पाली में प्रियंका .. वो बंद गली का आखिरी मकान....
★ रिपोर्टर डायरी / ब्रजेश राजपूत
सीधे चलते चलते पहले सड़क किनारे का बडा बाजार फिर संकरी होती सडक के कारण छोटा बाजार और आखिर में कच्चे पक्के मकान आने लगे। खाद बोलते ही सब वैसा ही इशारा करते जैसा मेन रोड पर उस व्यक्ति ने किया था। थोडी दूर पर पुलिस की गाडियां और कांग्रेस के कुर्ते पजामे में सजे संवरे नेता दिखने लगे थे। ये संकरी सी गली थी जिसके आखिरी में पीएम आवास के सामने पुलिस वालों के घेरे में मोबाइल धारी हमारे स्टिंगर साथी खडे थे।
बीच बीच में पुलिस के थानेदार साब वहां सबको लाइन में खडे रहने की ताकीद कर चले जाते। उस संकरी सी गली में जहां दोनों तरफ पुलिस कांग्रेसी कार्यकर्ता और मीडिया वाले खडे हों वहां कितनी सी जगह होगी प्रियंका गांधी के आने के लिये। जी हां कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लखनऊ से रात में चलकर सुबह सात बजे ललितपुर आ गयीं थीं और पाली आकर उन किसानों के परिजनों से मिलना चाह रहीं थी जिन किसानों ने खाद की किल्लत में जान गंवायी या मौत को गले लगाया। ये किसान आस पास के गांवों के थे इसलिये पाली के वल्लू पाल के इस छोटे से घर में सबको बुला लिया गया था।
उस एक कमरे के बिना छपाई वाले पीएम आवास में मैंने झांक कर देखा तो कुछ महिलाएं एक दो पुरूप और सिर घुंटाये दो बच्चे दरी बिछाकर बैठे हुये थे। थोडी देर बाद ही सफेद इनोवा गाडी से प्रियंका आती है उनके समर्थन में कुछ उत्साही नारे लगाते हैं तो उनको रोका जाता है कि समझो तो कहां आयीं हैं दीदी। प्रियंका उस छोटे से घर में जाती हैं और वहीं दरी पर बैठकर सबसे बात करती हैं। उनकी टीम के सदस्य उन सारे विजुअल्स को सोशल मीडिया पर लाइव करते है और हमारे टीवी चैनलों पर वो वीडियो सीधे चलने लगते है ब्रेकिंग न्यूज की पटटी के साथ।
इधर बाहर खडी कार्यकर्ताओं ओर मीडिया की भीड बेसब्र होती है प्रियंका आयेंगी तो कहां से बाइट मिलेगी वो कहां खडी होंगी तो हम कहां खडे होंगे माइक कौन पकडेगा वगैरह मगर इन सारी समस्याओं का समाधान प्रियंका की टीम के साथी निकालते है। इनोवा की छत पर सारे माइक धर दिये गये और गाडी के एक तरफ कैमरे मोबाइल तो दूसरी तरफ प्रियंका गाडी के दरवाजे को पकड कर खडी हो जाती है। गुलाबी छापे वाले सलवार सूट में प्रियंका पहले आस पास की छत पर खडे होकर आसपास उनको देखने के लिये छतों पर खडी महिलाओं और बच्चों को देख मुस्कुरा कर हाथ हिलाती हैं और फिर कार की दूसरी तरफ खडी मीडिया से मुखातिब होकर कहती हैं कि ये दुखद है कि यहां पर चार किसानों की मौत खाद की किल्लत के कारण हुयी। क्या राज्य सरकार खाद भी किसानों को आसानी से नहीं दे सकती।प्रियंका यहाँ जिन चार किसान के परिवार से मिलीं कहा जाता है उनमें से वल्लू पाल और सोनू अहिरवार ने फांसी लगाकर जान दी तो महेश बुनकर और भोगीराम की खाद की लाइन में लगे लगे हालत बिगडी और बाद में उनकी मौत हुयी।
प्रियंका के जाते ही हम उस घर में पहुंचे जहां पर वो किसानों के परिजनों से मिलीं थीं। अंधेरे से कमरे में अनेक शोक संतृप्त लोग बैठे थे। दरवाजे पर ही वल्लू की बुजुर्ग मां मिल गयीं कैमरा आन करते ही रोने लगी मोडा चलो गओ हमरो जा खाद की चक्कर में। कछु बताओ भी नहीं बाने और खेत में फांसी धर लयी। भोगीराम की बेटी सबिता चौदह साल की होगी पूछने पर बोली प्रियंका दीदी ने कहा है कि मदद करेंगे भैया मगर क्या कोई मदद करेगा खाद की मदद कर देते तो पापा खाद की लाइन में तीन चार दिना भूके प्यासे नहीं लगते। घर से निकलते ही दो मासूम से बच्चे दिखे जिनके सिर घुटे हुये थे ये बनियाना गांव के महेश बुनकर के बच्चे थे। महेश के पास आधे एकड़ ही जमीन थी और उसे एक बोरी खाद ही चाहिये जो कई दिन लाइन में लगने के बाद भी नहीं मिल पायी और उसी लाइन में लगे लगे ही कहा जा रहा है कि उसकी मौत हुयी।
खाद के लिए लगी कतारे
इन परिजनों से मिलकर निकले ही थे कि माइक कैमरा देखकर कुछ ओर लोगों ने घेर लिया बोले भाई साहब ये खाद तो ठीक है मगर महंगाई से भी तो लोग मर रहे हैं उन पर जरा ध्यान दो। हम हफते में तीन दिन रोज दो सौ रूप्ये की मजूरी करते हैं मगर खाने का तेल ही सौ रूप्ये किलो का आता है। वो जो उज्जवला गैस मिली है वो हजार रूप्ये का सिलेंडर भराता है दाल में भी आग लगी है बताओ जिये कैसे। ये गरीब अपना दुखडा सुना ही रहे थे कि आ गये थानेदार साब चलो चलो हो गया सारा तमाशा गयीं नेता जी अपने घर जाओ सब। और आप मीडिया वाले भी खाद को ज्यादा ना दिखाओ आ रही है खाद खूब शहर में जाकर देख लो मगर थानेदार साब का दावा थोडी दूर ही झूठा हो गया जब मोदी टेडर्स पाली के सामने खाद की हमने लंबी लंबी तीन कतारें किसानों की देखी। पुलिस के पहरे में बंट रही थी खाद।
सडक पर फिर वही गुटखे वाले सज्जन मिले हमने पूछा भोपाल तो फिर हाथ के इशारे से रोड की तरफ देख कर बोले निकल जाओ सीधे।
ब्रजेश राजपूत ,एबीपी नेटवर्क,
भोपाल
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