SAGAR : नाबालिग के साथ छेड़छाड़ तथा हत्या का प्रयास के आरोपी को 7 साल की सजा ★ पीड़िता को कुएं में पटककर पत्थरो से मार रहा था आरोपी

SAGAR : नाबालिग के साथ छेड़छाड़ तथा हत्या का प्रयास के आरोपी को 
7 साल की सजा
★ पीड़िता को कुएं में पटककर पत्थरो से मार रहा था आरोपी
 
सागर। न्यायालय-श्रीमान दीपाली शर्मा विषेष न्यायाधीष (लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012), सागर, जिला सागर के न्यायालय ने आरोपी मनोज पिता चैतू काछी(पटैल) उम्र 30 साल, निवासी काछी पिपरिया थाना रहली, जिला सागर को धारा 307 भा.द.सं. में 07 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5000 रूपए के अर्थदण्ड, धारा 8 लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 में 03 साल का सश्रम कारावास एवं 3000 रूपए के अर्थदण्ड, धारा(2)(अ.क) अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में 01 साल का सश्रम कारावास एवं 1000 रूपए के अर्थदण्ड, धारा(2)(अ) अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में 01 साल का सश्रम कारावास एवं 1000 रूपए के अर्थदण्ड से दण्डित करने का आदेश दिया गया। राज्य शासन की ओर से सहा. जिला अभियोजन अधिकारी/विषेश अभियोजक रिपा जैन ने शासन का पक्ष रखा।
 
घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि पीड़िता की मां द्वारा थाना रहली में इस आशय की रिपोर्ट लेख कराई गयी कि दिनांक 07.07.2016 को दोपहर करीब 3 बजे पीड़िता घर से थोड़ी दूर बने कुएं मे से पानी भरने के लिये गयी थी। तभी पीड़िता के भाई ने आवाज लगाई कि मम्मी  मनोज पटैल ने पीड़िता को कुएं में धक्का दे दिया है, जिस पर वह कुएं के पास गई तो देखा कि मनोज पटैल हाथ में पत्थर उठाकर कुंए के अंदर पीड़िता को मार रहा था। पीड़िता का भाई और मां पीड़िता को बचाने के लिए दौडे जिसे देखकर आरोपी मनोज भाग गया। उसी समय पीड़िता के पिता और अन्य लोग वहां आ गए एवं पीड़िता को कुएं से बाहर निकाला। पीड़िता ने बताया कि जब वह कुएं में से पानी भर रही थी उसी समय मनोज ने आकर बुरी नियत से हाथ पकड़ लिया वह हाथ छुड़ाने के लिए चिल्लाई तो मनोज ने जान से मारने की नियत से धक्का देकर कुएं मे गिरा दिया। पीड़िता की मां की उक्त रिपोर्ट के आधार पर प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना उपरांत अभियुक्त के विरूद्ध अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जहां अभियोजन ने महत्वपूर्ण तथ्य प्रस्तुत किये। माननीय न्यायालय द्वारा उभय पक्ष को सुना गया। न्यायालय द्वारा प्रकरण के तथ्य परिस्थितियों एवं अपराध की गंभीरता को देखते हुए व अभियोजन के तर्कों से सहमत आरोपी मनोज को धारा 307 भा.द.सं. में 07 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 5000 रूपए के अर्थदण्ड, धारा 8 लैंगिक अपराधो से बालको का संरक्षण अधिनियम 2012 में 03 साल का सश्रम कारावास एवं 3000 रूपए के अर्थदण्ड, धारा(2)(अ.क) अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में 01 साल का सश्रम कारावास एवं 1000 रूपए के अर्थदण्ड, धारा(2)(अ) अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में 01 साल का सश्रम कारावास एवं 1000 रूपए के अर्थदण्ड से दण्डित करने का आदेश दिया गया।
                                                              

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