हथकरघा दिवस पर कलेक्टर ने किया केंद्रीय जेल का भ्रमण, चलाया चरखा
सागर । राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर कलेक्टर श्री दीपक सिंह ने सागर केंद्रीय जेल पहुंचकर यहां के हथकरघा केंद्र का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि हथकरघा केंद्र तथा केंद्रीय जेल में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में किए जा रहे अन्य प्रयास अत्यंत सराहनीय हैं। सागर केंद्रीय जेल का हथकरघा केंद्र अपने प्रकार का हथकरघा के क्षेत्र में सबसे बड़ा एवं पहला उदाहरण है। यहां सुधार बंदी इस कौशल के माध्यम से न केवल आत्मनिर्भर बन रहे हैं बल्कि, सागर केंद्रीय जेल को देश में एक नई पहचान भी दिला रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय जेल स्थित हथकरघा केंद्र में करीब 54 हैंडलूम मशीनों के द्वारा विभिन्न प्रकार के वस्त्रों का निर्माण किया जा रहा है। इनमें साड़ी, पैंट, शर्ट, रुमाल आदि शामिल हैं। जेल प्रांगण में स्थित आउटलेट/दुकान के माध्यम से इन्हें बेचा जाता है। खादी, ऑर्गेनिक रूई और देसी तरीके से बनाए गए ये कपड़े न केवल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपने को साकार करते नजर आते हैं बल्कि जेल के दूसरे नाम-सुधार ग्रह को भी मूल पहचान का स्वरूप देते दिखते हैं।
कलेक्टर श्री दीपक सिंह ने केंद्रीय जेल सागर के निरीक्षण के दौरान कहा कि, जेल प्रांगण बहुत ही साफ सुथरा है। यहां उद्यानिकी हैंडलूम गौशाला एवं अन्य उद्योगों से कैदियों के व्यवहार एवं दक्षता के विकास के लिए किए जा रहे कार्य प्रशंसनीय है।
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर कलेक्टर श्री दीपक सिंह ने सागर की केंद्रीय जेल स्थित हथकरघा केंद्र पर चरखा चलाना सीखा। धागा बनाया और देखा कैसे बड़ी कुशलता से सुधार बंदी हथकरघा से साड़ी, शर्ट, पैंट, रुमाल आदि विभिन्न वस्त्रों का निर्माण कर सागर जेल को संपूर्ण देश में एक नई पहचान दे रहे हैं।
सागर । राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर कलेक्टर श्री दीपक सिंह ने सागर केंद्रीय जेल पहुंचकर यहां के हथकरघा केंद्र का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि हथकरघा केंद्र तथा केंद्रीय जेल में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में किए जा रहे अन्य प्रयास अत्यंत सराहनीय हैं। सागर केंद्रीय जेल का हथकरघा केंद्र अपने प्रकार का हथकरघा के क्षेत्र में सबसे बड़ा एवं पहला उदाहरण है। यहां सुधार बंदी इस कौशल के माध्यम से न केवल आत्मनिर्भर बन रहे हैं बल्कि, सागर केंद्रीय जेल को देश में एक नई पहचान भी दिला रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय जेल स्थित हथकरघा केंद्र में करीब 54 हैंडलूम मशीनों के द्वारा विभिन्न प्रकार के वस्त्रों का निर्माण किया जा रहा है। इनमें साड़ी, पैंट, शर्ट, रुमाल आदि शामिल हैं। जेल प्रांगण में स्थित आउटलेट/दुकान के माध्यम से इन्हें बेचा जाता है। खादी, ऑर्गेनिक रूई और देसी तरीके से बनाए गए ये कपड़े न केवल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सपने को साकार करते नजर आते हैं बल्कि जेल के दूसरे नाम-सुधार ग्रह को भी मूल पहचान का स्वरूप देते दिखते हैं।
कलेक्टर श्री दीपक सिंह ने केंद्रीय जेल सागर के निरीक्षण के दौरान कहा कि, जेल प्रांगण बहुत ही साफ सुथरा है। यहां उद्यानिकी हैंडलूम गौशाला एवं अन्य उद्योगों से कैदियों के व्यवहार एवं दक्षता के विकास के लिए किए जा रहे कार्य प्रशंसनीय है।
राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर कलेक्टर श्री दीपक सिंह ने सागर की केंद्रीय जेल स्थित हथकरघा केंद्र पर चरखा चलाना सीखा। धागा बनाया और देखा कैसे बड़ी कुशलता से सुधार बंदी हथकरघा से साड़ी, शर्ट, पैंट, रुमाल आदि विभिन्न वस्त्रों का निर्माण कर सागर जेल को संपूर्ण देश में एक नई पहचान दे रहे हैं।