जैन विरासत पर सभी कर सकते है कोर्स : कुलपति प्रो0 आशा शुक्ला
सागर। डाॅ0 बी0आर0अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय, महू के अहिंसा, सौहार्द्र एवं जैन विरासत शोधपीठ द्वारा जैन विरासत में प्रमाण पत्र पाठ्यक्रम शुरू किया जायेगा। यह निर्णय अध्ययनमंडल की आनलाईन बैठक में सर्वसम्मति से लिया गया। बैठक में विस्तार से पाठ्यक्रम की नियमावली, परीक्षा योजना एवं सिलेबस पर चर्चा हुई। सागर मूल के काशी हिन्दू विश्व्विद्यालय मे पदस्थ अध्ययनमंडल के सदस्य उपग्रंथालयी डा0 संजीव सराफ ने कोर्स का व्यापक प्रचार करने का सुझाव दिया।
सागर मूल के विश्वविद्यालय के शोधपीठ समन्वयक प्रो0 सुरेन्द्र पाठक ने बताया कि यह कोर्स 3 माह का होगा तथा इसका शुल्क मात्र एक हजार रूपए होगाा। अध्यक्षता करते हुए माननीय कुलपति प्रो0 आशा शुक्ला ने परामर्श दिया कि कोरोना महामारी के संक्रमण के कारण फिलहाल कक्षाएं आॅनलाईन ही रखी जाये तथा लिखित परीक्षा के स्थान पर आॅनलाईन सेमीनार या मौखिक परीक्षा की रीति अपनायें। आपने कहा कि यह कोर्स सभी के लिए खुला है ।शोभित विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं चैधरी चरणसिंह विश्वविद्यालय मेरठ के पूर्व संकायप्रमुख एवं अध्ययनमंडल के सदस्य प्रो0 सुरेशचंद्र अग्रवाल एवं मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय उदयपुर के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं प्राकृत विशेषज्ञ प्रो0 प्रेमसुमन जैन ने भी कोरोना काल में आॅनलाइन परीक्षा पद्धति का समर्थन किया। सभी सदस्यों ने इसकी अनुमोदना की तथा विश्वविद्यालय की संकायप्रमुख प्रो0 मनीषा सक्सेना ने इसके के्रडिट स्कोर पर विस्तार से प्रकाश डाला। शोधपीठ के मानद आचार्य एवं जैन धर्म के अध्येता कुंदकुंद ज्ञानपीठ के प्रो0 अनुपम ने बताया कि प्रारंभ में इस कोर्स में 50 छात्रों को प्रवेश दिया जायेगा जिसमें निरंतर वृद्धि संभावित है। आपने कहा कि जैन विरासत में इस तरीके का यह पूरे विश्व में संचालित होने वाला एकमात्र कोर्स है जिसमें जैन धर्म एवं इतिहास एवं प्राकृत भाषा एवं साहित्य पर दो प्रश्नपत्र होगे। आपने कहा कि भारतीय संस्कृति श्रमण एवं वैदिक संस्कृतियों का समन्वित रूप है। इस कोर्स से सामाजिक सौहार्द्र विकसित होगा। बैठक मे तकनीकी सहयोग डा0 बिन्दिया तांतेर एवं डाॅ0 बोथरा दिया।
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