आबचंद शैलाश्रयों का किया अवलोकन कलेक्टर ने , स्थल संरक्षण व विकास के लिए दिए निर्देश
सागर । जिला कलेक्टर दीपकसिंह ने आज प्रागैतिहासिक स्थल आबचंद के शैलाश्रयों तक जाकर वहां के शैलचित्रों का अवलोकन किया। निरीक्षण के पश्चात कलेक्टर ने शैलचित्रों व शैलाश्रयों के संरक्षण व इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने हेतु संबंधित निर्देश दिए हैं। इसके पूर्व श्री सिंह सागर से 15 किमी नरयावली मार्ग पर स्थित खानपुर के शैलचित्रों का भी स्वयं जाकर अवलोकन कर चुके हैं।
सागर से जबलपुर नेशनल हाइवे के तीस किमी पर दाहिनी ओर वनक्षेत्र में बहने वाली गधेरी नदी के दोनों ओर आबचंद के शैलाश्रयों की श्रंखला है जिनमें पुरापाषाण काल से लेकर एतिहासिक काल अर्थात लगभग 33700 वर्ष से लेकर 2500 वर्ष पुराने समृद्ध शैलचित्र मिलते हैं। इनमें मुख्तः रेखाचित्रों से बनी ज्यामितीय संरचनाओं से लेकर हेबेटाइट, लाल गेरू व सफेद छुई जैसे खनिज रंगों से बनाए जीव जंतुओं जैसे हाथी, घोड़े, हिरण, पक्षियों आदि के दृश्य हैं। मानवीय आकृतियों के समूह नृत्यों, हथियारबंद घुड़सवार, एकसाथ चार शेर, वृक्ष पर बैठे पक्षी समूह के शैलचित्र दर्शनीय हैं व मानव के सांस्कृतिक उद्विकास की जिज्ञासाओं का समाधान करते हैं। दुर्भाग्य से यहां के कई अनमोल शैलाश्रय स्थानीय चरवाहों के गुफाओं में खाना बनाने व पिकनिक मनाने गये कुछ अज्ञानी लोगों के नाम लिखने की प्रृवतियों से नष्ट हो गये हैं अथवा कालिख के नीचे चले गये हैं। कलेक्टर श्री सिंह ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए शैलचित्रों के संरक्षण हेतु कदम उठाने के लिए निर्देश संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों को दिए हैं। पर्यटक इन स्थलों पर आसानी से पहुंचें व वहां से पर्याप्त जानकारी व समझ विकसित कर लौंटे इस हेतु शैलाश्रयों तक पर्याप्त साइनेज सहित पहुंच मार्ग विकसित करने की दिशा में भी पहल करने के लिए उन्होंने आवश्यक निर्देश दिए हैं।
इस अवसर पर सहायक संचालक जनसंपर्क श्रीमती सौम्या समैया, श्री मनोज नेमा, डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय डॉक्टर मशकुर अली खान सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
सागर । जिला कलेक्टर दीपकसिंह ने आज प्रागैतिहासिक स्थल आबचंद के शैलाश्रयों तक जाकर वहां के शैलचित्रों का अवलोकन किया। निरीक्षण के पश्चात कलेक्टर ने शैलचित्रों व शैलाश्रयों के संरक्षण व इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने हेतु संबंधित निर्देश दिए हैं। इसके पूर्व श्री सिंह सागर से 15 किमी नरयावली मार्ग पर स्थित खानपुर के शैलचित्रों का भी स्वयं जाकर अवलोकन कर चुके हैं।
सागर से जबलपुर नेशनल हाइवे के तीस किमी पर दाहिनी ओर वनक्षेत्र में बहने वाली गधेरी नदी के दोनों ओर आबचंद के शैलाश्रयों की श्रंखला है जिनमें पुरापाषाण काल से लेकर एतिहासिक काल अर्थात लगभग 33700 वर्ष से लेकर 2500 वर्ष पुराने समृद्ध शैलचित्र मिलते हैं। इनमें मुख्तः रेखाचित्रों से बनी ज्यामितीय संरचनाओं से लेकर हेबेटाइट, लाल गेरू व सफेद छुई जैसे खनिज रंगों से बनाए जीव जंतुओं जैसे हाथी, घोड़े, हिरण, पक्षियों आदि के दृश्य हैं। मानवीय आकृतियों के समूह नृत्यों, हथियारबंद घुड़सवार, एकसाथ चार शेर, वृक्ष पर बैठे पक्षी समूह के शैलचित्र दर्शनीय हैं व मानव के सांस्कृतिक उद्विकास की जिज्ञासाओं का समाधान करते हैं। दुर्भाग्य से यहां के कई अनमोल शैलाश्रय स्थानीय चरवाहों के गुफाओं में खाना बनाने व पिकनिक मनाने गये कुछ अज्ञानी लोगों के नाम लिखने की प्रृवतियों से नष्ट हो गये हैं अथवा कालिख के नीचे चले गये हैं। कलेक्टर श्री सिंह ने इस पर चिंता जाहिर करते हुए शैलचित्रों के संरक्षण हेतु कदम उठाने के लिए निर्देश संबंधित अधिकारियों कर्मचारियों को दिए हैं। पर्यटक इन स्थलों पर आसानी से पहुंचें व वहां से पर्याप्त जानकारी व समझ विकसित कर लौंटे इस हेतु शैलाश्रयों तक पर्याप्त साइनेज सहित पहुंच मार्ग विकसित करने की दिशा में भी पहल करने के लिए उन्होंने आवश्यक निर्देश दिए हैं।
इस अवसर पर सहायक संचालक जनसंपर्क श्रीमती सौम्या समैया, श्री मनोज नेमा, डॉ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय डॉक्टर मशकुर अली खान सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।
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