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कोरोना काल में कार्पोरेट घरानों ने लूट मचाई ★ रघु ठाकुर की किताब ' कोरोना काल ' का विमोचन

कोरोना काल में कार्पोरेट घरानों ने लूट मचाई

★ रघु ठाकुर की किताब ' कोरोना काल ' का विमोचन

लखनऊ । प्रख्यात समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने कहा है कि कोरोना काल में एक ओर जहाँ करोड़ों लोगों का रोजगार छिना वहीं कार्पोरेट घरानों ने लगभग 43 लाख करोड़ का मुनाफा कमाया। 
प्रकृति ने कोरोना के जरिये लोगों को जो पीड़ा पहुंचाई है उससे कहीं ज्यादा व्यवस्था की लापरवाही ने उसे कष्ट दिये । 
रघु ठाकुर आज लखनऊ में कैफ़ी आज़मी एकेडमी में पुस्तक ' कोरोना काल ' के विमोचन के अवसर पर  मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यसभा के सांसद संजय सिंह कर रहे थे । 
आयोजन श्रीमती अनीता सिंह के प्रयासों से संपन्न हुआ। 
इस अवसर पर प्रख्यात विचारक व लखनऊ विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान विभाग के अवकाश प्राप्त प्रोफेसर रमेश दीक्षित, सेवानिवृत्त न्यायधीश बी डी नकवी, साहित्यकार मुकेश वर्मा ( भोपाल) सोशलिस्ट विचारक शाहनवाज कादरी, प्रसिद्ध समाजवादी चिंतक राजनाथ शर्मा ( बाराबंकी) ने भी संबोधित किया। 
मंच पर लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्यामसुंदर यादव, लोहिया- सदन पुस्तकालय ( भोपाल) की निदेशक डॉ शिवा श्रीवास्तव, समाजवादी साथी मुकेश चंद्रा की विशेष उपस्थिति रही । कार्यक्रम का संचालन जयन्त सिंह तोमर ने किया। 

रघु ठाकुर ने कहा कि विचारक शुमाखर ने अपनी पुस्तक ' स्माल इज़ ब्यूटीफुल ' में लिखा है कि गति कोई विकास नहीं है। सरकार ऐसे प्रयास करे जिससे लोगों के जीवन में गुणात्मक प्रभाव दिखाई दे । 
राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि निरंकुश सत्ता के खिलाफ नागरिकों को खड़े होने की जरूरत है। रघु ठाकुर जैसा खांटी समाजवादी ही निरंकुश सत्ता के विरुद्ध लोगों का नेतृत्व कर सकते हैं। संजय सिंह ने कहा जिन्होंने देश के लिए त्याग किया है, जेल गये हैं, उनके विषय में लोगों को बताना जरूरी है। इसके विपरीत ऐसे लोगों को देशभक्त बताया जा रहा है जो आजादी की लड़ाई में कभी जेल न जाकर स्वतंत्रता सेनानियों की मुखबिरी करते रहे। 
राजनाथ शर्मा ने डॉ लोहिया से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए कहा कि वे भूख हड़ताल के विरोधी थे ।  उनकी निजी बैंक खाता तक नहीं था। वे पांच सितारा संस्कृति के विरोधी थे । राजनाथ शर्मा ने कहा मौलिक परिवर्तन तो जनता ही लाती है । ट्रेड यूनियन मूवमेंट से सामाजिक परिवर्तन नहीं होता। 
प्रोफेसर रमेश दीक्षित ने गाधीं के रामराज्य का उल्लेख करते हुए कहा इस्लाम के शुरुआती चार खलीफाओं जैसी सादगी के समय को गांधीजी रामराज्य ही मानते थे । उन्होंने कहा कि जनता पार्टी की सरकार के समय उसी दल की छात्र इकाई ने ' वादा निभाओ दिवस ' मनाया था। हर दल में ऐसा आंतरिक लोकतंत्र रहना चाहिए। 
रघु जी के विचारों से ऐसा वातावरण बन सकता है जिनकी ताजी रचना 
' कोरोना काल ' में ' मेरा शहर ' ' नारी ' जैसी रचनाओं को प्रेरणादायी बताया। 
अवकाश प्राप्त जज बी डी नकवी ने कहा क्रोनी कैपिटलिज्म के दुष्चक्र में फंसे हमारे देश को हिन्दू धर्म की सहिष्णुता, इस्लाम जैसी समता, इसाई धर्म जैसा सेवा भाव व सिख्ख धर्म जैसी सामुदायिक सेवा या चैरिटी की जरूरत है। हमें सारी दीवार गिरानी होंगी। 
शहनवाज कादरी ने कहा कोरोना काल सरकारी लापरवाही का जीता जागता नमूना रहा रघु जी जैसे नेता ही अब भीड़ की चिंता किये बगैर देश का नेतृत्व कर सकते हैं।
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