हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम के तहत नियमित लोक अभियोजकों को विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त करने के राज्य सरकार के निर्णय को बरकरार रखा
भोपाल। म.प्र. हाईकोर्ट ने अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम के तहत नियमित लोक अभियोजकों को विशेष लोक अभियोजक के रूप में नियुक्त करने के राज्य सरकार के निर्णय को बरकरार रखा है।
18 जनवरी 2022 को म.प्र. शासन विधि एवं विधायी कार्य विभाग भोपाल द्वारा आदेश किया गया कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण अधिनियम) 1989 के अधीन प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए इस अधिनियम की धारा 15 के तहत नियमित उपसंचालक, जिला लोक अभियोजन अधिकारी/ अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी एवं समस्त सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी जिनकी सेवा अवधि 7 वर्ष हो गई है को विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था। उपरोक्त विशेष लोक अभियोजक को अनुसूचित जाति/जनजाति की विशेष न्यायालय में पैरवी के लिए आदेशित किया गया था।
म.प्र. सरकार के उक्त आदेश के विरूद्ध एक रिट याचिका द्वारा एस.पी.पी. विशेष लोक अभियोजक जो पहले से विशेष न्यायालय में राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे थे, के द्वारा राज्य सरकार के उक्त आदेश को चुनौती म.प्र. हाई कोर्ट में दी गई थी जिनकी याचिका को माननीय म.प्र. हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर म.प्र. शासन के आदेश को बरकरार रखने का आदेश पारित किया है।
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