महिला की पहली डिलेवरी, बच्चे के साथ आधा किलो का स्टोन निकला, बीएमसी में रेयर सर्जरी
सागर। बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में एक प्रसूता के सीजेरियन के दौरान ब्लैडर स्टोन की सफल सर्जरी की गई। बच्चे के साथ डॉक्टरों ने आधा किलो का स्टोन भी निकाला। ऐसे मामले दुर्लभ होते हैं। सीजर और सर्जरी के बाद जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
बीएमसी के ऑब्स एंड गायनी विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर व प्रभारी एचओडी डॉ. जागृति किरण नागर ने बताया कि सानौधा निवासी 20 साल की प्रसूता को जिला अस्पताल से 9 मार्च को बीएमसी रेफर किया गया था। महिला का यह पहला प्रसव था। सोनोग्राफी में भी बच्चा तो ठीक था, लेकिन ब्लैडर में स्टोन समझ नहीं आ रहा था। हालांकि ब्लैडर में हार्डनेस थी। शनिवार को जब सर्जरी और प्रसूता विभाग में डॉ नागर की टीम ने सीजर के लिए पेट ओपन किया तो करीब 1.700 किलोग्राम का मेल बेबी हुआ।
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उसी दौरान ब्लैडर में स्टोन की मौजूदगी कंफर्म हुई। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जागृति किरण नागर, उनकी सहयोगी डॉ दीप्ति गुप्ता, डॉ प्रियंका पटेल सहित सर्जरी विभाग के असिस्टेन्ट प्रोफेसर डॉ ओमकार सिंह ठाकुर एवं सीनियर रेजिडेंट डॉ दीपक सोनी सहित निश्चेतना विभाग के असिस्टेंट प्रो. सतेंद्र उईके, डॉ अनिता राधाकिशन, डॉ नेहा सोनी की टीम ने दूसरा ऑपरेशन प्रारभ किया। करीब आधे घण्टे चले ऑपरेशन में महिला के यूरिन ब्लैडर से 12 सेंटीमीटर लंबा 500 ग्राम (आधा किलो) का स्टोन निकाला गया। शाम तक प्रसूता व नवजात बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
रेयर केस, 4 ऑपरेट कर चुके हैं
बीएमसी में अभी तक ब्लैडर स्टोन या ब्लैडर केलकुलाईट के 4 मामले आ चुके हैं। यह काफी दुर्लभ मामले होते हैं। हजारों प्रसव के मामलों में एकाध मामला सामने आता है। सबसे अहम बात प्रेग्नेंसी के साथ ब्लैडर स्टोन रेयर होता है और डायग्नोज करना भी चुनौतीपूर्ण होता है।
-:डॉ जागृति किरण नगर, प्रभारी एचओडी, ऑब्स & गायनी विभाग, बीएमसी सागर।
इन कारणों से होता है ब्लैडर स्टोन
प्रसूताओं को ब्लैडर स्टोन काफी दुर्लभ मामला होता है। जब एक बार में पूरा यूरिन रिलीज नहीं होता, थोड़ा-थोड़ा हर बार बच जाता है उससे होता है। दूसरा कारण डिहाइड्रेट अर्थात ब्लैडर में पानी की कमी से पथरी बनने लगती है। लंबे समय बाद धीरे-धीरे जमकर इसका आकार पत्थर जैसा होता जाता है। हालांकि आधा किलो तक स्टोन जमा होना गंभीर मामला है।
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