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वर्णी जी का महान उपकार - डा. संजीव सराफ


वर्णी जी का महान उपकार - डा. संजीव सराफ

सागर। सर्वविद्या की राजधानी काशी में 115 वर्ष पूर्व जैन धर्म की शिक्षा का समुचित संस्थान न होने से संकल्प लेकर एक रूपये के दान से चैसठ पोस्टकार्ड खरीदकर श्रेष्ठियों से प्राप्त दान से स्याद्वाद महाविद्यालय की स्थापना करने वाले बुंदेलखंड के तपस्वी एवं सागर में गणेश दिगम्बर जैन संस्कृत महाविद्यालय लक्ष्मीपुरा मोराजी की स्थापना करने वाले परम पूज्य संत गणेशप्रसाद वर्णी जी सच्चे साधक थे। उक्त विचार पूज्य वर्णी जी की 147 वीं जयंती पर भदैनी घाट स्थित स्याद्वाद महाविद्यालय में आयोजित वर्णी जी का अवदान विषय पर आयोजित संगोष्ठी में जैन धर्म के वयोवृद्ध विद्वान एवं प्रबंधक बिमल कुमार जैन ने मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। अध्यक्षता दलपतपुर मूल के संपूर्णानंद संस्कृत  प्रोफेसर फूलचंद प्रेमी ने करते हुए उनकी दूरदर्शिता की चर्चा करते हुए उन्हें नमन् किया। विशिष्ट अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के उपग्रंथालयी एवं तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत महासंघ के कार्यकारिणी सदस्य डा. संजीव सराफ ने कहा कि पूज्य वर्णी जी ने हिन्दू होकर भी जैन धर्म पर जो उपकार किया है उसके चलते हजारों जैन विद्वान काशी एवं सागर में वर्णीजी द्वारा स्थापति महाविद्यालय से शिक्षा ग्रहण कर पाये है। इस अवसर पर डा. निर्मला जैन, डा. अरविन्द त्रिपाठी, रंजन कुमार जैन, आयोजक सुरेन्द्र कुमार जैन ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर सागर विश्वविद्यालय के पूर्व कार्यवाहक कुलपति प्रो0 बिमल कुमार जैन के परिजनों ने वर्णी पुरूस्कार देने की घोषणा की। कार्यक्रम में डा. रानी जैन, दिगम्बर जैन महिला मंडल की करूणा जैन, सहित अनेक श्रद्वालु उपस्थित रहे। 

 
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