करोना कॉल समाज की परीक्षा का काल था : रघुठाकुर
सागर। स्वर्गीय ठाकुर विश्वनाथ सिंह बाबू भाई के जन्म दिवस पर आयोजित व्याख्यानमाला कोरोना काल में समाज की भूमिका विषय पर तुलसी स्मृति न्यास बड़ा जीना परकोटा सागर में कार्यक्रम आयोजित किया गया ।सर्वप्रथम आमंत्रित अतिथियों ने स्वर्गीय ठाकुर विश्वनाथ सिंह के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि व्यक्त की।
समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने कहा की कोरोना काल समाज की परीक्षा का काल था जिसे भारतीय समाज ने सिद्ध कर दिया है की जब जब कोई भी समस्या महामारी आपदा आती है तब सभी लोग मिलजुल कर उसका सामना करते हैं और उससे जीतने का काम करते हैं उन्होंने कहा यह महामारी कोई छोटी आपदा नहीं थी यह एक वैश्विक समस्या थी इस महामारी को सिर्फ सरकारों के सहारे या कहें शासकीय व्यवस्थाओं के सहयोग से हराना संभव नहीं था। यदि आज हमारा भारतीय समाज इस विपत्ति में एकजुटता से नहीं खड़ा होता तो आज हालात बहुत भयावहऔर भिन्न होते।
जब इस कोरोना ने 20 2o के शुरुआती माह में अपनी दस्तक दी और सरकारी आदेश से लॉकडाउन लगाया गया और उसे फिर जब लगातार बढ़ाया गया तब उस दौर में लाखों लोगों ने अपने अपने घरों के लिए गंतव्य तक पहुंचने के लिए जिस प्रकार का संघर्ष किया और परेशानी उठाई। यदि भारतीय समाज उस दौर में खड़ा ना हुआ होता तो हजारों लोग काल के गाल में समा गए होते।
मुझे याद है कितने ही लोगों ने अपने घर से निकल कर उस कठिनाई में लोगों को सहारा देने का काम किया था कोई भी समाज का हो कोई भी धर्म हो नर हो नारी हो सभी ने आगे आकर अपना मानव सेवा का धर्म निभाया ।लोगों को खाना देने का काम किया। साधन देने का काम किया दवा देने का काम किया और एक संबल प्रदान किया तब लोग अपने घरों तक सुरक्षित पहुंच सके
इस वर्ष अप्रैल मई माह के महीनों में जब कोरोना ने अपना विकराल रूप दिखाया। अस्पताल दवाएं ऑक्सीजन एवं शासकीय सुविधाएं कम पड़ने लगी यहां तक की मृत्यु के उपरांत शमशानघाटों में लकड़ी औरशव जलाने जगह कम पड़ गईतब भी इसी भारतीय समाज मने आगे आकर लोगों को सहारा दिया
उस समय की घटनाओं को जब हम याद करते हैं तब रोंगटे खड़े हो जाते हैं लेकिन उस समय समाज के द्वारा किए गए नेक कार्य और याद कर हमें सुकून मिलता है
विपत्ति में एकजुटता से रहना मिलकर लड़ना और फिर जीतना यही भारतीय समाज है जिस पर हमें गर्व है
सागर के पूर्व महापौर इंजीनियर अभय दरे ने अपने संबोधन में कहा कि इस कार्यक्रम के माध्यम से हम सब यह सीख सकते हैं की समाज में किए गए कार्यों को सभी जगह सम्मान मिलता है हौसला मिलता है और यही बातें हमें फिर विपत्ति के समय लोगों के मदद करने की प्रेरणा बनती है। उन्होंने कई घटनाओं का जिक्र किया जिसमें उनके द्वारा कई मरीजों उनके परिजनों और मिलने वालों को यथासंभव सहयोग एवं सहारा दिया था ।कोरॉना काल मैं समाज की भूमिका विषय चयन के लिए तुलसी स्मृति न्यास को साधुवाद देता हूं।
सागर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफ़ेसर डॉ सुरेश आचार्य ने कहा कि कोरोना के समय सभी जगह चारों ओर अंधेरा दिखाई देता था सरकारी सहायता और और अस्पताल की सेवाओं का हाल किसी से छिपा नहीं था। उस समय लोगों को भरोसा था एक तो भगवान पर दूसरा समाज में मदद कर रहे लोगों पर। इनकी मदद से हम सब सुरक्षित होकर बाहर आ गए और फिर से हम अपने कार्यों को कर रहे हैं। समाज में जिनके द्वारा नेकी का कार्य किया है सभीआदर के पात्र हैं।
समाजसेवी साहित्यकार महेश श्रीवास्तव ने आयोजकों को धन्यवाद दिया और कहा इस प्रकार के आयोजन समाज को नई दिशा देते हैं इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। साहित्य समाज को संवेदनशील बनाता है।
कार्यक्रम का संचालन राम कुमार पचौरी ने किया। इस अवसर पर कोरोना काल में किए गए नए कार्यों के लिए समाज में किए गए सहयोग के लिए डॉक्टर इंद्राज सिंह ठाकुर ,पूर्व मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी , समाजसेवी डॉ डीके गोस्वामी मनीष जैन एवं अनिल जैन नैनधरा राजेंद्र सिंह ठाकुर श्री मति जैन को तुलसी स्मृति न्यास की ओर से सम्मानित किया गया । अंत में कोरोना महामारी मे मृत्यु के शिकार हुए लोगों को दो मिनिट का मौन रख कर श्रृद्धाञ्जलि अर्पित की गई। डॉ विनोद तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से पं सुखदेव तिवारी, अरुण प्रताप सिंह ,श्री मति गायत्री ठाकुर , सक्षम कृष्ण वीर सिंह मोतीलाल पटेल, एस पी सिंह, पप्पू गुप्ता रफीक गनी ,सुधीर ठाकुर, मुकुल पुरोहित सिंटू कटारे ,राजेंद्र सिलाकारी, प'कज सिंघई , सुनील चौकसे ,कपिल पचौरी राजू ठाकुर, महेश पांडे ,नारायण सिंह प्रो विनोद दीक्षित, केवल जैन ,अभय सिंघई प्रशांत ठाकुर आदि बड़ी संख्या में लोग उपस्थित रहे।
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