जेंडर संवेदनशीलता सभ्य समाज का आत्मदर्पण है : कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता


जेंडर संवेदनशीलता सभ्य समाज का आत्मदर्पण है : कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता  

सागर. 09 दिसम्बर. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में कार्यस्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न के संबंधी अधिनियम के आठ वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने पुरुष छात्रावास में छात्रावासियों को संबोधित करते हुए कहा कि कोई भी समाज स्त्री और पुरुष के सच्चे और सम्मानयुक्त समुच्चय से ही प्राणवान होता है। आधुनिक समय में स्त्रियां पुरुषों के साथ हर क्षेत्र में काम कर रही हैं। ऐसे में कार्यस्थल पर उनके मान-सम्मान के प्रति सामूहिक संवेदनशीलता न सिर्फ कानूनी तौर पर बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक तौर पर भी हमें ज्यादा मानवीय और सुसभ्य बनाएगी। इस अवसर पर प्रो अम्बिकादत्त शर्मा ने कहा कि अपने साथ काम कर रही महिलाओं को उनकी गरिमा के साथ मनुष्य रूप में स्वीकार करना एक न्यायोचित कर्तव्य है। 
कार्यस्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न के संबंधी अधिनियम पर आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ के तत्त्वावधान में आयोजित परिचर्चा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिला न्यायाधीश एवं विधिक सेवा प्राधिकरण, सागर के सचिव विवेक शर्मा ने कहा कि कार्यस्थल पर महिलाओं के लैंगिक उत्पीड़न के निवारण और प्रतिषेध संबंधी यह अधिनियम सभी को पढ़ना चाहिए। उन्होंने इस अधिनियम के महत्त्वपूर्ण प्रावधानों को विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने कहा कि कार्यस्थल में निजी, घरेलू, सरकारी अथवा अन्य सभी तरह का कार्यस्थल सम्मिलित है। प्रत्येक संस्था को आंतरिक शिकायत प्रकोष्ठ का गठन करना चाहिए। यदि कहीं प्रकोष्ठ नहीं है तो शिकायत के लिए स्थानीय शिकायत प्रकोष्ठ का गठन किया जाना चाहिए। अधीनस्थ महिला कर्मियों से यौनिक प्रकृति के किसी भी प्रतीक का इस्तेमाल किया जाना अपराध की श्रेणी में आता है।  उन्होंने आंतरिक समिति के गठन की संरचना के साथ ही शिकायत की प्रक्रिया, अवधि, समझौते की प्रक्रिया आदि के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। 

तीनबत्ती न्यूज़. कॉम

के फेसबुक पेज  और ट्वीटर से जुड़ने  लाईक / फॉलो करे


https://www.facebook.com/तीनबत्ती-न्यूज़-कॉम-107825044004760/


ट्वीटर  फॉलो करे

https://twitter.com/Teenbattinews1?s=08


वेबसाईट

www.teenbattinews.com


विशिष्ट अतिथि महिला थाना प्रभारी सुश्री संगीता सिंह ने कार्यस्थल पर होने वाले लैंगिक उत्पीड़न के संबंध में थानों में होने वाली कार्यवाहियों से अवगत कराया. उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर यह ध्यान रखना चाहिए कि ऐसे शब्द या व्यवहार नहीं किये जाएँ जिससे स्त्री की लज्जा भंग हो. उन्होंने काउंसिलिंग और शिकायत के संबंध में ऐसे कई उपाय बताये जिससे महिलाएँ लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत निर्भय होकर कर पायें. आकस्मिक परिस्थिति में सुरक्षा के लिए उपयोग किये जाने नंबर, निर्भया एप आदि के बारे में उन्होंने अहम जानकारियाँ दीं.   
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति ने विश्वविद्यालय में क्रियाशील प्रकोष्ठ की सराहना करते हुए कहा कि इस विश्वविद्यालय में छात्र-शिक्षक-कर्मचारी-अधिकारियों के बीच सौहार्दपूर्ण रिश्ता है यह प्रसन्नता की बात है. फिर भी हमें इस अधिनियम के महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं को सभी की जानकारी में लाने के लिए प्रयास करने चाहिए. साथ ही जेंडर संवेदनशीलता के लिए जागरूकता कार्यक्रम और कार्यशाला भी आयोजित किये जाना चाहिए. 
स्वागत भाषण प्रकोष्ठ की चेयरमैन प्रो. निवेदिता मैत्रा ने दिया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनुपमा सक्सेना ने किया. आभार प्रो. पी.पी. सिंह ने ज्ञापित किया. इस अवसर पर प्रो. अम्बिकादत्त शर्मा, प्रो. अस्मिता गजभिये, उपकुलसचिव सतीश कुमार, डॉ. आशुतोष, डॉ. राघवेन्द्र सिंह, डॉ. अरविन्द कुमार, डॉ नीलू रावत, सुश्री नंदी पटौदिया, डॉ. अनुराग श्रीवास्तव, डॉ. राकेश सोनी, डॉ संजय शर्मा सहित काफी संख्या में शोधार्थी व विद्यार्थी उपस्थित थे.      
 
सांस्कृतिक समन्वयक डॉ. राकेश सोनी के निर्देशन में इसी मुद्दे को रेखांकित करता हुआ नाटक 'खामोश अदालत जारी है' का दृश्य प्रदर्शन किया गया.
Share:

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

Archive