कोरोना काल मे स्कूल बंद, स्कूली बच्चों के बौद्धिक विकास पर पड़ा असर , मध्यप्रदेश शिक्षा बचाओ मंच यात्रा पहुची साग़र

कोरोना काल मे स्कूल बंद, स्कूली बच्चों के बौद्धिक विकास पर पड़ा असर , मध्यप्रदेश शिक्षा बचाओ मंच यात्रा पहुची साग़र


दुनिया, देश, समाज के भविष्य, 'बच्चों का भविष्य खतरे में
क्या स्कूल बंदी ही कोरोना का इलाज है ?

साग़र। कोरोना काल मे स्कूली बच्चों खासतौर से आठवीं तक के बच्चों की सपूर्ण शैक्षणिक विकास पर विपरीत असर पड़ा है।   इनके असर और स्कूलों को सुरक्षित तरीके से शुरू किए जाने पक्ष में मध्यप्रदेश शिक्षा बचाओ मंच के माध्यम से  जागरूकता यात्रा निकाली जा रही है यह यात्रा आज साग़र पहुची । 
इसके प्रमुख मोहन लाल नागवानी और जुगल किशोर मिश्रा ने आज मीडिया से चर्चा में बताया कि विगत 1 वर्ष से करोना काल के चलते हमारा शिक्षा का ढांचा जिस बुरी तरह से ध्वस्त हुआ है उसके परिणाम हमें भविष्य में देखने को मिलेंगे।
जहां एक और बच्चों का बचपन, शिक्षा, अनुशासन, निरंतरता, सामाजिकता, समूह भावना तथा सामाजिक मूल्यों का पतन हुआ है वही दूसरी ओर समाज एक अदृश्य भय से जकड़ता जा रहा है।
इस दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब शोषित एवं बंचित समूह के बचे हुए हैं। जिनके अभिभावक उन्हें चाह कर भी नहीं करा पा रहे और ना ही बच्चे चाह कर भी पढ़ पा रहे। एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश के लगभग 70 लाख बचे जोग्रामीण क्षेत्र, शहरी क्षेत्र के गरीब बजे तथा अशासकीय स्कूलों में पढ़ रहे गरीबी रेखा के नीचे की श्रेणी के बच्चे मुख्य हैं। सर्वाधिक प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे है जहा संचार का आधारभूत ढांचा नहीं है एवं गरीबी है।
इसका मुख्य कारण विद्यालयों का बंद होना तथा संचार साधनों जैसे टीवी मोबाइल एवं इंटरनेट के भरोसे पढ़ाई लिखाई की व्यवस्था का होना है। फलस्वरुप बच्चे विद्यालय के माहौल से वंचित हो गए हैं जहां उनका मानसिक शारीरिक एवं बौद्धिक विकास सुनिश्चित होता था। इस दौरान बच्चों का एक नया वर्ग उभर कर सामने आया है जो इंटरनेट के अंधे गलियारों एवं भूल भुलैया में नई दुनिया को पाकर कई मानसिक विकृतियों का शिकार हो रहा है तथा मार्गदर्शन के अभाव में सही गलत में अंतर नहीं कर पा रहा है। क्या स्कूल बंदी ही इस दौर का विकल्प है? जहां पूरी दुनिया के हर क्रियाकलाप एक नियम कानून के दायरे में बंधकर संचालित हो रहे हैं।  हमारे नौनिहालों को शाला का कोई विकल्प शाला के ही रूप में विभिन्न स्वास्थ्य मानकों के लागू करते हुए संभव नहीं है?
इसका एक सरल हल संभव है की स्कूल बंदी के निर्णय राज्य स्तर पर न लेकर जिला कलेक्टरो के उपर छोड़ दिए जाऐ। वे अपने जिले के कोरोना मुक्त क्षेत्रों में स्वविवेक से शालाएं संचालित करने का निर्णय ले जबकी परीक्षा संबंधी निर्णय राज्य एवं केंद्र सरकारों द्वारा लिए जावें।
स्वास्थ्य एवं शिक्षा समाज की मूलभूत आवश्यकता है अतः शिक्षा को उचित वरीयता देते हुए स्कूल स्टाफ का भी प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण हो एवं स्कूल स्टाफ का नियमित कोरोना टेस्ट किया जावे ताकि बच्चे भय मुक्त वातावरण में शिक्षा प्राप्त कर सके। विद्यालयों को सावधानियों के संबंध में नियमित प्रशिक्षण दिया जावें। आर.टी.ई के अन्तर्गत अध्ययनरत बजों की शिक्षा दीक्षा पर विशेष व्यवस्थाएं कर ध्यान दिया जावे एवं प्रगति पर सतत नजर रखी जावे।
उन्होंने बताया कि  शिक्षा बचाओ यात्रा का मूल उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों से बातचीत एवं मंथन का ऐसी संभावनाओं को तलाशना है जहां हम बजों का
बचपन वापस लौट आ सके और उनकी शैक्षणिक हत्या होने से रोक पाए।

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अमरकंटक से निकली यात्रा

मध्य प्रदेश शिक्षा बचाओ मंच द्वारा सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं शिक्षाविदों के साथ प्रदेश की जीवन रेखा मां नर्मदा
के उद्गम स्थल अमरकंटक से 3 अप्रैल आरंभ होकर प्रदेश के लगभग 34 जिलों से होती हुई प्रदेश के नीति निर्धारक नगरी भोपाल से गुजरेगी। यह यात्रा अमरकंटक से अनूपपुर, डिंडोरी, शहपुरा, उमरिया, शहडोल, ब्यौवहारी, सीधी, रीवा, सतना, पन्ना, दमोह,सागर, टीकमगढ़, अशोकनगर,गुना, नरसिंह गढ़, विदिशा, भोपाल, रायसेन, होशंगाबाद, नरसिंहपुर, मंडला, कुण्डम, दशरमन होते हुए कटनी में समाप्त होगी।


सोसायटी ऑफ ऐजुकेशन वेलफेयर एसोशिएशन ने किया स्वागत और समर्थन 

 निजी विधालय संचालकों के  संगठन 
सोसायटी ऑफ ऐजुकेशन वेलफेयर एसोशिएशन ने किया स्वागत और समर्थन किया। इस मौके पर जिलाध्यक्ष 
धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि यह यात्रा एक विचार है।उद्देश्य जनजागरण करना है
आनलाईन पढ़ाई में बच्चों का  मानसिक बौद्धिक विकास नही हो पा रहा है। 
आल लाईन में शिक्षा है लेकिन अनुशासन नही है।  शिक्षा संस्कार व अनुशाषन के वातावरण से दूर हो गए हैं उनका शारीरिक मानसिक व बौद्धिक विकास रुक गया है उसने समाज के सामन विकट समस्या पैदा कर दी है । इस मौके पर
सेवा संगठन के सभी पदाधिकारी पंडित सुरेन्द्र दुबे  संरक्षक, धर्मेन्द्र शर्मा
जिला अध्ययक्ष, उपेन्द्र गुप्ता महासचिव  रामकृष्ण शर्मा ,कोषाध्ययक्ष, जुगल किशोर उपाध्याय उपाध्यक्ष, नीरज सिंह ठाकुर ,सह सचिव पंडित आदित्य उपाध्याय जिला प्रवक्ता ,नरेश विश्वकर्मा
,सदस्य ,महेन्द्र भाई जी ,सदस्य, अजय चौहान सदस्य , मनोज जैन सदस्य,
अल्पना जैन ,सदस्य उपस्थित रहे । यात्रा का बहेरिया में  स्वामी विवेकानंद विधालय जुपिटर पब्लिक स्कूल
शैलेष मेमोरियल स्कूल, सॉई वरदान स्कूल , लंदन किडस स्कूल गुरुकुल स्कूल पुरानी मकरोनिया सहित विभिन्न स्कूलों ने भव्य स्वागत किया आगवानी की ।

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