टीकमगढ : हत्या के आरोपीगण को आजीवन कारावास
टीकमगढ़। मीडिया सेल प्रभारी एन०पी० पटेल ने बताया कि फरियादी दलपत उर्फ रामकुमार ने दिनांक 08/09/2016 को इस आशय की प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी कि उक्त दिनांक को सुबह करीब 02:30 बजे की बात है वह अपने घर पर था उसी समय शंकरलाल अहिरवार, ब्रजलाल अहिरवार व ब्रजनंदन अहिरवार आये और बोले कि हमारी जमीन में क्यों जाते हो तो उसने कहा कि हमारी जमीन है, हम जमीन पर जाएंगे। हमारे घर के सामने यह तीनों लोग परदिया बना रहे थे तो उसने कहा कि हमारे घर के सामने परिदिया न बनाओ तो शंकरलाल अहिरवार सब्बल, ब्रजलाल गेंती और ब्रजनंदन फावड़ा लिये हुए था तथा शंकरलाल मॉ-बहिन की बुरी-बुरी गालियां देने लगे। गालियां देने से मना किया तो शंकरलाल ने उसके दाहिने हाथ व पैर व पीठ में सब्बल मारी जिससे वह वहीं गिर गया, ब्रजलाल व ब्रजनंदन ने उसे कुईया में पटक दिया वह चिल्लाया तो उसकी पत्नी व पिता बचाने आए। ब्रजलाल ने फरियादिया के पिता किशोरी को सिर में गेंती मार दी जिससे सिर से खून निकल आया एवं ब्रजनंदन ने फरियादी की पत्नी को सब्बल मारी व कुईया में पटक दिया। फरियादी की उक्त रिपोर्ट से थाना पलेरा में अपराध क्र० 232/2016 अंतर्गत धारा 323,294,506,307,34 भादवि के तहत पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया जाकर घटनास्थल का नक्शामौका बनाया गया। आहत किशोरीलाल को इलाज हेतु जिला चिकित्सालय टीकमगढ़ भेजा गया था जहां उसे झांसी रेफर किया गया तथा झांसी से ग्वालियर रेफर किया गया। दिनांक 11.11.2016 को थाना पलेरा में सूचना प्राप्त हुयी कि दिनांक 02.10.2016 को आहत किशोरीलाल की ईलाज के दौरान मृत्यु हो गई है। मृतक किशोरीलाल के शव का परीक्षण कराया गया तथा जांच उपरांत प्रकरण में आरोपीगण के विरूद्ध धारा 302 भादवि का इजाफा कराया गया था। प्रकरण में जब्तशुदा गेंती, फावड़ा, सब्बल आदि को रासायनिक परीक्षण हेतु ग्वालियर भेजा गया था। प्रकरण में संपूर्ण अनुसंधान उपरांत अभियोग पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। माननीय न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश श्री एम.डी. रजक, जतारा द्वारा सत्र प्रकरण में संपूर्ण विचारण पश्चात् पारित अपने निर्णयानुसार हत्या के प्रत्येक आरोपी शंकरलाल अहिरवार, ब्रजनंदन अहिरवार व ब्रजलाल अहिरवार को धारा 302 भादवि में आजीवन कारावास एवं 10000/- (दस हजार) रूपये के अर्थदण्ड, धारा 323 सहपठित धारा 34 (2 काउंट) भादवि में तीन-तीन माह का सश्रम कारावास एवं 1000-1000/-(एक-एक हजार) रूपये के अर्थदण्ड से दण्डित किया गया है। उक्त प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी श्री पी०सी० जैन, अपर लोक अभियोजक द्वारा की गई।
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