कोरोना से कुछ राहत‌ के, सागर में साहित्यिक गतिविधिया फिर शुरु ,"श्यामलम्" द्वारा डॉ.राजेश दुबे की दो पुस्तकों का विमोचन

कोरोना से कुछ राहत‌ के, सागर में साहित्यिक गतिविधिया फिर शुरु ,"श्यामलम्" द्वारा डॉ.राजेश दुबे की दो पुस्तकों का विमोचन

सागर । कोरोना की भीषण त्रासदी से हम सब धीरे-धीरे तनाव और कष्ट से मुक्त हो रहे हैं ऐसे विकट समय में सागर में साहित्यिक गतिविधियों की फिर से शुरुआत होना सुखद अनुभूति दे रहा है। श्यामलम् संस्था के माध्यम से दो साहित्यिक पुस्तकों का विमोचन किया जाना साहित्य के लिए बड़ी उपलब्धि है। उक्त विचार सागर विधायक शैलेंद्र जैन ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए सीमित आमंत्रितों ‌की‌ उपस्थिति में श्यामलम् संस्था द्वारा डॉ.राजेश दुबे की काव्य कृति ‌"कविता दबे पांव आती है " और व्यंग्य संग्रह "बबूल ‌की छांव" के‌ विमोचन समारोह में सिविल लाइंस स्थित वरदान होटल में रविवार को आयोजित  गरिमामय विमोचन ‌कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए।  उन्होंने कहा कि सागर में साहित्यिक जागृति लाने और‌ नई प्रतिभाओं को सामने लाने का जो कार्य श्यामलम् संस्था द्वारा किया ‌जा रहा है वह प्रशंसनीय है।  
   ‌‌इस अवसर पर विशेष आमंत्रित अतिथि संभागायुक्त  मुकेश शुक्ला ने कहा कि मैं साहित्य का पाठक हूं, अध्येता ‌हूं। अच्छे सृजनकार को अच्छा पाठक मिलना बड़ी बात होती है। सागर में श्यामलम जैसी संस्था 
के कार्यक्रमों से पता चलता है की सागर में साहित्यकारों की समृद्ध परंपरा है जो आज भी साहित्यजनों का सम्मान कर रही है।
इस अवसर पर डॉ. राजेश दुबे ने अपनी रचना शीलता और लेखन के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि कविता और व्यंग्य मेरे जीवन के अनुभवों की पीड़ा और संवेदना का सुफल है जो पाठक समाज के सामने है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. सुरेश आचार्य ने कहा व्यंग्य की धार पैनी होती है। रचनाकार संसार की पीड़ा और मानव जगत की तमाम बैचेनियों का अनुभव करता है तभी वह अपने रचना संसार को समृद्ध कर पाता है।
सारस्वत अतिथि डॉ आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि डॉ राजेश दुबे के व्यंग्य संग्रह और कविता संग्रह में उन्होंने जीवन की प्रशासनिक काल में जिस पीड़ा - वेदना को देखा व अनुभूत किया वह उनकी रचनाओं का आधार बना है।
इस‌ अवसर पर विमोचित काव्य-संग्रह "कविता दबे पांव आती है" और व्यंग्य-संग्रह "बबूल ‌की छांव" पर क्रमशः प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ.लक्ष्मी पाण्डेय एवं वरिष्ठ लेखिका डॉ.शरद सिंह ने अपने उच्च स्तरीय समीक्षात्मक उद्बोधन से सभाकक्ष को प्रभावित किया।
कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन व
सरस्वती पूजन किया। सुप्रसिद्ध गायक शिवरतन यादव ने सरस्वती वंदना की।श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र, कपिल बैसाखिया, राकेश दुबे,हरी शुक्ला,रमन दुबे,आर के तिवारी, डॉ.चंचला दवे,देवकी भट्ट दीपा, रूपेश दुबे ने अतिथि स्वागत किया।इस अवसर पर लेखक डॉ.राजेश दुबे का अभिनंदन भी किया गया। रमाकांत ‌शास्त्री ने उनके जीवन परिचय का वाचन किया।  साहित्यकार डॉ.महेश तिवारी ने कुशल संचालन किया तथा श्यामलम् के सह-सचिव संतोष पाठक ने आभार माना।
       इस अवसर आशीष ज्योतिषी,पप्पू तिवारी,
संतोष श्रीवास्तव, डॉ.अरविंद गोस्वामी, प्रदीप पाण्डेय,वीरेंद्र प्रधान,सुनीला सराफ,पंकज शर्मा, डॉ.
विनोद तिवारी,गोविंद सरवैया,पुष्पेंद्र दुबे, कासिम भाई,लालचंद यादव, रीतेश दुबे एवं दुबे परिवार के सदस्यों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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