डॉ गौर विवि : हिमालय के ‘लिटिल आइस एज’ पर शोध के लिए भूगोल विभाग के डॉ. राकेश सैनी को मिला 79.52 लाख का प्रोजेक्ट
सागर. 03 अप्रैल. डॉक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर के सामान्य एवं अनुप्रयुक्त भूगोल विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ राकेश सैनी (पीआई) को विज्ञान एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी), भारत सरकार से 79.52 लाख का अनुदान प्राप्त हुआ. यह शोध परियोजना 3 वर्ष के लिए स्वीकृत की गई है. यह अनुदान उन्हें पश्चिमी हिमालय क्षेत्र के ‘लिटिल आइस एज’ (हिम युग) की शैली पर शोध-अध्ययन करने के लिए मिला है। उनके साथ डॉ संजय देसवाल, सहायक प्रोफेसर गवर्नमेंट कॉलेज छारा (झज्जर) भी सह शोध पर्यवेक्षक के रूप में काम करेंगे।. इस परियोजना के अंतर्गत हिमालयी क्षेत्र में लगभग 4000 से 5000 मीटर ऊंचाई पर स्थित लाहौल स्पीति और लद्दाख में शोध एवं अध्ययन किया जाएगा। डॉ राकेश सैनी ने बताया कि परियोजना राशि के अंतर्गत कई उपयोगी उपकरणों, शोध सहायकों और फील्डवर्क आदि सहित सभी सहायता प्रदान की गई है. डॉ सैनी की इस उपलब्धि पर कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता ने बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। विभाग के सभी शिक्षकों ने भी अपनी शुभेच्छा प्रेषित की हैं।
विश्वविद्यालय:
भूगोल विभाग के विद्यार्थियों ने किया रूग्णता सर्वेक्षण
सागर. 03 अप्रैल. डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के बी.एससी. छठवें सेमेस्टर के विद्यार्थियों ने बरारु-पटकुई गांव में कोर्स समन्वयक डॉ. हेमंत पाटीदार एवं डॉ. सतीश सी. के निर्देशन में रूग्णता (मोर्बिडिटी) पर सर्वेक्षण किया. इसके अंतर्गत विद्यार्थियों ने इन दोनों गाँवों के कुल 180 परिवारों के बीच जाकर उनके स्वास्थ्य की स्थितियों के बारे जानकारी का संकलन किया. कोर्स समन्वयक डॉ. हेमंत ने बताया कि मानव विकास में स्वास्थ्य अत्यंत ही महत्वपूर्ण पहलू होता है। ऐसे में रूग्णता के कारणों एवं रोकथाम के संभावित उपायों का अध्ययन अत्यंत ही प्रासंगिक है।
उन्होंने बताया कि इस
सर्वेक्षण के माध्यम से हम यह भी पता लगाने की कोशिश करेंगे कि लोगों की
सामाजिक-आर्थिक स्थितियाँ उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती हैं. इससे रूग्णता
पर सामाजिक, आर्थिक एवं व्यावहारिक कारणों
के प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी । इस सर्वेक्षण में शोध छात्र राहुल मिश्रा,
कुंदन
परमार एवं शुभम पटेल सहित कई विद्यार्थियों ने सहयोग किया।
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