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डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय की स्थापना की प्लेटिनम जुबली पर वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित

डॉ. हरीसिंह गौर  विश्वविद्यालय की स्थापना की प्लेटिनम जुबली पर
वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित


सागर। आजादी के पहले 18 जुलाई 1946 में शिक्षाविद डॉ हरिसिह गौर के दान से स्थापित डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर ने अपना प्लेटिनम जुबली समारोह मना रहा है। आज स्थापना दिवस के मौके पर वर्चुअल समारोह आयोजित हुआ।  
कार्यक्रम के प्रारम में मंचासीन सदस्यों ने दीप प्रज्जवलन कर डॉ. गौर के चित्र पर माल्यार्पण किया और  सरस्वती वंदना हुई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विवि के कुलाधिपति प्रो. बलवंत राय शांतिलाल जानी ने डॉ. हरीसिंह गौर कहा कि डॉ. गौर जैसा दानी आज भी कोई नहीं है, उन्होने अपने श्रम से अर्जित सारी पूजी से बुंदेलखण्ड के इस शहर में विश्वविद्यालय की स्थापना कर एक नई मिसाल पेश की। भारत का यह 16 वॉ विश्वविद्यालय है। देश की आजादी के पूर्व डॉ. गौर द्वारा स्थापित इस विश्वविद्यालय की पूरे विश्व में अपनी अलग पहचान है। आशा है आने वाले समय में यहां के विद्यार्थी शोधार्थी एवं अध्यापक अपने कार्यों द्वारा विश्वविद्यालय को नई शैक्षणिक ऊचाईया प्रदान करेंगे। कार्यक्रम के प्रारंभ में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. जनकदुलारी आही द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया उन्हें शाल श्रीफल एवं स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया। 

मुख्य अतिथि हिंदी विवि वर्धा के कुलपति प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल ने इस अवसर पर नये भारत के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के महत्व को रेखांकित किया। प्रो. शुक्ल ने कहा कि नई शिक्षा नीति आज के युग की आवश्यकता है, नई शिक्षा नीति के दूरगामी परिणाम क्या होगे इसे
भी विस्तृत रूप से रेखांकित किया,।उन्होनें डॉ. गौर के दान एवं उनकी बौद्धिकता की विस्तृत विवेचना की।
विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. आर.पी. तिवारी पूर्व कुलपति डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय सागर एवं वर्तमान
कुलपति केन्द्रीय विश्वविद्यालय, भटिंडा पंजाब ने ऑनलाईन माध्यम से अपने वक्तव्य में विश्वविद्यालय में अपने
कार्यकाल के दौरान शिक्षा की गुणवत्ता की दिशा में विश्वविद्यालय द्वारा किए गए प्रयासों का स्मरण किया एवं राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की बढ़ती भूमिका पर विस्तार से अपने विचार व्यक्त किए। प्रो. तिवारी ने कहा मैं स्वयं इस विश्वविद्यालय का विद्यार्थी रहा हूँ। देश और विदेश में इस विश्वविद्यालय से निकले छात्र बड़े पदों पर
अपनी सेवाएं दे रहे है। आशा है आने वाले समय में यह विश्वविद्यालय देश के शिक्षा जगत में एक अग्रणी विश्वविद्यालय की भूमिका निभाएगा।


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प्रो. अर्चना पाण्डेय निदेशक संकाय गतिविधियां डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय ने अध्यक्षता कर
रहे कुलाधिपति प्रो. शांतिलाल जानी एवं मुख्य अतिथि प्रो. रजनीश कुमार शुक्ल एवं विशिष्ट अतिथि प्रो. आर.पी.
तिवारी का विस्तृत अकादमिक परिचय दिया। कार्यक्रम के अंत में कुलसचिव संतोष सहगौरा ने कार्यक्रम में
उपस्थित अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया एवं विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों का देश में क्या योगदान है, इसे विस्तृत रूप में बताया, वर्तमान संदर्भो के हवाले से श्री सहगौरा ने बताया कि वर्तमान में एक केन्द्रीय मंत्री भारत सरकार एवं मध्यप्रदेश शासन के तीन केविनेट मंत्री इस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र है। आयोजन की सफलता के लिए प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से समस्त लोगों के सहयोग के प्रति कुलसचिव संतोष सहगौरा ने आभार व्यक्त किया। मंचीय कार्यक्रम का संचालन डॉ. आशुतोष द्वारा किया गया। कार्यक्रम के समापन के पूर्व डॉ. राकेश
सोनी के निर्देशन में विश्वविद्यालय के जुबली हाल में सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति हुई। जिसका आनंद उपस्थित अतिथियों एवं विश्वविद्यालय परिवार के सदस्यों ने लिया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में छात्र-छात्राओं द्वारा एक हास्य नाटिका एवं कव्वालियां तथा बंधाई नृत्य की प्रभावी प्रस्तुति की । सांस्कृतिक कार्यक्रम के उपरांत कार्यक्रम समापन की घोषणा की गई।

ये रहे मौजूद
इस अवसर पर प्रमुख रूप से प्रो. आर.के. त्रिवेदी, प्रो. ए.डी. शर्मा, प्रो.
नागेश दुबे, सतीश कुमार, डॉ. मुकेश साहू, डॉ. अलीम अहमद खान, डॉ. विवेक जयसवाल, डॉ. संजय शर्मा, डॉ.
छबील कुमार, एवं विश्वविद्यालय के अध्यापक कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम में पूर्ण रूप से
कोविड-19 के दिशा निर्देशों का पालन किया गया। इसके पहले मुख्य अथितियों ने डॉ गौर की समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए।

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