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घायल अजगर को किया बेहोश, फिर डेढ़ घण्टे में किया ऑपरेशन

घायल अजगर को किया बेहोश, फिर डेढ़ घण्टे में किया ऑपरेशन

बैतूल। आपने अब तक किसी इंसान की सर्जरी होते देखी होगी। लेकिन बैतूल के  घोड़ाडोंगरी पशु चिकित्सालय में एक 7 फुट के भुजंग की सर्जरी की गई। जिसका पेट एक दुर्घटना में फट गया था। इस अजगर को बाकायदा बेहोश किया गया और फिर डेढ़ घंटे चले ऑपरेशन के बाद उसकी सफल सर्जरी कर फिलहाल ऑब्जर्वेशन में रखा गया है।
दरअसल 29 जून 2021 की शाम को बैतूल जिले के सारनी नगर निवासी पर्यावरणविद और सांपों के संरक्षण का कार्य कर रहे आदिल खान ने बताया कि उन्हें शाम को सूचना मिली कि सारनी के पास स्थित मोरडोंगरी गांव में खेत की जुताई करते समय एक अजगर का पेट कट गया है और उसकी आंतें बाहर आ गई है। जिसके बाद आदिल के माध्यम से सारनी रेंजर अमित साहू को इसकी सूचना दी गई, जिस पर रेंजर अमित साहू ने तत्परता दिखाते हुए वन विभाग से वन रक्षक करण सिंह मर्सकोले को आदिल के पास भेजा। फिर अपने दो सहयोगी अपूर्व, अर्पित सिंह और वन विभाग के आरक्षक के साथ आदिल मोरडोंगरी गांव पहुंचे और वहां से अजगर का रेस्क्यू कर उसे सारनी लाए।
इसके बाद क्षेत्र की वेटरनरी डॉक्टर सीमा ठाकुर को आदिल ने इस संबंध में जानकारी दी और एसडीओ फॉरेस्ट सारनी विजय कुमार मौर्य को भी जानकारी दी गई। वन विभाग ने वाहन उपलब्ध कराकर घायल अजगर को घोड़ाडोंगरी स्थित पशु चिकित्सालय पहुंचाया। रात को लगभग 9.30 बजे घोड़ाडोंगरी पशु चिकित्सालय में 7 फीट लंबे अजगर का वेटरनरी डॉक्टर सीमा ठाकुर, डिस्पेंसरी अटेंडेड दशरथ गीत ने सांप का ऑपरेशन शुरू किया, जो रात को 11 बजे तक चला।
आदिल ने बताया कि लगभग डेढ़ घंटे तक वे अजगर को पकड़कर खड़े रहे और वनरक्षक करन सिंह मर्सकोले वह एक अन्य व्यक्ति भी अजगर को पकड़े हुए थे क्योंकि अजगर बहुत ताकतवर होता है इसलिए उसे संभालने के लिए तीन लोग लगे। ऑपरेशन शुरू करते समय पहले जहां चोट लगी थी वहां पर एनेस्थीसिया लगाया गया इसके बाद सांप का आंतों का जो हिस्सा बाहर आ गया था उसकी सफाई की गई और उसे वापस सांप के शरीर में डाला गया।
सांप बार-बार गहरी सांसे ले रहा था जिस वजह से कभी-कभी अंदर डाला हिस्सा बाहर आ रहा था, धीमे धीमे कर के सांप को अंदर और बाहर दोनों तरफ टांके लगाए गए और फिर उसकी सफाई करके ड्रेसिंग की गई।
जिसके बाद सांप को वन विभाग, सर्प विशेषज्ञ आदिल खान और वेटरनरी डॉक्टर सीमा ठाकुर की निगरानी में रखा गया है। सांप के स्वस्थ होने पर उसे सतपुड़ा के घने जंगलों में छोड़ दिया जाएगा।
पर्यावरणविद आदिल खान ने बताया कि वन विभाग और वेटरनरी विभाग से सांप के इलाज के लिए बहुत सहयोग मिला और तत्परता के साथ सब कुछ हुआ जिससे सांप की जान बच गई, यह गर्व की बात है कि सारनी जैसे छोटे शहर में भी अब वन्य प्राणियों के लिए बेहतर उपचार संभव हैं।
वहीं घोड़ाडोंगरी की पशु चिकित्सक सीमा ठाकुर ने बताया कि सात फीट लंबे अजगर की आंतें बाहर आ गई थी जिसे अंदर करके दो लेयर में लगभग बारह टांके लगाए गए। अजगर को अभी ऑब्जर्वेशन में रखा है स्वस्थ होने पर जंगल में छोड़ दिया जाएगा।
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