शनि के वक्री होने से इन राशियों पर पड़ेगा असर
★ पण्डित अनिल पांडेय
मैं अनिल पांडे आपका अपना ज्योतिषी एवं एस्ट्रो साइंटिस्ट अपने सभी दर्शकों को नमस्कार करता हूं। सप्ताहिक राशिफल में मैं राशियों के परिवर्तन के अनुसार राशिफल बताता हूं ।परंतु आप में से कुछ दर्शकों ने मांग की कि शनि और बृहस्पति ग्रह के वक्री होने के प्रभाव के बारे में अलग से बताया जावे। अतः आज का विषय है शनि ग्रह के वक्री होने का सभी राशियों पर प्रभाव।
वर्तमान में शनि 23 मई 2021 के 2:50 दोपहर से मकर राशि में वक्री हुआ है । यह 141 दिन उल्टी चाल चलकर 11 अक्टूबर 2021 को प्रातः 7:48 पर मकर राशि में ही मार्गी होगा । उल्टी चाल के कारण राशियों पर इसके प्रभाव में अत्यधिक परिवर्तन होगा जोकि राशि के अनुसार बताया जा रहा है।
वक्री शनि का मेष लग्न के जातकों पर प्रभाव।
मेष राशि के जातकों में शनि दशम भाव में अपनी ही राशि मकर में है। यह आपके खर्चों में कमी करेगा । कार्यालय में आप की प्रतिष्ठा को आपके मेहनत के कारण बचायेगा । आप के माता जी के स्वास्थ्य में सुधार करेगा तथा आपके जीवन साथी के स्वास्थ्य में भी असर डालेगा।
वक्री शनि का वृष लग्न के जातकों पर प्रभाव।
वृष लग्न के गोचर में वक्री शनि नवम भाव में अपनी ही राशि मकर में है इसके कारण से माइनिंग के कार्यों से होने वाली आमदनी में कमी आ सकती है आप के गुस्से में भी कमी आएगी।गुप्त शत्रु बन सकते हैं।
वक्री शनि का मिथुन लग्न के जातकों पर प्रभाव।
मिथुन लग्न जातकों के गोचर में शनि अष्टम भाव में है ।उसके कारण दुर्घटना होने पर भी होने पर भी आपको किसी प्रकार का कोई चोट नहीं आएगी । तथा दुर्घटनाओं में कमी भी आएगी । कार्यालय में आपके मेहनत के कारण आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। पिताजी का स्वास्थ्य नरम गरम हो सकता है।
वक्री शनि का कर्क लग्न के जातकों पर प्रभाव।
वर्तमान में शनि कर्क राशि के जातकों के सप्तम भाव में विराजमान हैं और यहां से नवम भाव ,लग्न तथा चतुर्थ भाव को देख रहे हैं। आपके जीवन साथी को कुछ परेशानी हो सकती है ।भाग्य सामान्य रहेगा ।आपके स्वास्थ्य में भी परेशानी आ सकती है तथा माताजी को कष्ट हो सकता है। आपको या आपके जीवन साथी को नसों का रोग हो सकता है ।
वक्री शनि का सिंह लग्न के जातकों पर प्रभाव।
सिंह लग्न के जातकों के गोचर में वर्तमान में शनि छठे भाव में है। शनि की दृष्टि अष्टम भाव द्वादश भाव तथा तृतीय भाव पर रहेगी। शनि के वक्री दृष्टि के कारण शत्रु दबे रहेंगे । यह संभव है कि आप दुर्घटनाओं से बार बार बचें । मुकदमे आदि में आपको सफलता मिलने का योग है ।इस प्रकार यह वक्री शनि आपको कई प्रकार के फायदे दिला सकता है ।
वक्री शनि का कन्या लग्न के जातकों पर प्रभाव।
कन्या लग्न वाले जातकों के पंचम भाव में शनि विराजमान हैं । शनि देव की दृष्टि सप्तम भाव एकादश भाव तथा द्वितीय भाव पर है। अगर आप शिक्षा के क्षेत्र में हैं तू यह अवधि आपके लिए शुभ नहीं है । आपके बच्चों को भी कष्ट हो सकता है । अगर आप व्यापार में हैं तो लाभ में कमी आएगी।
वक्री शनि का तुला लग्न के जातकों पर प्रभाव।
तुला लग्न के गोचर में चतुर्थ भाव में है शनि की दृष्टि छठे भाव दशम भाव एवं लग्न पर पड़ेगी । वक्री शनि की अवधि में आपके शत्रुओं में कमी आएगी तथा शत्रु कमजोर होंगे ।कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। आपके स्वास्थ्य में गिरावट आ सकती है।आपके माता जी को कष्ट हो सकता है। जनता में आपके प्रतिष्ठा में कमी आ सकती है।
वक्री शनि का वृश्चिक लग्न के जातकों पर प्रभाव।
वृश्चिक लग्न के जातकों के गोचर में शनि तृतीय भाव में है। शनि की दृष्टि पंचम भाव नवम भाव तथा द्वादश भाव पर है। इस अवधि में भाग्य आपका साथ देगा । छात्रों की शिक्षा में कमी आ सकती है । आपके बच्चों को कष्ट हो सकता है । कचहरी के मुकदमे को टालने की कोशिश करें।
वक्री शनि का धनु लग्न के जातकों पर प्रभाव।
धनु लग्न के गोचर में शनि दूसरे भाव में है । वक्री शनि की दृष्टि चतुर्थ भाव अष्टम भाव तथा एकादश भाव पर रहेगी। वक्री शनि के कारण दुर्घटना होने पर भी आपको चोट नहीं आएगी। आपके माताजी को कष्ट हो सकता है । जनता में आपकी प्रतिष्ठा गिरेगी । पैसे की तंगी महसूस होगी।
वक्री शनि का मकर लग्न के जातकों पर प्रभाव।
आपके गोचर के लग्न में शनि है जिसके कारण आपको कमर में दर्द कंधे में दर्द गर्दन में दर्द या पैर में दर्द हो सकता है । लोगों से वार्तालाप करने में सतर्क रहें । जीवनसाथी का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा । कार्यालय में सावधानी से कार्य करें।
वक्री शनि का कुंभ लग्न के जातकों पर प्रभाव।
कुंभ लग्न के जातकों के द्वादश भाव में शनि विराजमान हैं ।आप के खर्चे में वृद्धि होगी । धन लाभ में कमी आएगी । शत्रुओं में वृद्धि होगी । व्यर्थ की भागदौड़ रहेगी । संयम से काम ले।
वक्री शनि का मीन लग्न के जातकों पर प्रभाव।
मीन लग्न के जातकों के एकादश भाव में शनिदेव विराजमान है ।इनकी दृष्टि लग्न पर ,पंचम भाव पर एवं अष्टम भाव पर होगी ।आपका आर्थिक पक्ष कमजोर होगा ।आपके आपके स्वास्थ्य में परेशानी आ सकती है । कमर गर्दन आदि स्थानों पर दर्द बढ़ सकता है ।बच्चों से संबंध अच्छे रहेंगे ।छात्रों की पढ़ाई अच्छी चलेगी । दुर्घटनाओं से बचें।
उपरोक्त स्पष्ट है अधिकांश जातकों को वक्री शनि से परेशानी में वृद्धि होगी । जिन जातकों की साढ़ेसाती चल रही है उनको इस अवधि में थोड़ा आराम मिलेगा ।शनिदेव की असुविधा को दूर करने के लिए किसी योग्य ब्राह्मण से शनि देव को शांत करने हेतु जाप करवाएं तथा शनिवार को किसी गरीब व्यक्ति को काली उड़द काला तिल एवं तेल का दान दे।
मां शारदा से प्रार्थना है कि अभी आप सभी का जीवन शांतिमय सुखमय एवं धन-धान्य से परिपूर्ण हो ।
जय मां शारदा।
निवेदक:-
पण्डित अनिल कुमार पाण्डेय
एस्ट्रोसाइंटिस्ट और वास्तु शास्त्री
सागर (मध्य प्रदेश)
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