राम सर्वत्र रमते हैं-आचार्य स्वामी धर्मेन्द्र जी महाराज
★ नौ दिवसीय श्रीराम कथामृत का आयोजन
सागर। राम शब्द का अर्थ ही हैं कि जो सर्वत्र रमता हैं। राम शब्दातीत, वर्णनातीत हैं। उनके पावन गुणों का सौंदर्य का वर्णन कैसे किया जाए। ये उद्गार आचार्य स्वामी धर्मेन्द्र जी महाराज ने शनिवार को रामकथामृत के दौरान व्यक्त किये। मोती नगर चौराहा के पास गौ सेवा संघ प्रांगण में नौ दिवसीय राम कथामृत का आयोजन हो रहा हैं।
कार्यक्रम में आचार्य जी ने श्रीराम वन गमन का प्रसंग विस्तार पूर्वक सुनाया। श्री मन्महात्मा रामचंद्र वीर जी द्वारा रचित राम कथामृत का मधुर गायन करते हुए उन्होंने यह कथा सुनाई। दशरथ महाराज की दृश्टि जब अपने सिर के सफेद केशों पर पड़ी तो उन्होंने निश्चय किया कि अब राम का राजतिलक कर उन्हें इस जिम्मेदारी से मुक्त हो जाना चाहिए।
राम के राजतिलक की तैयारियां चल रही थी। इसी बीच राजकुमार भरत के नाना
कैकेय राज्य के महाराज अश्वपति ने उन्हें बुलवा लिया। राम के राज्याभिशेक की घोशणा सुनकर मंथरा महारानी कैकेई के पास पहुंची। मंथरा ने अपनी कुटिल बुद्धि से कैकई को भड़काने का प्रयत्न किया। पहले तो कैकेई ने उसे फटकार दिया। लेकिन उसके बाद महारानी कैकेई ने उन्नत आर्यावर्त के भविश्य का ध्यान करते हुए कठोर निर्णय लिया। आचार्य जी ने बताया कि हमारे देश का पहला नाम ब्रम्हावर्त दूसरा नाम आर्यावर्त और
फिर भारतवर्श पड़ा। वर्तमान प्रचलित नाम हिन्दुस्तान है। आर्यावर्त की उन्नति के लिए माता कैकेई ने भारत का राज्याभिशेक और राम का 14 वर्शो का वनवास महाराज दशरथ से मांगे। राम के वनगमन का वर्णन आचार्य जी ने बहुत ही मार्मिक शब्दों में किया।
आचार्य जी कहते हैं कि आपके बच्चे किसी भी स्कूल में पढ़ें लेकिन उन्हें रामकथा के अमृत का पान कराना चाहिए। भगवान राम के जैसा आदर्श परिवार दुनिया में न कभी हुआ न होगा। रामकथा के श्रबण से आदर्श और मर्यादित जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है। आचार्य जी ने शराब के सेवन का विरोध करते हुए कहा कि दुनिया में जितने भी गलत काम हुए बे शराब के कारण ही हुए। शराब के कारण ही रावण बना। प्रकृति माता ने हमें इतने अच्छे पेय दिए तो लोग ऐसे निकृश्ट नशा क्यों करते हैं। नशा ही करना है तो राम नाम का, राम से प्रेम का करो। ये एक बार करने के बाद कभी नहीं उतरता।
कार्यक्रम में आज के मुख्य यजमान प्रेमनारायण घोषी, यजमान सुधीर यादव थें।इस मौके पर पूर्व विधायक सुनील जैन, लाल चंद घोषी, श्याम सुदर यादव नौगांव, केशव घोषी, सुरेन्द्र बिलौआ, अब्बू घोशी, नरेन्द्र चौबे, निर्भय घोशी, नरेश बंधु शर्मा अलबर राजस्थान, प्रभात मिश्रा, महेन्द्र गुप्ता, श्रीमति शकुन घोशी गड़ेलू, श्रीमति ज्योति घोशी, किशन घोशी गड़ेलू सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।
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