SAGAR: नाबालिग बालक के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने का प्रयास करने वाले आरोपी को दस साल की सजा
सागर। न्यायालय- श्री प्रमोद कुमार, विषेष न्यायाधीष (पाॅक्सो एक्ट) एवं प्रथम अपर सत्र न्यायाधीष रहली जिला-सागर के न्यायालय ने आरोपी अनिल पिता दामोदर वाल्मीकि उम्र 22 वर्ष निवासी थाना अंतर्गत रहली जिला-सागर को नाबालिग बालक के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने का प्रयास का आरोपी पाते हुए भादवि की धारा 377 सहपठित धारा 511 के अपराध में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये के अर्थदण्ड तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा-3(सी) सहपठित धारा-4 के अपराध में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित करने का आदेश दिया। राजासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक एवं सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी आषीष त्रिपाठी ने की।
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घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि घटना दिनांक-10.10.2018 की शाम 07 बजे के समय पीड़ित बालक अपने दोस्तों के साथ चोर सिपाही का खेल खेल रहा था। अभियुक्त अपने घर के पास बैठा था। पीड़ित बालक खेलते-खेलते थोड़ा दूर चला गया तो अभियुक्त आया और पीड़ित बालक के कंधे पर हाथ रखकर अभियुक्त उसे अपने भाई की कुटी की तरफ ले गया और कुटी में पीड़ित बालक को अंदर करके दरवाजा लगा दिया। अभियुक्त ने पीड़ित बालक के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने लगा इतने में अभियुक्त का भाई आ गया तो अभियुक्त पीड़ित बालक को छोड़कर भाग गया। पीड़ित बालक द्वारा अपने माता पिता के साथ थाना रहली में आकर प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख कराई। फरियादी की उक्त रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना उपरांत अभियुक्त के विरूद्ध अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जहां अभियोजन ने मामला संदेह से परे प्रमाणित किया। माननीय न्यायालय द्वारा उभय पक्ष को सुना गया। न्यायालय द्वारा प्रकरण के तथ्य परिस्थितियों व अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपी अभियुक्त अनिल वाल्मीकि को भादवि की धारा 377 सहपठित धारा 511 के अपराध में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये के अर्थदण्ड तथा लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा-3(सी) सहपठित धारा-4 के अपराध में 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1000 रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित करने का आदेश दिया।
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