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सपन्नता के साथ सद्बुद्धि होना ही मगवत कृपा : नागरजी, ★ श्रीमद भागवत कथा का आयोजन

सपन्नता के साथ सद्बुद्धि होना ही मगवत कृपा : नागरजी, 
★ श्रीमद भागवत कथा का आयोजन






सागर | संपन्नता के साथ सद्बुद्धि यदि हो तो यह बहुत बड़ी बात है क्योंकि दोनों का साथ कम ही होता है । सम्पन्नता के साथ यदि सद्‌बुद्धि है तो समझो यह प्रभु की कृपा है। धनी, सञ्चन्न लोग यदि धर्मीक्षा और जो हुआ में आगे आएं तो कागजकी गाय भी नहीं करेगी। उक्त अमृत वचन संत श्री कमल किशोर नागर ने ग्राम पटकई बाराए में श्रीम भागवत कथा के प्रथम डिवस श्रद्धालुओं के समझ व्यक्त किए। कथा के प्रारंभ से पूर्व मध्य कलश यात्रा पर निकाली गई।
श्रीमद भागवत कथा का श्रद्धालुओं को रसास्वादन कराते हुए संत कमल किशोर नागर ने कहा कि यदिगाय कर रही हैं तो इसका सारा पाप उन घनवानों को लगेगा जो इन्हें बचाने का कार्य कर सकते हैं। श्री नागरजी ने कहा कि अपनी संपूर्ण जीविका चलाते हुए मी ठाकुरजी को थोड़ा समय अवश्य देना। अगर ठाकुरजी को समय दोगे तो तुम्हें हाथों हाथ वापस भी मिलेगा। भगवान को जब घाव हुआ तो दोपडी ने अपनी साड़ी फाड़कर पट्टी बांधी और समय पर भगवान ने इतनी बड़ी साठी लोटाई कि दुःशासन स्वीचते थक गया। भगवान पर हमेशा मरोसा रखो। रखीचते संत श्री नागर जी ने कहा कि जीवन में तीन जगह समय अवश्य दो प्रथम जिसका समय खराब चल रहा तो इससे आपका खराब, दुखी समय से परिचय हो जाएगा दूसरा जो बीमार हो, उसका हालचाल जारा पूछना इससे आपका बीमारी से परिचय हो जाएगा, तीसरा घर में यदि कोई बुजुर्ग पलंग पर पड़ा हो तो उसे समय अवश्य देना तो आपका कभी बुढ़ापा नहीं बिगड़ेगा।

संत श्री ने कहा कि पुगवान बनने पर लोग पुड को सौभाग्य शाली मानते है लेकिन पहले इसका अनुभव तो लो । पुत्रवान तो बन सकते हो लेकिन पुण्यवान बनो । एकाघ पुत्रही अच्छा हो सकता है। यदि पुत्र अच्छा है तो आपका पुण्य अच्छा है। क्योंकि आज के हालात ऐसे है कि पिता वाकर पकड़कर चल रहा है और पुत्र कुत्ते की सोकल पकड़कर चल रहा है। जिस संतान के लिए हम जीवन लगा देते हैं और जब हम थक जाते हैं हमें उनके सहारे वी जायत होती है तब कहा जाता है अपना देख लो। यह ध्यान रखो जिसको समय दे रहे हो वह अलग हो जाएंगे और जिसे यानि भगवन को समय नहीं दे रहे वहीं साथ निभाएंगे | अतः‌भगवत को समय दें।




संत श्री नागर जी ने कहा कि श्रीमद भागवत कथा मोस का ग्रंथ है। इसको सुनने धुंधकाटी जैसे दुष्ट, अत्याचारी को मोक्ष प्राप्त हुआ। उन्होंने कहा कि सुख डाव, धन के पीछे भागने की बजाए भगवान के पीछे भागो उसी से मोक्ष मार्ग मिलेगा। उन्होंने कहा कि भारत विद्वानों को देश है बुद्धिमानों का नहीं। विद्वानों को परमपिता की कृपा प्राप्त होती है और बुद्धिमानों को सबकुछ पैसा है! उन्होंने हम दुधमनों को तो बार्डर पर रोक रहे हैं लेकिन फैशन तेजी से भारत में घुस रहा है और संस्कृति कोनष्टकर रहा है। इसे रोकना होगा।

 कलश यात्रा -

श्री मङ् भागवत कथा के पूर्व पटवुई स्थित हरिहर मंदिर परिसर से गाजे बाजे के साथ कलश यात्रा निकाली गई मुख्य यजमान श्रीमती राम श्री एवं श्याम बाबू केशरवानी सिरदर श्रीमद भागवत जी लेकर चल रहे थे। पीताम्बर बस्त्रों में सजी महिलाएं सिर पर कलश लिए मंगल गान करती चल रही थी। इस अवसर पर राजेश के शरवानी, सोहन मोहन केशरवानी, विधायक प्रदीप लारिया, राजकुमार धनौरा, मदनसिंह राजपूत, राकेशराय बेगमगंज, कृष्ण मोहन माहेश्वरी, राजेन्द्र बाकोरी, इंद्रजीत सिंह, जगदीश गुर, मोनू यादव, अनिल साहू, सौटम केशरवानी, रवीन्द्र चौरसिया, ओम प्रकाश केशरवानी, योगेन्द्र केशरवानी, कपिल केशरवानी, नितिन राय, प्रवीण आदि उपस्थित थे।




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