साहित्यकार डॉ.महेश तिवारी की श्रद्धांजली-सभा में जुड़ा सागर का बौद्धिक वर्ग
★दीपावली पर कविता के रूप में मिलने वाला शुभकामना संदेश लिख गए थे...डॉ तिवारी
★ अब सुनाई नहीं देगी निर्दोष किलकारी वाली हॅ॑सी - डॉ. सुरेश आचार्य
★ शुचिता और सत्यता के हिमायती थे डॉ.महेश तिवारी - शैलेंद्र जैन
★ जीवंत व्यक्तित्व के धनी थे डॉ.तिवारी -महेन्द्र सिंह
सागर। साहित्यकार, समाज सेवी और प्रखर वक्ता डॉ. महेश तिवारी के आसामयिक निधन पर उन्हें श्रद्धांजली देने हेतु रविवार को आदर्श संगीत महाविद्यालय में श्यामलम् संस्था द्वारा आयोजित सभा में नगर की साहित्यिक सांस्कृतिक शैक्षणिक संस्थाओं तथा प्रबुद्ध वर्ग ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर उन्हें स्मृति किया।
इस अवसर पर सागर विधायक शैलेंद्र जैन ने डॉ. महेश तिवारी से अपने आत्मीय और पारिवारिक संबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि राजनीति और साहित्य दोनों ही क्षेत्रों में वे शुचिता और सत्यता के हिमायती थे। निरर्थक आलोचना करना उन्हें कभी भी स्वीकार्य नहीं रहा। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.सुरेश आचार्य ने अपने भावपूर्ण उद्बोधन में कहा कि डॉ. महेश तिवारी मस्त और फक्कड़ व्यक्ति थे। सदा खादी पहनने वाले और सौम्य आलोचना से लोगों को मुग्ध करने वाले डॉ. तिवारी के अचानक जाने से सागर में सन्नाटा छा गया। समीक्षा के नए प्रतिमान पर उनकी स्थापनाएं देश भर में चर्चित हुई हैं। उनकी निर्दोष किलकारी वाली हंसी के ठहाके अब कभी सुनाई नहीं देंगे। डॉ.सुशील तिवारी ने मार्गदर्शन और आशीर्वाद देने वाले महत्वपूर्ण व्यक्तियों के निधन पर होने वाली सामाजिक क्षति को दुर्भाग्य पूर्ण बताते हुए अपनी चिंता व्यक्त की तथा डॉ.तिवारी के साथ बिताए संस्मरण साझा किए। सभा में भोपाल से पधारे पूर्व प्रशासनिक अधिकारी, साहित्यकार महेंद्र सिंह ने अपनी श्रद्धांजली अर्पित करते हुए कहा कि डॉ.महेश तिवारी हमारे समय के एक महत्वपूर्ण साहित्यकार और अध्येता थे।उनका निधन साहित्य कला जगत और एक जीवंत दोस्तों साथियों के बीच की बड़ी क्षति है। उन्होंने साहित्य की समीक्षा के संबंध में दो ग्रंथ लिखे हैं और वह दोनों ग्रंथ अपने समय के साहित्य की समीक्षा के मानदंड और महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं। डॉ. तिवारी एक जीवंत व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने अपने समय के तमाम लंबे कार्यकाल में लगातार हजारों मित्र बनाए। उनका एक निश्चल व्यक्तित्व था और जो मित्रता को संजोने का भाव था वह महत्वपूर्ण था। बहुत बड़ी मनोकामना लेकर अर्थ धन के उपार्जन की कभी उनके मन में इच्छा नहीं रही। वह फक्कड़ प्रवृत्ति के थे। श्यामलम् संस्था द्वारा उनकी स्मृति में कार्यक्रम आयोजित करने की उन्होंने सराहना की।
डॉ हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर में संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने कहा समाज के प्रति अपनी अटूट निष्ठा और गहन मानवीय संवेदना के कारण डा महेश तिवारी ने राजनीति से लगभग पल्ला झाड़कर एक साहित्यकार की भूमिका में आकर अनेक सृजनात्मक कार्य किए।एक आलोचक के रूप में उनका अवदान उल्लेखनीय है ।हिंदी काव्य समीक्षा के प्रतिमान और केदारनाथ अग्रवाल का काव्य उनकी महत्वपूर्ण आलोचना कृतियाँ हैं ।उनका स्वाभिमानी और ईमानदार मन कविता और कहानी में विश्रांति पाता था।वे आज के युग में विरल व्यक्तित्व के धनी थे ।
सरस्वती वाचनालय ट्रस्ट के सचिव गांधीवादी विचारक शुकदेव प्रसाद तिवारी, सुभाष कंड्या, डॉ श्याम मनोहर सिरोठिया, डॉ राजेश दुबे, टी आर त्रिपाठी, डॉ. अंजना पाठक, हरी सिंह ठाकुर, आर के तिवारी, अमिताभ चौबे,कपिल बैसाखिया ने भी डॉ महेश तिवारी का स्मरण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजली अर्पित की।
कार्यक्रम में स्मृति दीप प्रज्वलन तथा स्व.तिवारी के चित्र पर सभागार में उपस्थित सभी लोगों द्वारा पुष्पांजली के पश्चात् स्व.तिवारी के परिजनों को संवेदना स्वरूप गमछा ओढ़ाया गया। श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने कार्यक्रम परिचय दिया। लोकगायक देवीसिंह राजपूत ने स्मरण गीत का गायन किया।कवि डॉ.नलिन जैन ने काव्य श्रद्धांजली दी। डॉ.अमर जैन ने स्व.तिवारी द्वारा परम्परागत रूप से प्रतिवर्ष पोस्ट कार्ड पर प्रेषित किए जाने वाले शुभकामना संदेश की बड़ी अनुकृति भेंट की। स्वर्गीय तिवारी की पुत्री महिमा ने अपने भावपूर्ण वक्तव्य में उनका जीवन परिचय, उनकी साहित्यिक, सामाजिक, राजनीतिक गतिविधियों और संपर्कों पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला। डॉ.अमर जैन ने कार्यक्रम की गंभीरता के अनुरूप प्रभावी संचालन किया। तिवारी परिवार की ओर से शुभ तिवारी और श्यामलम् की ओर से सचिव कपिल बैसाखिया ने कृतज्ञता ज्ञापित की।अंत में लोक गायक शिवरतन यादव की धर्मपत्नी श्रीमती श्यामा, श्यामलम् सदस्य कुंदन पाराशर की धर्मपत्नी श्रीमती कांति और डॉ.महेश तिवारी के निधन पर दो मिनिट का मौन रखकर श्रद्धांजली अर्पित की गई।
इस अवसर पर स्व. तिवारी के भ्राता प्रभात तिवारी, भारत भूषण तिवारी तथा उनके परिजन, डॉ.संतोष शुक्ला, पीआर मलैया, आशीष ज्योतिषी,डॉ.चंचला दवे, श्रीमती सुनीला सराफ, डॉ. आशुतोष मिश्र, डॉ. शशि कुमार सिंह, डॉ. वेद प्रकाश दुबे, डॉ. मनीष झा, डॉ. अरविंद गोस्वामी, डॉ. विनीत मोहन औदिच्य, डॉ. सिद्धार्थ शुक्ला, श्रीमती मदन कुमारी दुबे,सुश्री देवकी भट्ट नायक, डॉ.सुजाता मिश्र, माधव चंद्रा, पुष्पदंत हितकर, रमेश दुबे, डॉ अशोक कुमार तिवारी, वृंदावन राय सरल, प्रकाश जैन, सोमेंद्र शुक्ला, आदर्श दुबे,प्रभात कटारे, अशोक तिवारी अलख, मुकेश तिवारी, पुष्पेंद्र दुबे, बंटी दुबे,अमित आठिया, जे.एल. राठौर प्रभाकर, राहुल पाठक सहित बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
दीपावली का संदेश, लिख लिया था पहले..
स्व डॉ महेश तिवारी इस दीपावली पर याद आएंगे। पिछले कई दशकों से डॉ तिवारी अपने मित्रों ,रिश्तेदारों शुभचिंतकों को पोस्टकार्ड पर हाथ से लिखी हुई प्रिंट की गई कविता लिखकर शुभकामना संदेश दिया करते थे। डाक व्यवस्था में लोगो को मिलती। शहर वासियों को कई दफा रूबरू भी दिया करते थे। इस साल उनका सिलसिला टूट गया। डॉ तिवारी जी तो अब अलाविदा हो गए। लेकिन इस दीपावली की चिट्ठी पर कविता तैयार करके चले गए। यही संदेश लोगो को बड़े रूप में उपलब्ध कराया गया।
ये रही चिठ्ठी
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