स्वर्ग रथ यानी शव वाहन से हजारों लोगों को मुक्तिधाम पहुचाने वाले अलाउददीन खान हुए अलविदा उसी वाहन से
★ शव वाहन चालक अलाउददीन बने थे साम्प्रदायिक समरसता के प्रतीक ,कोरोना काल मे बने थे मददगार
सागर। बदलते परिवेश में अब किसी के निधन होने पर मुक्ति रथ या स्वर्ग रथ आदि नामो से शव वाहन का प्रचलन तेजी से बढा है।सरकार और सामाजिक संगठनों ने इसकी उपयोगिता को समझा आज शहरों में ये वाहन दिख जाएंगे। सागर में अपनत्त्व सेवा समिति ने कुछ साल पहले शव वाहन उपलब्ध कराया था। यह स्वर्ग रथ बड़ा व्यवस्थित बना था। पिछले चार साल से इसे अलाउद्दीन खान(मद्दे ड्राइवर) चला रहे थे। अपने व्यवहार और सजगता से लोगो के बीच लोकप्रिय थे। कल सोमवार की शाम को उनका निधन हो गया। शहर में शोक की लहर फेल गई। लोगो को उनके द्वारा की मदद याद आयी। खासकर कोरोना काल के दौरान मुक्तिधाम तक अंतिम यात्रा पूरी करने को लेकर। अलाउद्दीन खान को आज उसी शव वाहन से कब्रिस्तान ले गए । जिसको वे चलाते थे। सेकड़ो लोगो ने नम आंखों से याद किया।
अवनत्व सेवा समिति के पूर्व अध्यक्ष सन्तोष सोनी मारुति बताते है कि अलाउददीन मुस्लिम समुदाय से होते हुए भी कभी भेदभाव नही किया। ज्यादातर हिन्दू समुदाय से जुड़े लोगों को इसकी जरूरत पड़ी। अलाउददीन हिन्दू रीति रिवाजों से अंतिम संस्कार करने में मदद तक करते थे । वाहन में राम नाम सत्य है...का भजन लगाना आदि । पूरी ततपरता से करते थे।
कोरोना काल में याद किये गए अलाउददीन खान
अलाउद्दीन खान ने कोरोना काल के दौरान शव यात्रा वाहन में अपनी निरंतर सेवायें दी। जिस दौर में परिजन अपनो को हाथ भी नही लगाते थे। अंतिम संस्कार तक मे नही गए। उस त्रासदी भरे समय मे अलाउददीन खान ने सैकड़ो लोगो के निधन पर मुक्तिधाम तक पहुचाया। आज उनके निधन पर सोशल मीडिया पर लोगो ने कोरोना काल मे किये गए काम को याद किया।
"ऐसे ही एक व्यक्ति ने लिखा कि मेरे पिताजी की कोरोना काल में ही मृत्यु हुई थी उस समय मेरे साथ केवल भाईजान ही शवयात्रा के साथी बनें । वे हमारी अपनत्व सेवा समिति के एक अत्यंत महत्वपूर्ण सदस्य थे; जिन्होंने कोरोना काल में अपनी सेवाएं पूरी गम्भीरता से व जिम्मेदारी से समाज को दीं । ""
अपनत्व सेवा समिति के अध्यक्ष राम शर्मा ने बताया कि समिति अंतिम संस्कार को लेकर हर तरह की मदद करती है। कई दफा निशुल्क भी यह वाहन भेजते है। अलाउददीन खान हमारे सबसे मेहनती सदस्य थे। कभी भी उन्होंन काम के लिए मना नही किया। पिछले चार साल में दो हजार से अधिक लोगो को मुक्तिधाम तक पहुचाया।
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