बच्चियों के लैंगिक शोषण का मामला, पत्रकार प्यारे मियां एवम मो आवेश को मरते दम तक जेल ★ स्वीटी विश्वकर्मा को 20 वर्ष की दिया गया कठोर कारावास★ डॉ हेमन्त मित्तल को हुआ गर्भपात कराने के लिए 5 वर्ष का कठोर कारावास

बच्चियों के लैंगिक शोषण का मामला, पत्रकार प्यारे मियां एवम मो आवेश को मरते दम तक जेल 
★ स्वीटी विश्वकर्मा को 20 वर्ष की दिया  गया कठोर कारावास
★ डॉ हेमन्त मित्तल को  हुआ गर्भपात कराने के लिए 5 वर्ष का कठोर कारावास
                                                            भोपाल।  भोपाल जिले के की विशेष पॉक्सो  न्यायाधीश श्रीमती  कविता वर्मा के न्यायालय ने आज बहुचर्चित कांड में पत्रकार  प्यारे मियां एवम सजे मैनेजर आवेश को नाबालिग का यौन शोषण करने के लिए प्राकृतिक जीवन तक का कारावास एवम जुर्माना स्वीटी विश्वकर्मा को यौन शोषण में सहयोग एवम गर्भपात कराने 20 वर्ष का कारावास एवम जुर्माना एवम  डॉ हेमंत को गर्भपात करने के लिए 5 वर्ष का कारावास एवम जुर्माना  के दंड से दंडित किया गया ,मामले में पैरवी विशेष लोक अभियोजक श्री पी एन सिंह राजपूत द्वारा किया गया । इस बहुचर्चित मामले की सीएम शिवराज सिंह कगातार अपडेट लेते रहे है। 
जनसंपर्क अधिकारी भोपाल संभाग श्री मनोज त्रिपाठी ने बताया कि थाना कोहेफिजा द्वारा अपने थाने में दर्ज अपराध क्रमांक 444/20 अन्‍तर्गत धारा 376, 376(2)(एन) , 376(2-आई), 376(2-च), धारा 342, 506 भादवि तथा लैगिंक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा 5(एल), 5(एन) तथा 6 के प्रकरण में मुख्‍य आरोपी प्‍यारे मिया को दिनांक 01 अगस्‍त 2020 (कुल 05) दिवस की पुलिस अभिरक्षा की मांग की गयी, जिसमें माननीय न्‍यायालय द्वारा आरोपी प्‍यारे मियां की पुलिस अभिरक्षा  दिनांक  30 जुलाई 2020 की दोपहर तक थाना कोहेुफिजा को दी गयी। 



उल्‍लेखनीय है थाना को‍हेफिजा द्वारा अपने यहां दर्ज प्रकरण के संबंध में यह बताया गया कि आरोपीगण द्वारा विगत तीन वर्षो से प्रकरण की पीडिता का यौन शोषण किया जा रहा था पीडिता द्वारा विरोध करने पर पीडिता सहित परिवारजनो को जान से मारने की धमकी आरोपीगण द्वारा दी जाती थी। आरोपी के फ्लैट पर शराब और कई आपत्तिजनक सामग्री मिली थी। छह नाबालिग बच्चियों के शोषण का मामला दर्ज हुए थे। इनमे एक कि मौत भी हो चुकी है।  कोहेफिजा द्वारा  अपराध क्रमांक 444/20 अन्‍तर्गत धारा 376, 376(2)(एन) , 376(2-आई), 376(2-च), धारा 342, 506 भादवि तथा लैगिंक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 की धारा  5(एल), 5(एन) तथा 6 के प्रकरण दर्ज किया गया था, पीड़ित का गर्भपात भी कराया गया था, जिस पर चिकित्सीय गर्भ समापन अधिनियम की धारा 4 एवम 5 बढ़ायी गयी थी।


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