MP: महापौर/अध्यक्ष पद के चुनाव सीधे जनता से नही होंगे, अब पार्षद चुनेंगे : नगरीय प्रशासन मन्त्री भूपेंद्र सिंह

MP: महापौर/अध्यक्ष पद के चुनाव सीधे जनता से नही होंगे, अब पार्षद चुनेंगे : नगरीय प्रशासन मन्त्री भूपेंद्र सिंह

★HC के आरक्षण के निर्णय पर अभी कुछ तय नही 


साग़र। (विंनोद आर्य )।  
मध्य प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव कोरोना संक्रमण और ग्वालियर हाईकोर्ट के आरक्षण के फैसले के चलते फिलहाल बढ़ गए है। इसी बीच शिवराज सरकार ने महापौर / अध्यक्षों के पद का चुनाव  सीधे जनता से कराने की बजाय पार्षदों से कराने का निर्णय लिया है। शासन ने  सीधे चुनाव कराने सम्बन्धी विधेयक वापिस ले लिया है। यह जानकारी नगरीय प्रशासन मन्त्री भूपेंद्र सिंह ने आज साग़र में मीडिया से अनोपचारिक चर्चा में दी। कांग्रेस की  कमलनाथ सरकार ने  जनता की बजाय पार्षद के जरिये च्युनाव कराना तय किया था। सरकार बदलने के बाद भाजपा सीधे च्युनाव कराने के पक्ष में थी। लेकिन अब भाजपा सरकार भी  पार्षदों में से ही महापौर और नगर पालिका/ पंचायतों के अध्यक्षो चुनाव कराएगी। अब इनके दावेदारों को वार्ड पार्षद का चुनाव जीतना अनिवार्य रहेगा। 


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मन्त्री भूपेंद्र सिंह के मुताबिक  मप्र मेंं आगामी नगरीय निकाय चुनाव में महापौर का चुनाव सीधे जनता द्वारा न होकर चुने हुए पार्षदों द्वारा होगा. इस आशय का निर्णय पिछले विधानसभा सत्र के दौरान ही शासन द्वारा लिया जा चुका है.
अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव होंगे। पार्षद जनता के बीच से चुना जाएगा।

यहां बता दे  पिछले डेढ़ साल से एमपी में नगरीय निकाय चुनाव अटके है। मौजूदा कोरोना काल को देखते हुए सम्भावना अभी कम है। इस सम्बंध में नगरीय प्रशासन मन्त्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि कोरोना नियंत्रण पहले है । उसके बाद निर्वाचन प्रक्रिया शुरू होगी। . भाजपा सरकार ने किसी भी निकाय में आवादी के अनुपात के हिसाब से पद आरक्षित किए थे. अभी तक सरकार ने यह तय नहीं किया है कि हाईकोर्ट का निर्णय ही स्वीकार किया जायेगा या उस निर्णय के खिलाफ अपील करेगेंं. इस संबंध में राज्य सरकार शीघ्र ही फैसला करेगी. सरकार की पहली प्राथमिकता कोरोना की तीसरी लहर से निपटना है. इसके बाद ही निकाय चुनाव के बारे में फैसला लेगें.

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जाने की बात कही थी। 

यहां बता दे इसी साल  मार्च के महीने में 
 हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने  महापौर और अध्यक्षों के आरक्षण पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद अब शिवराज सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। इसके लिए शिवराज सरकार जल्दी विशेष अनुमति याचिका दायर करेगी।
14 मार्च 21 को साग़र में पत्रकारों से चर्चा में  नगरीय प्रशासन और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया था  कि  इसके लिए प्रशासनिक स्वीकृति दी है। अब हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ के फैसले को शिवराज सरकार  सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। विशेष अनुमति याचिका SLP दायर करेगी।

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