वयोवृद्घ साहित्यकार, लेखक, अधिवक्ता कामरेड महेंद्र फुसकेले का निधन, अंतिम संस्कार कल बुधवार को
सागर । सागर के वयोवृद्घ साहित्यकार, कवि, लेखक और अधिवक्ता महेंद्र फुसकेले का आज मंगलवार की सुबह निधन हो गया। वे 89 वर्ष के थे । कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उनकी अंतिम यात्रा कल बुधवार की सुबह कटरा नमकमंडी स्थित निवास नरयावली नाका स्थित मुक्तिधाम पहुंचेगी। जहां पर अंतिम संस्कार होगा। वे अपने पीछे पत्नी, एक पुत्र अधिवक्ता पेट्रिस फुसकेले तीन पुत्रियों सहित भरा पूरा परिवार छोड गये हैं। श्री फुसकेले का जन्म बडाबाजार सागर में दो फरवरी 1934 को हुआ था । सागर के जैन स्कूल में स्कूली पढाई पूरी करने के बाद उन्होने सागर विश्व विधालय से बीए,एमए , एलएलबी की पढाई पूरी की। 1996 में जिला अधिवक्ता संघ के प्रेसीडेंट रहे। सागर की प्राचीन जैन स्कूल के सचिव रहे। 1955 में सागर में श्री फुसकेले ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना की थी। एटक के राष्ट्रीय पदाधिकारी रहे श्री फुसकेले सागर विश्वविधालय के कुल सांसद और शासन द्वारा विद्वत परिषद के सदस्य मनोनीत किये गये थे। उन्होने 14 पुस्तकों का लेखन किया। जिनमें उपन्यास, निबंध संग्रह , कहानी संग्रह शामिल हैं । प्रमुख रूप से मैं तो उसईं अतर में भीगी, तेंदू के पत्ता में देवता, कबूलापुल, आत्महंता का पुरूष, फूलवंती शामिल हैं । जिनमें से कबूलापुल कहानी संग्रह को ऑल इंडिया विश्वविधालय प्रतियोगिता में श्री फुसकेले को प्रथम स्थान प्राप्त हुआ था। उनका प्रकारांतर और दशांग नाम से साप्ताहिक कॉलम सागर और भोपाल से प्रकाशित समाचार पत्रों में नियमित प्रकाशित हुआ। बच्चों की सांइस के प्रति रूचि को लेकर भी लेखन कार्य किया।
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