विश्वविद्यालय द्वारा योग महोत्सव के सैद्धांतिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन
★चंचल चित्त को साधने की प्रक्रिया का नाम योग - श्री हनुमंत राव
★ प्रसन्नता प्राप्ति हर व्यक्ति का ध्येय-कुलपति
सागर।काम क्रोध मद मत्सर ये सभी मन के मैल हैं, मलिन मन का परिणाम चित्त की चंचलता और वृत्तियाँ हैं। चंचल और वृत्ति युक्त चित्त को साधने की प्रक्रिया का नाम ही योग है। पातंजल योेग शास्त्र में इसकी बडी सुंदर विधि अष्टांग साधना के रूप में बताई गई हैं। चित्त सधने पर आनंद की अवस्था विकसित होती है जो मन शरीर और आत्मा का समन्वय करने का कार्य करती है। उक्त उद्गार श्री हनुमंत राव राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारी ने योग शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित योग महोत्सव के सैद्धांतिक सत्र में व्यक्त किए।
योग मानवता के धर्म का आधार- ईश्वर आचार्य
सत्र् के आरंभ में मोराजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान के प्रभारी निदेशक डाॅं. ईश्वर आचार्य ने कहा कि भारत तथा विश्व के एक सौ शहरों में योग महोत्सव के माध्यम से हम आम जनमानस को योग से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं ताकि योग के शारीरिक और मानसिक अभ्यास से व्यक्ति स्वस्थ एवं सुखी जीवन के लाभ प्राप्त कर सके। दो वर्ष कोरोना काल में सार्वजनिक आयोजन नही हो पाने के कारण इस वर्ष व्यापक स्वरूप में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मानने हेतु कृत संकल्पित हैं। योग सभी धर्मों एवं संप्रदायों से जुड़ा है। यह किसी विशेष धर्म के प्रचार का साधन नही, यह मानवता के धर्म का आधार है।
संयम, समाधि और योग का समन्वय ही सुखी जीवन की आधार - अर्पित दुबे
मोराजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान नई दिल्ली के डाॅं. अर्पित दुबे ने जीवन में तीन आयामों की चर्चा करते हुए कहा कि संयम, समाधि और योग का समन्वय सुखी जीवन की आधार शिला है। आहार निद्रा और व्यायाम के संयम से येाग की समग्रावस्था प्राप्त की जा सकती है।
शांत एवं एकाग्र मन से जीवन के समस्त कार्य आसान- श्री विष्णु आर्य
सागर के योगनिकेतन योग प्रशिक्षण संस्थान के संचालक योगाचार्य श्री विष्णु आर्य ने कहा कि मन के शांत एवं एकाग्र होने से जीवन के समस्त कार्यों को सरलतम रूप से किया जा सकता है। शरीर शुद्धि हेतु आसन एवं मन शुद्धि हेतु प्राणायाम के अभ्यास से व्यक्ति अध्यात्म की ओर अग्रसर होता है।
प्रसन्नता प्राप्ति हर व्यक्ति का ध्येय-कुलपति
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने कहा कि प्रसन्नता प्राप्ति हर व्यक्ति का ध्येय है। इस प्रसन्नता के लिये जीवन में स्वस्थ रहना पहली आवश्यकता है। विश्व के 149 देशों मंे हैजीनेस इंडेक्स में 2021 में भारत 139 नंबर पर था अर्थात हमारे देश के आम आदमी को खुश रहने के निर्धारित पेरामीटर के हिसाब से बहुत कमीयाँ हैं। हम सभी को मिलकर इस दिशा में सोचना पडे़गा हम कैसे आम आदमी के जीवन को खुशहाल बना पायें? इसी दिशा में योग विद्या की भूमिका बढ़ जाती है। योग हमारी प्राचीन संस्कृति एवं परंपरा की परिचायक है। इसलिये अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का मनाया जाना समय की मांग बन गया है।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण प्रो.गणेश शंकर गिरी योग विभागाध्यक्ष ने दिया। संचालन डाॅं. नितिन कोरपाल ने एवं आभार ज्ञापन डाॅ. अरूण साव ने माना। इसके पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ जिसमें भजन, लोकगीत, योग कविता, कालबेलिया नृत्य, छत्तीसगढ़ी नृत्य, गणेश स्तृति, शिव स्तृति, के नाटक आदि प्रस्तुत किए गये। इस अवसर पर शारीरिक शिक्षा विभाग के निदेशक डाॅं. राकेश मलिक, डाॅं. सुमन पटेल, अनवर खान, डाॅं. ब्रजेश ठाकुर, डाॅं. भगत सिंह, डाॅं. रविकांत खरे, डाॅं. योगेश भार्गव, प्रज्ञा साव, वंदना कटारे आदि बडी संख्या में उपस्थित थे।
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