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लाखा बंजारा की विरासत को खा गया प्रशासन और शासन गूंगा बना है : भूपेंद्र गुप्ता ★ पूरे प्रदेश में चल रही है गलत बिजली बिलों की लूट



लाखा बंजारा की विरासत को खा गया प्रशासन और शासन गूंगा बना है : भूपेंद्र गुप्ता

★ पूरे प्रदेश में चल रही है गलत बिजली बिलों की लूट

सागर। कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेन्द्र गुप्ता ने एक अनौपचारिक चर्चा में सागर तालाब के वर्तमान स्वरूप पर दुख व्यक्त करते हुये इसे भीषण भ्रष्टाचार का नमूना बताया। 
गुप्ता ने तालाब की डी सिल्टिंग को ज्यों का त्यों बताते हुए कहा कि सैकड़ों करोड़ खर्च करने के बाद प्रशासन केवल पानी ही खाली कर पाया है ।भ्रष्ट प्रशासन ने तालाब के बीचों बीच सीवेज लाइन बिछाकर प्रशासन ने यह सिद्ध कर दिया है कि यह सरकार अंधे और गूंगों की है। 
पूरी दुनिया में जल संरचनाओं से सीवेज लाइन को काटा जाता है किंतु सागर में इसे तालाब से ही गुजार दिया गया है।एनजीटी एवं उच्च न्यायालय के आदेशों की खुली अवहेलना हो रही है निर्णयों की विद्रूपता पर पर्दा डालने के लिए बनाई गई कमेटियों की कोई भी रिपोर्ट अब तक सामने नहीं आई है भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं ने मिलकर लाखा बंजारा की ऐतिहासिक विरासत को बर्बाद कर दिया है।
 भूपेंद्र गुप्ता ने पूरे प्रदेश में ईमानदार बिजली उपभोक्ताओं की लूट का विषय उठाते हुए कहा कि बड़े हुए फर्जी बिलों के कारण ईमानदार उपभोक्ता का जीना मुश्किल हो गया है उन्होंने कहा सागर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यहां तो स्वयं भाजपा के स्थानीय विधायक ने इस लूट को पकड़ा है और बताया है कि 308027 यूनिट के बिल जिन उपभोक्ताओं को दिए गए थे,वे सुधारने के बाद 222666 यूनिट के ही रह गए। 17 लाख 70 हजार की ज्यादा वसूली उपभोक्ताओं से की जा रही थी। यह तो मामला खुद भाजपा के विधायक ने पकड़ा है लेकिन यह लूट पूरे प्रदेश में जारी है सरकार ने जानबूझकर शासकीय विद्युत उत्पादन इकाइयां बंद कर रखी हैं और निजी क्षेत्र की कंपनियों से अनाप-शनाप कीमत पर बिजली खरीदी जा रही है। सिंगाजी की तीसरी यूनिट तो चंद दिन भी नहीं चली परफारमेंस गारंटी टेस्ट भी नहीं दे सकी और आज 360 दिन हो गए हैं उसके बावजूद उसे फिर से नहीं चलाया जा सका है ।
अकेले सिंगाजी में लगभग दो हजार करोड़ का नुकसान हुआ है जिसकी भरपाई ईमानदार उपभोक्ताओं से की जा रही है और आज की परिस्थिति में सिंगाजी की चौथी इकाई भी बंद हो गई है। मध्य प्रदेश के ईमानदार उपभोक्ता को यह पता होना चाहिए कि बिजली कंपनियां 2000 मेगावाट से अधिक सस्ती बिजली सरेंडर कर रही हैं और चार गुनी कीमत पर मंहगी बिजली खरीदी जा रही है और इसकी कीमत ईमानदार उपभोक्ता दे रहा है। समय रहते अगर उपभोक्ता खड़ा नहीं हुआ तो उसकी जेब से हजारों करोड़ निकाल लिए जाएंगे।
 गुप्ता ने बिजली और पावर परचेसिंग आदेशों पर श्वेत पत्र जारी करने की मांग की।


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