SAGAR : 104 वर्षीय वृद्धा ने हराया कोरोना को
सागर । जब जीने की ललक, जज्बा और स्वयं पर विश्वास हो तो 104 वर्ष की उम्र में भी कोरोना जैसी बीमारी को भी हराया जा सकता है। यह साबित कर दिखाया सागर के भाग्योदय तीर्थ अस्पताल में भर्ती एक महिला ने।
कोरोना पीड़िता बीना निवासी श्रीमती सुंदर बाई जैन को 10 मई को भर्ती किया गया था। 104 वर्ष की उम्र के कारण शुरुआत में प्रतीत हुआ कि उनकी सेहत में जल्द सुधार होना थोड़ा मुश्किल है। परंतु, बुलंद इरादों के आगे बड़ी से बड़ी मुसीबत नतमस्तक हो जाती है। हौसले देखिए, जब श्रीमती सुंदर बाई से कहा गया कि उन्हें कोरोना से घबराना नहीं है तो उन्होंने उत्तर दिया कि, 'कोरोना मुझसे ज्यादा मजबूत नहीं है। आप चिंता न करें, हम इस बीमारी को भी जीत लेंगे...'।
बता दें कि, क़रीब 10 दिन के इलाज के बाद ही श्रीमती सुंदर बाई पूर्णतः स्वस्थ हो गईं और 19 मई को उन्होंने अपने जीवन के 104 वर्ष (आधार कार्ड के अनुसार ) पूरे कर लिए। उन्होंने कहा कि, कोरोना तन की बीमारी नहीं है मन की बीमारी है। कोरोना का नाम सुनकर ही लोग डर जाते हैं। इसमें डरने की बात नहीं, इसमें लड़ने का काम है। ताकि लोग इस बीमारी से लड़कर उसे जीत सकें।
सागर । जब जीने की ललक, जज्बा और स्वयं पर विश्वास हो तो 104 वर्ष की उम्र में भी कोरोना जैसी बीमारी को भी हराया जा सकता है। यह साबित कर दिखाया सागर के भाग्योदय तीर्थ अस्पताल में भर्ती एक महिला ने।
कोरोना पीड़िता बीना निवासी श्रीमती सुंदर बाई जैन को 10 मई को भर्ती किया गया था। 104 वर्ष की उम्र के कारण शुरुआत में प्रतीत हुआ कि उनकी सेहत में जल्द सुधार होना थोड़ा मुश्किल है। परंतु, बुलंद इरादों के आगे बड़ी से बड़ी मुसीबत नतमस्तक हो जाती है। हौसले देखिए, जब श्रीमती सुंदर बाई से कहा गया कि उन्हें कोरोना से घबराना नहीं है तो उन्होंने उत्तर दिया कि, 'कोरोना मुझसे ज्यादा मजबूत नहीं है। आप चिंता न करें, हम इस बीमारी को भी जीत लेंगे...'।
बता दें कि, क़रीब 10 दिन के इलाज के बाद ही श्रीमती सुंदर बाई पूर्णतः स्वस्थ हो गईं और 19 मई को उन्होंने अपने जीवन के 104 वर्ष (आधार कार्ड के अनुसार ) पूरे कर लिए। उन्होंने कहा कि, कोरोना तन की बीमारी नहीं है मन की बीमारी है। कोरोना का नाम सुनकर ही लोग डर जाते हैं। इसमें डरने की बात नहीं, इसमें लड़ने का काम है। ताकि लोग इस बीमारी से लड़कर उसे जीत सकें।
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डॉक्टर सौरभ जैन और उनकी टीम ने निभाया पूरा साथ
अस्पताल के कोविड वार्ड प्रभारी एमडी पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ सौरभ जैन के नेतृत्व में श्रीमती सुंदर बाई का उपचार किया गया। डॉक्टर जैन की टीम और पूरे नर्सिंग स्टाफ ने भी उनकी भलीभाँति देखरेख की। इसके साथ ही सुंदर बाई ने भी इलाज के दौरान सभी को सहयोग दिया। डॉक्टर जैन ने बताया कि इतनी वृद्ध महिला में इस प्रकार का उत्साह बहुत कम देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि, हम सभी को ऐसे व्यक्तित्व से सीख मिलती है कि, मन में विश्वास हो तो व्यक्ति हर जंग जीत सकता है।
डॉक्टर जैन ने बताया कि, गुरुवार सुबह श्रीमती सुंदर बाई ने कहा कि, उन्हें केला खाना है फिर घर जाएँगे। उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर, दोपहर में उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया और उनके परिजन उन्हें बीना ले गए।
वर्तमान में भाग्योदय तीर्थ अस्पताल में 80 बेड कोविड-19 मरीजों के लिए हैं, जिनमें से 75 मरीज भर्ती हैं।
अस्पताल के कोविड वार्ड प्रभारी एमडी पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ सौरभ जैन के नेतृत्व में श्रीमती सुंदर बाई का उपचार किया गया। डॉक्टर जैन की टीम और पूरे नर्सिंग स्टाफ ने भी उनकी भलीभाँति देखरेख की। इसके साथ ही सुंदर बाई ने भी इलाज के दौरान सभी को सहयोग दिया। डॉक्टर जैन ने बताया कि इतनी वृद्ध महिला में इस प्रकार का उत्साह बहुत कम देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि, हम सभी को ऐसे व्यक्तित्व से सीख मिलती है कि, मन में विश्वास हो तो व्यक्ति हर जंग जीत सकता है।
डॉक्टर जैन ने बताया कि, गुरुवार सुबह श्रीमती सुंदर बाई ने कहा कि, उन्हें केला खाना है फिर घर जाएँगे। उनका स्वास्थ्य परीक्षण कर, दोपहर में उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया और उनके परिजन उन्हें बीना ले गए।
वर्तमान में भाग्योदय तीर्थ अस्पताल में 80 बेड कोविड-19 मरीजों के लिए हैं, जिनमें से 75 मरीज भर्ती हैं।
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