रदीप मिश्रा ने मोक्ष मार्ग प्रशस्त करते हुए कहा कि जीवन में कोई भी लेनदेन हो वह अंतिम क्षणों में होता है । मान लो आपकी बेटी जब ससुराल जाने लगती है तो विदाई के समय पिता, नाना अपने नाती पोती को उपहार में कुछ न कुछ अवश्य देते हैं ।और बगैर कुछ दिए गुजारे गये दिनों की भरपाई पाई कर लेते हैं। इसी तरह जीवन के अंतिम बिंदु को सवार लेना। खेल में बचपन, जवानी नींद में खोओगे तो बुढ़ापे में रोना ही पड़ेगा। इसलिए कर्म के साथ धर्म भी करोगे और भगवान भोले का स्मरण करोगे तो वह भी तुम्हें बैकुंठधाम पहुंचाने में संकोच नहीं करेंगे।
शिव विष पीकर भी अमर है=
शिव महापुराण कथा का श्रवण कराते हुए पंडित मिश्रा ने कहा कि शिव पुराण कथा में मंदिर में जो भी थोड़ा बहुत कुछ दान, कर्म करता है वह अमृत के समान है। भगवान शिव को अमरनाथ भी कहते हैं। देवता समुद्र मंथन का अमृत पीकर अमर हुए लेकिन शिव विष पीकर भी अमर है। अमृत पीने वालों का कोई आज नाम नहीं लेता लेकिन विष पीने वाले भगवान भोलेनाथ को लोग नीलकंठ के नाम से पूजते हैं ।जो कर्म से पीछे नहीं हटता और छोटे छोटे काम करते हुए उन्नति की सीढ़ी पर चढ़ जाए सच्चे अर्थों में कष्टों को सहते हुए आगे बढ़ जाए वही नीलकंठ है।
माता, पिता गुरु सच्चे पथ प्रदर्शक
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि जब छोटे होते हैं तो माता ,पिता गुरु के द्वारा कही गई बातें हमें कड़वी लगती हैं। बड़े हो जाते हैं और समय निकल जाता है तो माता, पिता, गुरु के शब्द हमारे कानों में गूंजते हैं ।फिर हमें भान होता है कि हमने उन अमृत वचनों को हल्के में लिया। फिर पछताने से कुछ नहीं होता। उन्होंने बच्चों से आह्वान किया कि हमेशा गुरु, माता, पिता की आज्ञा का पालन करें। उनके शब्दों को भगवान माने। क्योंकि वही तुम्हारे सच्चे पथ प्रदर्शक और वहीं मार्ग प्रशस्त करने वाले हैं।
चरण रज से ही हो जाएगा कल्याण=
पंडित श्री मिश्रा ने कहा कि यदि आप शिव पुराण कथा सुनने आए हैं या भगवान के दर्शन करके आए हैं इस दौरान जो रज या धूल आपके चरणो में या आपके कपड़ों में लगी है किसी दूसरे पर पड़ती है तो उसको भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां बैठे लाखों श्रद्धालु जब निकलेंगे शरीर की रज उड़ेगी और कथा ना सुनने वालों पर पड़ेगी तो वह भी तर जाएगा । भगवान कृष्ण जब गाये चराकर लौटते हैं तो बंसी बजाते हुए चलते हैं और उनके जब चरण रज की धूल गायोँ के खुरों से लगकर उड़ती है तो वहां के पशु, पक्षी, जीव जंतु सभी का कल्याण करती है।
पार्थिव शिवलिंगका निर्माण अवश्य करें=
प्रदीप मिश्रा ने कहा कि साल भर, छह माह या महीने में एक बार पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर उसकी पूजा अवश्य करें ।जब आप दुख में हो आपको कोई मार्ग दिखाई ना दे उम्मीदें दूर हो जाए तो शिवलिंग निर्माण आपके लिए औषधि के समान है। भगवान राम जब बन गए तो सीता हरण हुआ ।लंका तक पहुंचने का कोई मार्ग नहीं था ।भगवान के लिए यह सब दुख ही थे। उन्होंने रामेश्वर नाम से पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कार्य पूजन किया। फिर से सेतू भी बन गया, रावण भी मर गया, सीता जी भी मिल गई, राम राजा भी बन गए। पार्थिव शिवलिंग निर्माण करोगे तो कुछ ना कुछ फल अवश्य मिलेगा।
मृत्यु लोक में अंगुली उठाने वाले ही मिलेंगे=
मृत्यु लोक में जन्म लिया है तो आप पर उंगली उठाने वाले हजारों मिलेंगे, लेकिन हमेशा ध्यान रखना कि अपने कर्म में लगे रहना ।जब लोगों ने भगवान को नहीं छोड़ा तो हम तो इंसान हैं। इसलिए सदा ध्यान रखना कि छल प्रपंच में कभी मत फंसना ।अगर कहीं फंसना तो देवाधिदेव के चरणों में फसना । लोग कुछ भी कहे लाख अंगुली उठाएं यदि आप भक्ति स्मरण, चित्र वृत्ति से भगवान का स्मरण करेंगे तो यही जीवन की सार्थकता है। हमेशा सत्यमेव जियो ।विश्वास की मूलता होतीहै तो परमात्मा मिलता जरूर है। मृत्यु लोक में आए हैं तो भगवान को भजना ही पड़ेगा और मृत्यु लोक के देवाधिदेव भगवान शंकर हैं।
कोरोना ने बताया भगवान शंकर कौन है=
कोरोना वायरस के पहले लोग भगवान शिव को नहीं जानते थे ।शिव महापुराण कथा क्या होती है। महामृत्युंजय क्या होता है ।यह कोरोना ने हमें बता दिया। करोना से हमें भगवान शिव शंकर को जानने का मौका मिला ।अपने पराए क्या होते हैं यह समझने का मौका मिला । भगवान ने हमें बताया कि उन्हें भी भजन की जरूरत है ।भगवान शिव को भजोगे तो सफेद गाड़ी( नंदी )लेने आएगी और पाप, छल कपट करोगे तो यमराज की काली गाड़ी (भैसा) मैं बैठकर जाना तय है।
सागर वासियों का ह्रदय सागर जैसा=
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि सागर को तो वृंदावन धाम भी कहा जाता है। यहां भी बिहार जी सरकार हैं ।भूतेश्वर हैं, चिंतामन गणेश हैं, यहां के लोगों की श्रद्धा भी अगाध है । उन्होंने कथा स्थल पर पानी की व्यवस्था करने के लिए कमलेश्वर तिवारी एवं बडा बाजार से श्रद्धालुओं को बस सेवा देने के लिए श्रीमती चंदा अग्रवाल का धन्यवाद ज्ञापित किया । पंडाल में ठहरे श्रद्धालुओं एवं पंडित प्रदीप मिश्रा के साथ आये शिष्यों के लिए भोजन, ठहरने की उचित व्यवस्था के लिए यजमान श्री केशरवानी परिवार की सराहना की। उन्होंने कहा कि वास्तव में जैसा नगर का नाम सागर है वैसा ही यहां के लोगों का दिल भी है।
कष्टों से छुटकारा दिलाने के उपाय बताएं=
पंडित प्रदीप मिश्रा ने श्रद्धालुओं को भगवान शिव की भक्ति पूजा करने के विभिन्न उपाय भी बताए उन्होंने कहा कि भगवान शिव की नित्य पूजा करने से सभी कष्टों का निवारण होता है।
आज की कथा में बताएंगे कैसे करें पूजन=
रविवार 5 जून की कथा में पंडित प्रदीप मिश्रा ओम नाम से शिव के किस स्थान पर पूजा करें जल चढ़ाएं जिससे किडनी कैंसर आदि बड़ी बीमारियों का निवारण हो सके।
कथा के अंत में भगवान अर्धनारीश्वर के रूप की पूजा अर्चना कर आरती की गई। इस अवसर पर मुख्य यजमान श्रीमती राम श्री श्याम बाबू केशरवानी, सरोज राजेश केशरवानी, काजल मोहन केशरवानी, श्रीमती शिल्पी, स्वप्निल, अनिमेष केशरवानी, नरयावली विधायक प्रदीप लारिया आदि ने भगवान की आरती की।
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