डॉ गौर विवि के प्रो बी.के. श्रीवास्तव की पुस्तक "डॉ. हरीसिंह गौर : एक प्रेरक व्यक्तित्व का विमोचन
सागर। स्वर्ण जयंती सभागार डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में प्रोफेसर बी.के. श्रीवास्तव की पुस्तक "डॉ. हरीसिंह गौर : एक प्रेरक व्यक्तित्व" का विमोचन कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम के मुख्यअतिथि विधायक श्री शैलेन्द्र जैन रहे एवं अध्यक्षता माननीय प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने की ।अधिष्ठाता मानविकी एवं समाजविज्ञान प्रोफेसर अंबिका दत्त शर्मा ने सभागार में उपस्थित सभी विद्वत जनों का स्वागत करते हुए डॉ हरिसिंह गौर के जीवन के बारे में बताते हुए कहा कि डॉ हरीसिंह का जीवन एक सत्याग्रही का जीवन रहा है और जब एक सत्याग्रही व्यक्ति के जीवनगाथा को इस तरह लोकार्पित किया जाता है, तब इससे लोगों को सत्यपथ पर निरंतर चलते रहने की प्रेरणा मिलती है, और प्रोफेसर श्रीवास्तव ने य़ह कार्य इस पुस्तक को प्रामाणिक रूप प्रदान कर किया है यह ना ही केवल एक महत्वपूर्ण कृत्य है अपितु प्रोफेसर श्रीवास्तव ने इस दिशा में कार्य करके इस विश्वविद्यालय के शिक्षक के रूप में ऋण शोधन का भी कार्य किया है।
मुख्य अतिथि विधायक श्री शैलेन्द्र जैन ने कहा कि जब मैंने डॉक्टर हरिसिंह गौर की आत्मकथा 7 लाइवस को पढ़ा तो वो कुछ अधूरा लगा परंतु अब वह पूर्णता प्राप्त कर चुका है जिसके लिए उन्होंने प्रोफेसर श्रीवास्तव को बधाई दी और साथ ही उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित किया, और उनका सहयोग करने हेतु प्रोफेसर बी के श्रीवास्तव की धर्म पत्नी डॉ माधवी श्रीवास्तव का भी आभार व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई दी
और इसके साथ ही उन्होंने प्रेरणास्पद बातें कीं ।।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति ने कहा कि लोग बहाना बनाते हैं कि लॉकडाउन के कारण हम यह नहीं कर पाए, वहीं प्रोफेसर बी.के.श्रीवास्तव ने लॉकडाउन काल का उपयोग करते हुए इतने महत्वपूर्ण ग्रंथ लिख डाले और समस्त शिक्षकों को भी इस प्रकार का कार्य करने के लिए प्रेरित होना चाहिए ।
प्रोफेसर बी.के.श्रीवास्तव ने बताया कि वे काफी वर्षों से डॉक्टर हरीसिंह गौर पर पुस्तक लिखने हेतु सामग्री एकत्रित कर रहे थे, जिसमें उनकी पत्नी डॉ माधवी श्रीवास्तव का काफी सहयोग रहा। 25 मार्च 2020 को लॉकडाउन लगते ही उन्होंने इस पुस्तक के लेखन का कार्य आरंभ कर दिया था।
उन्होंने अवचेतन मन की शक्ति पर बोलते हुए बताया कि डॉ. गौर जब मेट्रिक करने सागर से जबलपुर जा रहे थे, तभी उन्होंने सोच लिया था, किआज मैं सागर से बाहर जा रहा हूं मगर कुछ ऐसा करूंगा कि आने वाली पीढ़ी को उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु सागर से बाहर ना जाना पड़े।
य़ह बात उनके अवचेतन मन में चली गई और अवचेतन मन की शक्ति काम करने लगी, तथा
उन्हें दिल्ली विश्वविद्यालय का संस्थापक कुलपति बना कर विश्वविद्यालय की स्थापना का अनुभव दिलाया। आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करवाने हेतु प्रख्यात वकील बनवाया और अंततः इसी अवचेतन मन की शक्ति ने उनका स्वप्न
साकार करते हुए उन्हीं की कमाई से सागर विश्वविद्यालय की स्थापना करायी।
वे अपनी बहनों को बहुत चाहते थे, जब उनके ससुराल जाकर देखा कि वे सुबह 4बजे से 2बजे तक निरंतर काम में लगी रहती हैं। उनके पढ़ें लिखे होने का कोई प्रतिफल नहीं है। तब उन्होंने सोच लिया की मैं महिलाओं को पुरुषों के बराबरी का अधिकार दिलाऊंगा। अंततः उनके अवचेतन मन ने अपना काम किया और उन्होंने विधानसभा में कानून पारित करा दिया कि, पुरुषों की तरह महिलाएं भी वकालत कर सकती हैं।
उन्होंने अन्तर्जातीय विवाह को मान्यता दिलाई। प्रोफेसर श्रीवास्तव ने बताया कि डॉक्टर हरीसिंह गौर पर लिखी पुस्तक को प्रेरणास्पद बनाया गया है,ताकि युवा पीढ़ी उसे पढ़ कर जीवन के हर क्षेत्र में सफ़लता प्राप्त कर सके ।
प्रोफेसर श्रीवास्तव ने बताया कि हमारा अवचेतन मन किस प्रकार हमारे सपनों को साकार करता है और सफ़लता का मार्ग प्रशस्त करता है।
पुस्तक की समीक्षा युवा कथाकार डॉक्टर आशुतोष मिश्रा ने की उन्होंने अपनी समीक्षा में कहा कि इस पुस्तक को लिखे जाने में प्रोफेसर श्रीवास्तव ने बेहद महत्वपूर्ण व मुश्किल कार्य किया है, और इस कार्य को करने में उन्होंने लेखकीय ईमानदारी का जो परिचय दिया है वो बेहद प्रशंसनीय है।
प्रसन्नता की बात है, कि आज इस अवसर पर सागर की शान देश की जानीमानी कथक नृत्यांगना डॉ.शाम्भवी शुक्ला और उनके पति बनारस घराना के सुप्रसिद्ध गायक श्री बृजेश मिश्र भी उपस्थित रहे।
विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रोफेसर बी के श्रीवास्तव का सम्मान किया गया, जिसमें श्यामलम संस्था के अध्यक्ष उमाकांत मिश्र , पाठक मंच केंद्र संयोजक के अध्यक्ष- श्री आर. के. तिवारी और मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन सागर एवं पंडित ज्वालाप्रसाद ज्योतिषी इंस्टिट्यूट के अध्यक्ष- श्री आशीष ज्योतिषी
मध्य प्रदेश लेखिका संघ के अध्यक्ष- श्रीमती सुनीला सराफ एवं सचिव डॉ चंचला दवे
अ. भा. महिला काव्य मंच सागर इकाई अध्यक्ष- डॉ अंजना चतुर्वेदी तिवारी एवं डॉ सुजाता मिश्र
पी आर एस वेलफेयर सोसाइटी सागर के अध्यक्ष- श्री प्रदीप पांडेय
सत्यम कला संस्कृति के अध्यक्ष- दामोदर अग्निहोत्री
बुंदेली हलचल के संस्थापक शुभम श्रीवास्तव ने किया
कार्यक्रम में प्रो अनुपमा कौशिक,प्रो नागेश दुवे,प्रो अशोक अहिरवार,प्रो आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, प्रो विनोद दीक्षित, प्रोफेसर आनंद तिवारी, प्रोफेसर नवीन गीडीयन, डॉ शशि कुमार सिंह, डॉ आर पी सिंह, माधव चंदेल, मीडिया अधिकारी विवेक जायसवाल, डॉ लक्ष्मी पांडेय, डॉ किरण आर्या, डॉ ज्ञानेश तिवारी, डॉक्टर काली नाथ झा उत्सव आनंद लोकेशन निवेदिता मित्र डॉ रीना बासु डॉक्टर पी एल प्रजापति डॉक्टर संजय बरोलिया डॉ प्रीति अनिल खंडारे शहर से श्री गजाधर सागर डॉक्टर डीआर त्रिपाठी डॉ पंकज तिवारी, बुंदेली हलचल के श्री शुभम श्रीवास्तव किड्स एकेडमी के श्री संदीप श्रीवास्तव श्री मुन्ना शुक्ला श्री मलैया जी श्री उमाकांत मिश्रा जी डॉक्टर शरद सिंह, डॉ नलिन जैन, श्री हरगोविंद विश्व डॉ वीरेंद्र मटसेनीया, डॉक्टर जय नारायण यादव डॉ भरत शुक्ला श्री अतुल तिवारी डॉक्टर ज्ञानेश तिवारी विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं शोधार्थी, भारी संख्या में लोग उपस्थित थे लोगों की उपस्थिति को देखकर विधायक श्री शैलेंद्र जैन एवं माननीय कुलपति महोदया प्रो नीलिमा गुप्ता ने काफी प्रसन्नता व्यक्त की।अंत में आभार सागर विश्वविद्यालय के कुल सचिव श्री संतोष सहगौरा द्वारा आभार व्यक्त किया गया द्वारा दिया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन इतिहास विभाग के डॉ. पंकज सिंह द्वारा किया गया।
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