श्री गौर गोविंद मंदिर में राधारानी प्राकट्य उत्सव हर्ष उल्लास के साथ मनाया गया
सागर। राधा और कृष्ण एक रूप ही हैं उनका प्रेम का आधार है कर्तव्य परायणता, विष्व कल्याण की भावना, हमें सदैव जुगल किषोरी श्मामा जू के चरणों का, उनकी लीला का उनके धाम का चिन्तन करते रहना चाहिए, हमें उनके आश्रित रहना चाहिए हमारा भाव यह होना चाहिए कि यदि राधा रानी का सानिध्य छूट जाये तो प्राण ही छूट जाये। यह उद्गार आज रविषंकर वार्ड में स्थित श्री गौर गोविंद मंदिर में श्री राधा रानी के प्राकट्य महा उत्सव पर पं. रसिक बिहारी जी ने व्यक्त किये।
उत्सव का आरंभ ब्रह्म मुहर्त में हरिनाम संकीर्तन प्रभात फेरी के साथ हुआ तत्पष्चात् मंगला आरती हुई इसके साथ ही दूध, दही, घृत, शहद, शक्कर व अष्टगंध जल के साथ प्रिया जी अभिषेक किया गया श्रृंगार उपरांत दोपहर 12 बजे महाआरती के साथ प्राकट्य उत्सव मनाया गया। उत्सव कार्यक्रम में राधे-राधे मंडल द्वारा भजन की प्रस्तुति दी गई। राजेन्द्र सिंह गड़र ने बधाई गीत प्रस्तुत कर उत्सव को आनंद से सराबोर कर दिया।
भक्तों ने विभिन्न लीलाओं का चित्रण कर राधा रानी केे प्रति अपना समर्पण भाव व्यक्त किया। डाॅ. श्रेया ठाकुर ने कृष्ण लीला का चित्रण कर सखियों से भेंट की वृन्दावन से पधारी हुई श्रीमती चन्द्रा शुक्ला ने अपने स्नेह वचनों में कहा जो श्मामा जू के राधा राधा नाम को रटते हैं या उनके प्रेमियों का संग करते हुए राधा के गुणों, महिमा, रूप का गान करते है वे कर्म बन्धन से मुक्त हो जाते है। फूलसिंह पंडा जी ने अपने संदेष में कहा कि लाड़ली जू की शरणागति नये प्रारब्ध की रचना कर देती है राधा नाम का स्मरण उनकी कृपा होने पर होता है अगर वृषभान दुलारी का आश्रय मिल गया तो मानव जीवन धन्य हो गया। पं. कपिल महाराज ने कहा कि राजराजेष्वरी की कांति अन्नत बिजलियों जैसी है हमें उनके के प्रति सेवा भाव रखना चाहिए। उत्सव में डाॅ. श्रीमती लक्ष्मी ठाकुर, राधे दीदी, डाॅ. राधिका, डाॅ. अमृता, योगिता गौर, अनुराधा, अर्पित, गोविंद सुजीत राजपूत, ललिता दीदी, कदम, षिवांगी पांडे आदि ने राधे-राधे नाम संकीर्तन से उत्सव में आनंद तो बरषाया ही साथ ही बरषाना जैसा भाव को देखने को मिला। अद्भुत श्रृंगार, संकीर्तन इन सबसे वातावरण राधामय हो गया।
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