कोविड में पुस्तकालय की अहम भूमिका : डा0 संजीव सराफ
सागर। डा. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास केन्द्र द्वारा पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विषय पर कोविड काल में पुस्तकालयों के समक्ष चुनौतियों और पुस्तकालय अधिकारियों की भूमिका पर आयोजित आॅनलाईन रिफे्रशर कोर्स में विषय विशेषज्ञ के रूप में अपना व्याख्यान देते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वरिष्ठतम डिप्टी लाइब्रेरियन डा. संजीव सराफ ने कहा कि कोविड काल में पुस्तकालयों की भूमिका अहम हो गई है तथा अब आप पाठक पुस्तकालय में आये इसका इंतजार करने की बजाए पाठकों तक किस तरह से पहुंचा जायें, इसकी योजना बनानी होगी अन्यथा पुस्तकालय के पांच सूत्रों की अवधारणा बाधित होगी तथा पाठक सूचना से वंचित हो जायेंगें। आपने कहा कि अंतराष्टीय स्तर की संस्था इफला ने इस संबंध में जो दिशा निर्देश जारी किए है, उन्हें अपनाते हुए पुस्तकालयों को अपनी सेवाएं निर्बाध रूप से पाठकों को देनी चाहिए। आपने नेशनल डिजीटल लाइब्रेरी आफ इंडिया, शोध गंगा , शोध गंगोत्री, साहित्यिक चोरी रोकने के उपाय, स्वंय कोर्सस, शैक्षणिक जगत के पुरोधाओं के लिए प्रचलित विद्वान डाटाबेस, लाइब्रेरी फ्राॅम होम के लिए आवश्यक संसाधनों के साथ ही निशुल्क रूप से उपलब्ध पाठ्य साम्रगी को पाठकों तक पहुंचाने के उपायों की चर्चा की ताकि कोविड काल में छात्रों की पढाई बाधित न हो। कोर्स की समन्वयक डा. नीलम थापा ने कोर्स की उपयोगिता पर प्रकाश डाला तथा बताया कि विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार कोविड काल में पुस्तकालयों की भूमिका पर आयोजित कोर्स में देश भर के 60 प्रतिभागी भाग ले रहे है। इस व्याख्यान के दौरान आगरा विश्वविद्यालय के डा. के.के.केशरवानी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डा. कुंवर सिंह, कोतमा शासकीय महाविद्यालय की डा. पांडे, बिहार विश्वविद्यालय की डा. पूनम ने भी चर्चा में भाग लिया।
सागर। डा. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय के मानव संसाधन विकास केन्द्र द्वारा पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विषय पर कोविड काल में पुस्तकालयों के समक्ष चुनौतियों और पुस्तकालय अधिकारियों की भूमिका पर आयोजित आॅनलाईन रिफे्रशर कोर्स में विषय विशेषज्ञ के रूप में अपना व्याख्यान देते हुए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के वरिष्ठतम डिप्टी लाइब्रेरियन डा. संजीव सराफ ने कहा कि कोविड काल में पुस्तकालयों की भूमिका अहम हो गई है तथा अब आप पाठक पुस्तकालय में आये इसका इंतजार करने की बजाए पाठकों तक किस तरह से पहुंचा जायें, इसकी योजना बनानी होगी अन्यथा पुस्तकालय के पांच सूत्रों की अवधारणा बाधित होगी तथा पाठक सूचना से वंचित हो जायेंगें। आपने कहा कि अंतराष्टीय स्तर की संस्था इफला ने इस संबंध में जो दिशा निर्देश जारी किए है, उन्हें अपनाते हुए पुस्तकालयों को अपनी सेवाएं निर्बाध रूप से पाठकों को देनी चाहिए। आपने नेशनल डिजीटल लाइब्रेरी आफ इंडिया, शोध गंगा , शोध गंगोत्री, साहित्यिक चोरी रोकने के उपाय, स्वंय कोर्सस, शैक्षणिक जगत के पुरोधाओं के लिए प्रचलित विद्वान डाटाबेस, लाइब्रेरी फ्राॅम होम के लिए आवश्यक संसाधनों के साथ ही निशुल्क रूप से उपलब्ध पाठ्य साम्रगी को पाठकों तक पहुंचाने के उपायों की चर्चा की ताकि कोविड काल में छात्रों की पढाई बाधित न हो। कोर्स की समन्वयक डा. नीलम थापा ने कोर्स की उपयोगिता पर प्रकाश डाला तथा बताया कि विश्वविद्यालय के इतिहास में पहली बार कोविड काल में पुस्तकालयों की भूमिका पर आयोजित कोर्स में देश भर के 60 प्रतिभागी भाग ले रहे है। इस व्याख्यान के दौरान आगरा विश्वविद्यालय के डा. के.के.केशरवानी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डा. कुंवर सिंह, कोतमा शासकीय महाविद्यालय की डा. पांडे, बिहार विश्वविद्यालय की डा. पूनम ने भी चर्चा में भाग लिया।
Libraries play vital role in society
जवाब देंहटाएंDr Sanjiv Saraf lecture was excellent and up to mark in covid age.
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