प्रेम को व्याख्यायित करते बेजोड़ साॅनेट्स - डॉ.शरद सिंह ★ अनुवाद भाषाई सीमाओं का अतिक्रमण करने में एक महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेप होता है - डॉ.नवीन कानगो ★ वनमाली सृजन पीठ के आयोजन में हुआ "ओ प्रिया!!!" का‌ लोकार्पण

प्रेम को व्याख्यायित करते बेजोड़ साॅनेट्स - डॉ.शरद सिंह
★ अनुवाद भाषाई सीमाओं का अतिक्रमण करने में एक महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेप होता है - डॉ.नवीन कानगो
★ वनमाली सृजन पीठ के आयोजन में हुआ "ओ प्रिया!!!" का‌ लोकार्पण 

सागर।  देश भर में अपने विशिष्ट आयोजनों के लिए चर्चित साहित्य, संस्कृति और सृजन के लिए समर्पित वनमाली सृजन पीठ के नवस्थापित सागर केंद्र के कार्यक्रमों की शुरूआत रविवार को आदर्श संगीत महाविद्यालय में नोबल पुरस्कार विजेता कवि पाब्लो नेरुदा की पुस्तक हंड्रेड सॉनेट ऑफ लव की हिंदी में अनुदित पुस्तक "ओ प्रिया!!!" के लोकार्पण परिचर्चा से हुई। पुस्तक पर अपने समीक्षा वक्तव्य में प्रमुख वक्ता प्रोफेसर नवीन कानगो ने कहा "ओ प्रिया!!" मूलतः स्पैनिश में लिखी एक कालजयी कृति का हिंदी अनुवाद है। अनुवाद भाषाई सीमाओं का अतिक्रमण करने में एक महत्त्वपूर्ण हस्तक्षेप होता है।  एक सफल और सशक्त अनुवाद की पहचान है कि आपको मूल कृति की खुशबू गाहे-बगाहे आती रहे।उन्होंने अनुवादकर्ता विनीत मोहन जी के इस प्रयास को सफल बताते हुए कहा कि  उन्होंने  मूल पुस्तक के  भाषा के शिल्प, बिम्बों के प्रयोग एवं भौगोलिक एवं सांस्कृतिक चिन्हों को बेहतरीन ढंग से संजोया है।
उन्होंने संकलन के पहले सॉनेट 'माटिल्डा : नाम एक पौधे या एक चट्टान या एक मदिरा का' और जग प्रसिद्ध  सत्रहवें सॉनेट' आई डू नॉट लव यू एस इफ यू वेयर ए सॉल्ट रोज़ ऑर  टोपाज' की मूल कृति और अनुवाद का सुरुचिपूर्ण वाचन भी किया।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर निवेदिता मैत्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि पाब्लो नेरुदा बीसवीं सदी के सबसे लोकप्रिय कवियों मे से एक हैं।1904 ई में जन्मे नेरुदा ने काव्य और गद्य दोनों क्षेत्रों मे अपनी अलग छाप छोड़ी है। उनकी खासियत अपनी कविताओं से आशा उत्पन्न करना रहा है। उन्होनें सत्य को प्रस्तुत करने की बजाय, प्रकृति मे उपस्थित चिन्हों को प्रतुत किया, जिन्हें समझकर, आकलन कर फिर से नये चिन्ह बनाये जा सकते हैं। उन्होने प्रकृति का एक स्त्री के रूप मे मानव चेतना और संवेदना को प्रस्तुत करने के लिए उपयोग किया और इस प्रयास में उन्होनें स्त्री को अध्यात्मिक स्तर पर उठाया और उसे ब्रह्मांड की अन्तर चेतना के रूप मे स्थापित किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही वनमाली सृजन पीठ केंद्र सागर की अध्यक्ष डॉ.सुश्री शरद सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि ''ओ प्रिया'' अनूदित होते हुए भी पाब्लो के मौलिक साॅनेट्स का आनन्द दे पाने में सक्षम है। यूं भी अनुवाद कार्य दो भाषाओं, दो साहित्यों और दो भिन्न संस्कृतियों को जोड़ने का कार्य करता है। इतना श्रेष्ठ अनुवाद करके विनीत मोहन औदिच्य ने हिन्दी साहित्य और लैटिन अमरीकी साहित्य के बीच एक सृदृढ़ सेतु तैयार किया है। यह काव्य संग्रह न केवल पठनीय अपितु संग्रहणीय भी है। विशिष्ट अतिथि बुनियाद संस्था सागर की सचिव संस्कृतिविद् डॉ.कविता शुक्ला ने विनीत मोहन के द्वारा किए गए अनुवाद की सराहना करते हुए अपने विचार व्यक्त किए।
पुस्तक के अनुवादक विनीत मोहन औदिच्य ने अपने
सारगर्भित वक्तव्य में वनमाली का आभार व्यक्त करते हुए अनुवाद करने हेतु पाब्लो नेरुदा की पुस्तक का चयन करने ‌की प्रेरणा और इस प्रक्रिया में प्राप्त अनुभवों को जीवन का बेशकीमती उपहार रेखांकित किया।इस अवसर पर वनमाली सृजन पीठ, श्यामलम्, पाठक मंच, श्रीराम सेवा समिति, श्रुति मुद्रा, महिला लेखिका संघ,स्वर संगम सहित अनेक शुभेच्छुओं ने अनुवादक विनीत मोहन औदिच्य का शाल, श्रीफल, पुष्पमाला भेंटकर अभिनंदन किया। वनमाली सदस्य शुभम उपाध्याय रंगकर्मी ने अनुवादक विनीत मोहन के जीवन परिचय का वाचन किया।
कार्यक्रम का शानदार संचालन करते हुए वनमाली परिवार के वरिष्ठ सदस्य सहा.प्राध्यापक डॉ.आशुतोष‌
ने वनमाली सृजन पीठ की गतिविधियों और भविष्य में किए जाने वाले कार्यक्रमों पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला।
कार्यक्रम का प्रारंभ सरस्वती पूजन से हुआ। वनमाली संस्था के सदस्य कवि‌ डॉ.नलिन जैन ने मधुर स्वर में सरस्वती वंदना की। वनमाली सृजन पीठ सागर केन्द्र के संयोजक उमाकांत मिश्र ने स्वागत वक्तव्य दिया तथा सभी अतिथियों का पुष्पहार व स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया । आभार प्रदर्शन संस्था के सदस्य कवि डॉ.नलिन जैन ने किया। 
इस अवसर पर शिवरतन यादव, डॉ.दिनेश अत्रि, आशीष ज्योतिषी,हरिसिंह ठाकुर,आर के तिवारी, डॉ.शशि कुमार सिंह,डॉ.आर आर पाण्डेय, डॉ.जी एल दुबे, डॉ.अमर जैन,डॉ. चंचला दवे, जयंती सिंह लोधी, सरला‌ मिश्रा,ममता भूरिया,अल्का सिद्धार्थ‌ शुक्ला, दिशा अत्रि, डॉ.मनोज श्रीवास्तव,उदय खेर, डॉ.अशोक कुमार तिवारी, पी आर मलैया,वीरेंद्र प्रधान, अशोक तिवारी अलख,हरी शुक्ला, रमाकांत शास्त्री, संतोष पाठक, मुकेश तिवारी,डॉ. विनोद तिवारी, रमेश दुबे, आदर्श दुबे, अखिलेश शर्मा, डॉ.अरुण पंडा, अमित मिश्रा, अविनाश देसाई, मुकेश निराला,ग्रिजेश कुमार मिश्रा, डॉ.ऋषभ भारद्वाज,विजय रंजन श्रीवास्तव, अमन औदिच्य सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
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