भूविज्ञान के विद्यार्थियों का अनूठा फील्ड-कैम्प विभाग की गौरवशाली परम्परा का द्योतक है: कुलपति
सागर. 23 दिसंबर. डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर की कुलपति प्रो नीलिमा गुप्ता ने व्यावहारिक भूविज्ञान विभाग द्वारा हीरापुर के समीप मड़देवरा ग्राम की हाई स्कूल के प्रांगण में एम. टेक. द्वितीय सेमेस्टर के छात्रों के 'फील्ड ट्रेनिंग कैम्प' का विस्तरित अवलोकन किया. उन्होंने छात्र-छात्राओं से उनकी ट्रेनिंग की सम्पूर्ण जानकारी ली और उन्हें संबोधित करते हुए कहा कि नैसर्गिक वातावरण मे ऐसी अनूठी ट्रेनिंग, जिसमें दस छात्राएं भी भाग ले रही हों, विद्यार्थियों को एक बेहतरीन भूवैज्ञानिक बनाने हेतु बहुमूल्य हैं. इस अवसर पर विभाग के प्रो. पी के कठल व प्रो. आर के रावत भी उपस्थित थे.
गौरतलब है कि सागर विश्वविद्यालय का व्यावहारिक भूविज्ञान विभाग हर वर्ष एक 30 दिवसीय 'फील्ड ट्रेनिंग कैम्प' का आयोजन करता है जोकि देश में अपनी तरह का अनूठा है. इससे विद्यार्थियों को गहन प्रशिक्षण दिया जाता है. इसी प्रशिक्षण के चलते विभिन्न भूवैज्ञानिक विभागों/संस्थानों, जैसे भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, परमाणु खनिज विभाग, ओ एन जी सी, केंद्रीय भूमि जल बोर्ड आदि में सर्वाधिक संख्या में चयन हो पाता है.
कैम्प इंचार्ज प्रो. आर के त्रिवेदी व डॉ. जी के सिंह ने बताया कि कैम्प एक माह तक चलेगा. कैम्प में ही विद्यार्थियों को रिपोर्ट बनानी होती है जिसकी परीक्षा भी कैम्प में ही हो जाती है. इस भ्रमण के दौरान कुलपति महोदया ने हाई स्कूल के विद्यार्थियों को भी संबोधित करते हुए उन्हें उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया.
विश्वविद्यालय: पचीस से अधिक नाड़ी वैद्य करेंगे देशी पद्धति से इलाज
स्वदेशी ज्ञान अध्ययन केंद्र में 24 एवं 25 दिसंबर को पारम्परिक चिकित्सा शिविर का आयोजन
डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर में स्वदेशी ज्ञान अध्ययन केंद्र का शुभारंभ किया जा रहा है. इस अवसर पर दो दिवसीय पारम्परिक चिकित्सा शिविर का भी आयोजन किया गया है. बालक छात्रावास के आख़िरी छोर पर स्थित बी-वन भवन में स्वदेशी ज्ञान अध्ययन केंद्र का विधिवत शुभारंभ दिनांक 24 दिसम्बर 2021 को प्रातः 11 बजे विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता के कर-कमलों द्वारा होगा. इसी के साथ ही दिनांक 24 एवं 25 दिसम्बर 2021 को पारम्परिक चिकित्सा शिविर भी आयोजित किया जा रहा है. जिसमें पारंपरिक चिकित्सा पद्धति के विशेषज्ञ आमंत्रित किये गये हैं. यह आयोजन भाभा छात्रावास परिसर के समीप स्थित बी-वन भवन में किया जा रहा है. सागर और आस-पास के लोग भी इस पारंपरिक चिकित्सा शिविर में सहभागिता कर लाभ ले सकते हैं.
केंद्र के प्रभारी प्रो. के.के.एन. शर्मा ने बताया कि शिविर में मध्य प्रदेश तथा छत्तीसगढ़ राज्य से पचीस परम्परागत चिकित्सक शामिल हो रहे हैं जो कमर दर्द, पैर दर्द, पेट दर्द, पेचिस, स्पोंडलाइटिस, ल्यूकोरिया, कमजोरी, पथरी, आँखों के जालों की सफाई, त्वचा रोग, माइग्रेन, ब्लड प्रेशर, बवासीर आदि सहित कई रोगों का नाड़ी परीक्षण से पहचान कर जड़ी-बूटियों से उपचार करेंगे. इसके अलावा एक्यूप्रेशर के विशेषज्ञ भी शिविर में शामिल हो रहे हैं. पूर्व में केंद्र द्वारा शहर के चकराघाट, भाग्योदय अस्पताल, विश्वविद्यालय परिसर में गौर समाधि स्थल एवं मानव विज्ञान विभाग परिसर में इस तरह के शिविर आयोजित किये जा चुके हैं जिसमें शहर और आस-पास के काफी संख्या में लोग लाभान्वित हुए थे.
उन्होंने बताया कि केंद्र द्वारा इस तरह की चिकित्सा शिविरों का आयोजन लगातार किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि वर्तमान समय में पूरी दुनिया का आकर्षण परंपरागत चिकित्सा की तरफ है. उन्होंने बताया कि मास्क के प्रयोग की अनिवार्यता के साथ कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए जनसमुदाय शिविर में सहभागी हो सकते हैं. कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता और केंद्र प्रभारी प्रो. के.के. एन शर्मा ने इस शिविर में ज्यादा से ज्यादा सहभागिता करने और लाभ लेने की अपील की है.
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें