अब गवाहों को भी मिलेगी सुरक्षा
सागर ।कानून का शासन बनाये रखने के लिए आवश्यक है कि, अपराधिक मामलों में गवाह निडर होकर न्यायालय एवं पुलिस का सहयोग करें जिससे कि अपराधिक मामलों की जॉच, अभियोजन एवं विचारण पक्षपातरहित हो सकें। इसके लिए आवश्यक है कि गवाह एवं उसके परिवार के सदस्यों को पूर्ण रूप से सुरक्षा दी जावें। इस उद्देश्य से राष्ट्ीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा ‘‘साक्षी संरक्षण स्कीम-2018’’ तैयार की गयी है। स्कीम के अंतर्गत किसी साक्षी को सुरक्षा देने के संबंध में नियमानुसार निर्णय लेने के लिए प्रत्येक जिले में ‘‘सक्षम प्राधिकरण’’ का गठन किया गया है। जिसमें माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश को अध्यक्ष, जिले के पुलिस प्रमुख को सदस्य एवं जिला अभियोजन के प्रमुख को सदस्य सचिव बनाया गया है।सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री विवेक शर्मा के द्वारा जानकारी दी गयी कि, इस स्कीम के अंतर्गत ऐसे अपराधों के गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने के संबंध में प्रावधान किये गये है जो मृत्युदण्ड, आजीवन कारावास या सात वर्ष और अधिक अवधि के कारवास से दंडनीय है अथवा भारतीय दण्ड संहिता की धारा 354, 354क, 354ख, 354ग, 354घ, और धारा 509 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है। इस स्कीम के अंतर्गत आवेदन साक्षी अथवा उसके परिवार के सदस्य, साक्षी के अधिवक्ता के द्वारा अथवा अनुसंधान अधिकारी, थाना प्रभारी, उप पुलिस अधीक्षक अथवा जेल अधीक्षक द्वारा किया जा सकता है। आवेदन प्राप्त होने के पश्चात् संबंधित सक्षम पुलिस अधिकारी से प्राप्त खतरा विश्लेषण रिपोर्ट के आधार पर सक्षम प्राधिकरण द्वारा साक्षी को संरक्षण प्रदान किये जाने के संबंध में नियमानुसार उचित आदेश पारित किया जावेंगा जिसका क्रियान्वयन पुलिस अधिकारी द्वारा किया जावेगा। लेकिन यदि साक्षी द्वारा झूठी शिकायत की जाती है तो साक्षी को इस कार्यवाही में होने वाले व्यय के लिए भी उत्तरदायी ठहराया जा सकता है।
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