वक्ता से सुधर जाओगे तो बुरा वक्त नहीं आएगा: नागर जी ★ श्रीमद् ज्ञानगंगा भागवत कथा का आयोजन ★ जय कन्हैयालाल की, के उद्घोष से गूंजा कथा पंडाल, भजन संकीर्तन पर जमकर नाचे श्रद्धालु

वक्ता से सुधर जाओगे तो बुरा वक्त नहीं आएगा: नागर जी

★ श्रीमद् ज्ञानगंगा भागवत कथा का आयोजन
 ★ जय कन्हैयालाल की, के उद्घोष से गूंजा कथा पंडाल, भजन संकीर्तन पर जमकर नाचे श्रद्धालु








सागर । कोई भी अच्छी बात कहे चाहे वह छोटा हो या बड़ा हो तो उसकी बात मानना चाहिए| वक्त और वक्ता में से वक्ता  से सुधर जाओगे तो कभी बुरा वक्त नहीं आएगा| मन को गुरु बनाया तो मन की सुनोगे और मनमानी करोगे इसलिए मन मुखी नहीं हमेशा गुरुमुखी बनो| वह तुम्हें हमेशा सही रास्ता दिखाएगा| उक्त अमृतमय  उद्गार संत श्री कमल किशोर नागर जी ने ग्राम पटकुई बरारू स्थित वृंदावन धाम में श्रीमद् भागवत कथा के दौरान श्रद्धालुओं के समक्ष व्यक्त किए |
संत श्री नागर जी ने कहा कि जब हम गाड़ी चलाते हैं और रास्ते में कोई मोड़ आ जाए, तो रुकना या धीमा होना पड़ता है लेकिन फिर गति पकड़ लेते हैं| उसी तरह जीवन में कभी कोई मोड़ आ जाए, जीवन की गाड़ी में थोड़ा ब्रेक लग गया, तो समझना कि कुछ बिगड़ा है, इसलिए गाड़ी रुकी है| ईश्वर ने आपको रोककर शायद सही दिशा दिखाने का कार्य किया है| मोड़ पर जीवन खत्म नहीं होता, बल्कि हमें दिशा मिलती है, इसलिए जीवन में आए ब्रेक को भगवान का प्रसाद समझना, उसका साथ नहीं छोड़ना और कभी  नास्तिक मत बनना| प्रभु में सदा आस्था रखना| तुलसीदास जी यदि अपनी पत्नी के वियोग में ससुराल नहीं जाते तो उन्हें भगवान राम कभी नहीं मिलते| यह उनके जीवन का मोड था| संत श्री ने कहा कि कोई भी आपसे कुछ भी बोले उसे दुश्मन नहीं मानना, उसके बोले पर विचार अवश्य करें कि उसकी क्या इच्छा है, बोलने वाले को पूरा मौका दो |


संत नागर जी ने हजारों उपस्थित श्रद्धालुओं को अपने अमृत वचनों से भाव विभोर करते हुए कहा कि गुरु तो शब्द है, शरीर शब्द नहीं हैं| जिसकी सोच अच्छी है वह पंडित है, जिसका स्वभाव अच्छा है वह संत है जिसका शब्द अच्छा है वह गुरु है |सिर्फ पीले या भगवा वस्त्र पहनने से संत नहीं बन सकते |संत बनने के लिए सरल स्वभाव जरूरी है |कपड़ा बदलने से नहीं कर्म बदलने से ही संत बना जा सकता है|कपड़ा बदलना आसान है पर कर्म बदलना मुश्किल है | नागर जी ने कहा कि सदा एक से रहो, ज्यादा चमक दमक में पढ़ोगे तो पाप अवश्य करोगे |चमक तो सूर्य ,चंद्र और अग्नि की भी स्थाई नहीं है, वह भी आते हैं और डूब जाते हैं| इसलिए चमक में नहीं ,भगवान के भजन में विश्वास करोगे तो तुम्हारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा |संत श्री ने कहा कि भगवान से यही प्रार्थना करो कि मुझे तुलसी ,वाल्मीकि, ध्रुव, प्रहलाद जैसा बनाना |श्री कृष्ण की 16 हजार 108 पट रानियां थी |उन्होंने कृष्ण से शादी नहीं की ,सिर्फ कृष्ण का पल्ला पकड़ा क्योंकि कृष्ण पतित पावन है| पल्ले से पत्नी ही नहीं पुण्य भी बनता है |एक पल्ले पर यदि परिवार को बांध रखा है, तो दूसरे पल्ले  पर  पुण्य बांध लोगे तो संतुलन बना रहेगा |जो मिला उसमें ही संतोष करो ,जो भगवान ने दिया अच्छा दिया| बस भगवान का पल्ला पकड़े रहो|

तेरहवा काम नहीं तेरहवीं में विश्वास: -

संत कमल किशोर नागर जी ने कहा मनुष्य के जीवन में 13 कार्य स्वयं करना पड़ते हैं |मनुष्य को भोजन, प्यास, खांसी ,नींद, छींक, जम्हाई ,दुख ,सुख, रोना  हंसना, नित्य क्रिया ,पीड़ा सहना एवं भोजन का कार्य स्वयं करना पड़ता है| मनुष्य 12 कार्य तो कर रहा है लेकिन तेरहवा कार्य (भजन) की बजाए तेरहवीं करने में लगा है| जीवन में जिस तरह तुम्हारे 12 कार्य कोई नहीं कर सकता ,उसी तरह तुम्हारे हक़ का भजन भी कोई नहीं कर सकता |भगवान को पाने के लिए भजन स्वयं को करना पड़ेगा इसलिए तेरहवी में नहीं तेरहवें कार्य में विश्वास करो|
 भगवान को देखने में नहीं सुनने में विश्वास करो :-
संत नागर जी ने कहा कि सुखदेव जी की कथा में विशेषता यह है कि गोविंद आते हैं| जिस कथा में गोविंद आए उसे छोड़ना मत| 16 वर्ष के सुखदेव की कथा उनके 87 वर्षीय पिता भी सुनते हैं| उसका कारण यह था कि पिता ने कथा का वर्णन तो कर दिया परंतु आत्मज्ञान प्राप्त नहीं कर सके| भगवान को पाने के लिए आत्मज्ञान जरूरी है| लोग कहते हैं कि हमें भगवान दिखता नहीं है, वह हमें इसलिए नहीं दिखता कि हमारी आंख, हमारा दृष्टिकोण ठीक नहीं| हमारे कर्म, दृष्टि ,शरीर सब खराब फिर भी हम प्रभु को देखने की इच्छा रखते हैं| जिस नजर से ठाकुर जी हमें देख रहे हैं यह नजर हममे नहीं है| कर्म अच्छे करोगे तो वह तुम्हें देख रहा है, उसे देखने की लालसा की वजह , भजन की लालसा रखो| जितना ईश्वर को भजने में आनंद है ,उतना उसे देखने में नहीं। राम| ने रावण को 85 दिन तक देखा ,लेकिन वह दृष्टि ठीक नहीं थी|

वक्त का इंतजार मत करो :--

संत ने कहा कि वक्त का कभी इंतजार मत करो |वक्त  उलट पलट कर देता है| वक्त खतरनाक होता है| ठोकर खाकर सुधरोगे तो मजा नहीं आएगा| उसके पहले ही सुधर जाए ,तो जीवन का आनंद अलग होगा और यह भजन से ही संभव है| भगवान से शिकायत रहती है कि वह देर करता है |भगवान देर तो करता है लेकिन अंधेर नहीं करता |वह यह चाहता है तुम्हारी टेर बंद ना हो जाए| दिशा एक रखना चाहे दशा भले ही बदल जाए |जिस का भजन अखंड है, उसका भगवान अखंड है| जहां कथा पंडाल हो वहां समझो छोटा भारत है| और जहां भारत है वहां भगवान है|


 हर्षोल्लास से बनाया कृष्ण  प्रकटोत्सव :
श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान गंगा सप्ताह के चतुर्थ दिवस श्री कृष्ण प्रकटोत्सव  धूमधाम से मनाया गया| नंद बाबा, बालस्वरूप कृष्ण को जब टोकरी में रखकर मंच पर पहुंचे तो पूरा पंडाल जय कन्हैयालाल की, हाथी घोड़ा पालकी के उद्घोष से गूंज उठा | श्रद्धालुओं ने नाच गाकर एवं भजन के उद्घोष के बीच हर्षोल्लास से प्रकट उत्सव मनाया| इस अवसर पर कथा पंडाल को वंदन वारो ,कलश ,पुष्पमालओ से आकर्षक रूप से सजाया गया था|
 इस अवसर पर मुख्य यजमान श्रीमति राम श्री, श्याम केशरवानी ,खनिज विकास निगम उपाध्यक्ष राजेंद्र सिंह मोकलपुर ,पंडित सुशील तिवारी ,राकेश राय ,मदन सिंह राजपूत ,जगदीश गुरु ,श्रीमती शीला देवी गुरु,प्रज्ञा गुरु, विनोद गुरु ,श्रीमती मधु गुरु ,विक्रम ,विट्ठल, आदित्य, प्रद्युम्न गुरु आदि उपस्थित थे।




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