संगीतज्ञ एवं साहित्यकार डॉ हर्ष कुमार चतुर्वदी के निधन पर श्रद्धांजलि सभा
सागर ।सागर के प्रख्यात संगीतज्ञ एवं साहित्यकार डॉ हर्ष कुमार चतुर्वेदी का अंतिम संस्कार गोपालगंज स्थित मुक्तिधाम में किया गया। उनको मुखाग्नि जेष्ठ पुत्र डॉक्टर आनंद चतुर्वेदी ने दी। इस अवसर पर एक शोक सभा आयोजित की गई, जिसमें सागर के अनेक संगीतज्ञ, साहित्यकार, चिकित्सक, अधिकारीगण एवं डॉ चतुर्वेदी के अनेक शिष्य तथा नगर वासी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। शोक सभा का संचालन करते हुए डॉक्टर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के तबला विभाग के प्राध्यापक डॉ राहुल स्वर्णकार ने स्वर्गीय श्री चतुर्वेदी की संगीत यात्राओं पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि आपने सागर में शास्त्रीय संगीत का प्रचार प्रसार करके इसको चरमोत्कर्ष पर पहुंचाया, जिसके कारण आज सागर का नाम मध्य प्रदेश में संगीत के लिए जाना जा रहा है।
ख्याति प्राप्त लोकगीत गायक एवं कथाकार श्री हरगोविंद विश्व ने कहा कि सागर के आदर्श संगीत महाविद्यालय की स्थापना चतुर्वेदी जी ने शून्य से की थी एवं अनेक वर्षों तक कठोर परिश्रम करके शासन से 27 पद एवं उनका वेतन स्वीकृत कराया। वर्तमान संगीत महाविद्यालय की भूमि को शासन से एक रुपए में दिलाकर सागर में संगीत की धरोहर को हमेशा के लिए सुरक्षित किया है ।आप प्रारंभ से आदर्श संगीत महाविद्यालय के प्राचार्य एवं सचिव रहे। आपने देश के सर्वोच्च कला विभूतियों को सागर में बुलाकर बड़े कार्यक्रम कराये ।मैं यहां आते समय आदर्श संगीत महाविद्यालय में खड़े होकर चतुर्वेदी जी के व्यक्तित्व को प्रणाम करते हुए आया हूं। शासकीय महाविद्यालय बंडा के पूर्व प्राचार्य डॉ हरगोविंद सेन ने कहा कि सागर में जितने भी संगीत के कलाकार हैं ,वे सब किसी न किसी रूप में आपके शिष्य रहे हैं। सागर के लेखक संघ के अध्यक्ष पी आर मलैया ने उनके सहज व्यक्तित्व एवं संगीत के प्रति जुझारू रहते हुए निरंतर विकास कार्य की सराहना की। संगीत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य सुनील भट्ट ने कहा कि डॉ चतुर्वेदी जी ने सभी प्राचीन कलाकारों का सम्मान किया एवं साथ में लेकर संगीत की लौ जगाई। के के तिवारी ने कहा कि हर्ष चतुर्वेदी की कर्मठता एवं अनुशासन प्रियता अनुकरणीय रही है।
शील चतुर्वेदी ने बताया कि मेरे भाई साहब ने बनारस में रहते हुए शास्त्रीय संगीत की शिक्षा प्राप्त की एवं जीवन पर्यंत संगीत की सेवा करते रहे । ओम शुक्ला, अनूप अग्निहित्री, प्रसन्न चतुर्वेदी, प्रमोद चतुर्वेदी, डॉक्टर सुधीर जैन, डॉ आशीष ज्योतिषी, श्री सुभाष कांड्या, श्री बसंत गुरु एवं डॉक्टर जे पी पांडे, विभूति मालिक ने भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। डॉक्टर प्रेम चतुर्वेदी ने कहा की मेरे बड़े भाई साहब ने सागर में संगीत की जो भी संस्थाएं चलाई, उनके अनेकों शिष्य आज देश भर में उच्च पदों पर पदस्थ होकर संगीत को आगे बढ़ा रहे हैं। आपकी संगीत की सेवाओं के कारण सागर का नाम देश के संगीत मानचित्र पर ससम्मान प्रतिष्ठित हो रहा है ।चतुर्वेदी परिवार के जेष्ठ पुत्र डॉ आनंद चतुर्वेदी ने सभी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मेरे पिताजी को सागर नगर के प्रबुद्ध जनों का भरपूर सहयोग मिला ,इस हेतु सभी का आभार व्यक्त करता हूं ।आपने श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए सभी सम्मानीय जनों का आभार व्यक्त किया। इस श्रद्धाजलि सभा में डॉ हरिओम सोनी, नवल स्वर्णकार, एस के सक्सेना, पंडित महेश पांडे , शिवराज दुबे, संतोष मिश्रा, नरेंद्र शर्मा, अभय मिश्रा, विवेक शर्मा, सुनील साही, डा राम कुमार गोस्वामी, अंबर चतुर्वेदी, मुन्ना पालीवाल ,बृजेशपटेरिया ,पंडत नारायण प्रसादभारद्वाज ,रोहित बीना ,प्रफुल्ल द्विवेदी, पंकज द्विवेदी, सौरभ तिवारी ,देवी सिंह पटेल,शिव दयाल पटेल आदि गणमान्य नागरिक गण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
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