सैल्यूट है मुक्तिधाम के योद्धाओ...
★ 42 डिग्री तापमान, झुलसाने वाली गर्मी में पीपीई किट पहनकर अंतिम संस्कार में जुटे निगम के कर्मचारी
★ मुर्दाघर से लेकर मुक्तिधाम, कब्रिस्तान में धार्मिक रीति-रिवाज से करा रहे अंतिम संस्कार
@चैतन्य सोनी
साग़र। तपती दोपहरी, सिर पर चिलचिलाता सूरज, श्मशान में धधकती चिताओं से लपलपाती लपटें, इधर पीपीई किट के अंदर पसीने से तरबतर गश खाने को आतुर काया...फिर भी अनजाने, बेगाने कोरोना मृतकों के शवों को हाथों से उठाकर कभी चिताओं में जलाना, कभी कब्रिस्तान में सुपुर्दे खाक करना तो कभी केफीन में पैक कराकर दफनाना... बीते एक साल से यही उनकी दिनचर्या है।
बीते दो महीनों में करीब 4 सैकड़ा लोगों को मुक्ति का मार्ग दिखा चुके नगर निगम के इन कोरोना योद्धाओं को हर कोई सैल्यूट कर रहा है। दरअसल सागर नगर निगम के अधीन नरयावली नाका मुक्तिधाम, कब्रिस्तान और क्रिश्चियन कब्रिस्तान में कोरोना मृतकों के उनके धार्मिक रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार, क्रियाकर्म कराया जा रहा है। बीएमसी और निगम से मिली जानकारी अनुसार बीते दो महीनों में ही कोरोना पॉजिटिव, कोरोना संदिग्धों में कई सैकड़ों का अंतिम संस्कार कराया जा चुका है। इसमें आये दिन दो दर्जन के आसपास अंतिम संस्कार हो रहे हैं।
ऐसे दौर में जब किसी कोरोना मृतक के परिजन अपने चहेते की मृत काया को हाथ लगाने से भी डरते हैं, पास नहीं जाते, ऐसे दौर में ये स्वीपर कोरोना योद्धा की तरह अस्पताल के पोस्ट मार्टम हाउस से उठाकर वाहन में रखकर मुक्तिधाम, कब्रिस्तान पहुंचाते हैं। यहां तपती दोपहरी में पीपीई किट पहनकर योद्धाओं की दूसरी टोली उनके लिए चिताओं को सजाती है, विधि विधान से अन्तिमसंस्कार करती है। जबकि परिजन दूर छाया में खड़े होकर डर, भय के बीच कातर भाव से बस प्रणाम कर इतिश्री कर लेते हैं।
जाहिर है मुर्दाघर से मुक्तिधाम तक इन कोरोना योद्धाओं के काम, समर्पण को नकारा नहीं जा सकता। हम सभी को इनकी हौसला अफजाई करना चाहिए, इन्हें सहयोग व सपोर्ट करना चाहिए।
हमारी तरफ से इनके काम, साहस, जज्बे और समर्पण को सलाम...
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