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पाठ्यक्रमों में हो भारतीय संस्कृति और मूल्यों का समावेश : कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता

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पाठ्यक्रमों में हो भारतीय संस्कृति और मूल्यों का समावेश : कुलपति  प्रो. नीलिमा गुप्ता 

सागर.।  भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित उच्च-शिक्षा: कोरोना के साथ और कोरोना के बाद शीर्षक से आयोजित राष्ट्रीय परिसंवाद आयोजित किया गया. उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि श्री धर्मेन्द्र प्रधान, शिक्षा मंत्री, भारत सरकार, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव श्री अतुलभाई कोठारी, भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डॉ. पंकज मित्तल की उपस्थिति रही. कार्यक्रम इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, नई दिल्ली में आयोजित हुआ. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नागेश्वर राव की अध्यक्षता में प्रथम संवाद सत्र आयोजित हुआ जिसमें डॉ. हरीसिंह विश्वविद्यालय, सागर की कुलपति प्रो. नीलिमा गुप्ता ने अपने वक्तव्य में कहा कि कोरोना काल में हम सभी को ऑनलाइन माध्यम से शिक्षा देने का काम करना पड़ा जिसके लिए हम पूरी तरह तैयार नहीं थे. कोरोना काल में हमें इस बात पर विचार करने को विवश होना पड़ा कि हमें पाठ्यक्रमों को इस तरह बनाना पड़ेगा जिससे इस तरह की किसी भी परिस्थिति में हम विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान करने में कोई भी कठिनाई न हो. इसके लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों के अनुसार समन्वित पाठ्यक्रम बनाना होगा. हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रमों में भारतीय संस्कृति के तत्त्वों का समावेश करते हुए समाजोपयोगी पाठ्यक्रम बनाने होंगे. डिग्री देने के साथ-साथ हमें यह कोशिश करनी होगी कि विद्यार्थी ऐसे पाठ्यक्रम को पढ़कर रोजगार भी पा सकें. उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रमों को बनाने और उनके क्रियान्वयन के लिए एक यूनीवर्सल संरचना और प्रारूप तैयार किये जाने की बात कही जिसमें क्रेडिट ट्रांसफर जैसी लचीली व्यवस्था भी शामिल हो. उन्होंने कहा कि कौशल आधारित और मूल्यवर्धित पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय के स्वयं के प्रयासों  से शुरू किये जा सकते हैं. कोविड महामारी जैसे अनुभवों के बाद विश्वविद्यालयों को आपदा प्रबंधन से जुड़े हुए पाठ्यक्रम संचालित करने की तरफ बढ़ना चाहिए. स्थानीय समुदाय और वृहत्तर स्तर पर समाज के हितों को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम को बनाया जाना चाहिए जिससे विश्वविद्यालय अपनी सामाजिक भूमिका भी निभा सके. इस अवसर पर देश के कई विश्वविद्यालयों के कुलपति और शिक्षाविद् उपस्थित थे. 
 
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