अगली पीढ़ी तक सेवा भाव पहुंचाने के लिए दस्तावेज आवश्यक - श्री दत्तात्रेय जी होसबाले ★ सेवा भागीरथी नामक पुस्तक का सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय जी ने किया विमोचन

अगली पीढ़ी तक सेवा भाव पहुंचाने के लिए दस्तावेज आवश्यक - श्री दत्तात्रेय जी होसबाले
★ सेवा भागीरथी नामक पुस्तक का  सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय जी ने किया विमोचन

सागर। कोरोना काल में महाकौशल प्रांत की सेवा भारती के कार्यकर्ताओं ने जो सेवा कार्य किया हैं उनका समावेश सेवा भागीरथी में किया गया है! इसका उद्देश्य किसी की वाहवाही करना नहीं बल्कि उनके सेवा भाव को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना है. यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरकार्यवाह दत्तात्रेय जी होसबाले ने शुक्रवार को केंद्रीय विश्वविद्यालय डॉ हरिसिंह गौर के स्वर्ण जयंती सभागार में व्यक्त किया. वे यहां सेवा भागीरथी पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में उद्बोधन दे रहे थे.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भैंसा गुरुद्वारा मुख्य ग्रंथी  श्री ज्ञानी रणजीत सिंह और विशेष अतिथि संजीवनी बाल आश्रम की संचालिका श्रीमती प्रतिभा अर्जरिया थी. कार्यक्रम के आरंभ में भारत माता के चित्र के समक्ष अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित किया। संबोधन में श्री दत्तात्रेय जी ने कहा कि सेवा भागीरथी पुस्तक में कोरोनावायरस विभीषिका के दौरान सेवा भारती और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने जो सेवा कार्य किया है उनका संकलन है.इसमें संकटकाल में की गई सेवा के विभिन्न आयामों का विवरण है. पुस्तक का प्रकाशन किसी की प्रशंसा या वाहवाही के लिए नहीं वरन अगली पीढ़ी के लिए सेवा के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित करना है. विपदा के इस दौर में समाज के सभी वर्गों ने सेवा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया. इस दौरान स्वयंसेवक ने उन मरीजों पर भी ध्यान दिया जो कोरोना से नहीं बल्कि अन्य बीमारियों से भी पीड़ित थे.उनके भोजन उपचार और अन्य उपयोगी संसाधनों की समुचित व्यवस्था की कोरोना की पहली लहर के दौरान करीब 45 लाख प्रवासी मजदूर मुंबई, पुणे, अहमदाबाद में फंसे थे.आवागमन के सभी संसाधन बंद थे.तब लाखों मजदूर पैदल ही अपने गांव को निकल पड़े. जिसमें उनके बच्चे महिला और वृद्ध सभी शामिल थे. वे कोई नारा नहीं लगा रहे थे ना सरकार ना उद्योगपति ना पूंजीपतियों के खिलाफ. इस भीड़ ने कहीं भी उत्पात मचाया ना कहीं कोई लूटपाट की  इनको देख समूचा समाज इनके सहयोग और सेवा के लिए खड़ा हो गया इनके भोजन कपड़े जूते आदि की व्यवस्था की गई किसी ने इनका धर्म संप्रदाय जाति या भाषा नहीं पूछी सेवा की ऐसी मिसाल दुनिया में कहीं नहीं मिलेगी यही सेवा भाव अगली पीढ़ी तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है।

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 श्री दत्तात्रेय ने कहा कि अगली पीढ़ी को सेवा भाव और संस्कार देना आवश्यक है यदि संस्कार ना हो तो ज्ञान धन और शक्ति से भी समाज का कोई हित नहीं होगा ।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि ज्ञानी रणजीत सिंह ने कहा कि सिख धर्म गुरुओं ने दीन दुखियों की सेवा को सबसे प्रमुख कार्य माना है.कोरोना काल में पूरे देश में सिक्ख समाज ने पीड़ितों के लिए भोजन उपचार कपड़े दवाओं आदि की व्यवस्था की सागर में भैंसा गुरुद्वारा ने भी पूरे समय लंगर का संचालन किया पुस्तक की संपादक दीप्ति प्यासी ने बताया कि कोरोना काल में स्वयंसेवकों द्वारा किए गए सेवा कार्यों का सचित्र वर्णन इस पुस्तक में किया गया है।
कार्यक्रम में सेवा भारती महाकौशल प्रांत के अध्यक्ष डॉ बीके पांसे, संघ के क्षेत्र प्रचारक श्री दीपक विसपुते, डॉ दिनेश जी, श्री प्रवीण गुप्त, श्री ब्रजकांत, श्री सुरेश  अग्रवाल, श्री शिवराम समदरिया, श्री महेश सोनी आदि उपस्थित रहे।

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