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MP : नगर निकाय चुनाव: HC के आरक्षण फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी सरकार : मन्त्री भूपेंद्र सिंह ★ नगरीय निकाय चुनाव फिर बढ़ने के आसार

MP : नगर निकाय चुनाव: HC के आरक्षण फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी सरकार : मन्त्री  भूपेंद्र सिंह 
★  नगरीय निकाय चुनाव फिर बढ़ने के आसार
साग़र। मध्य प्रदेश के नगरीय निकाय चुनाव टलने के आसार बढ़ गए है। पिछले एक साल से चुनाव टल रहे है। शिवराज सरकार हाल ही में इनकी घोषणा करने वाली ही थी। लेकिन चुनाव के पहले हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने  महापौर और अध्यक्षों के आरक्षण पर रोक लगा दी है। कल शनिवार को कोर्ट ने आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है । जिसके बाद अब शिवराज सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। इसके लिए शिवराज सरकार जल्दी विशेष अनुमति याचिका दायर करेगी।
नगरीय प्रशासन और आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने चर्चा में बताया कि इसके लिए प्रशासनिक स्वीकृति दी है। अब हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ के फैसले को शिवराज सरकार  सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी। इसके लिए  विशेष अनुमति याचिका SLP दायर करेगी। मन्त्री श्री सिंह  ने कहा कि हालांकि अभी आदेश की कॉपी नही मिली है । परन्तु सरकार सुप्रीम कोर्ट जाईगी। 

यदि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सही ठहराया तो बदलेगी आरक्षण प्रक्रिया 

ग्वालियर खंडपीठ के निर्णय को यदि सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में  सही ठहराते हैं तो एक बार फिर से महापौर और अध्यक्ष के लिए आरक्षण प्रक्रिया  नए सिरे से शुरू की जाएगी।
जानकारी के मुताबिक निगम चुनावो के एक्ट में आबादी के हिसाब से आरक्षण की प्रक्रिया हो रही है। वर्तमान में यही आधार बना है। जबकि खंडपीठ ने रोटेशन के जरिये आरक्षण प्रक्रिया की बात कही है। 

सूत्रों की माने तो शिवराज सरकार का मानना है कि अध्यक्ष/  महापौर के लिए आरक्षण 1994 के नियम के मुताबिक किया गया है इसके लिए पिछले 10 दिसंबर को नोटिफिकेशन जारी किया गया था जिसमें किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं बरती गई थी ।

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फिर बढ़ेंगे चुनाव नगरीय निकायों के
 
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि यदि सरकार सुप्रीम कोर्ट में जाईगी या हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच के आदेश को मानती है तो दोनो हालातो में समय लगेगा। यानि चुनावो का टलना तय है। नगरीय प्रशासन मन्त्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि एक दो दिन में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। 
उधर एमपी में  वही बढ़ता कोरोना संक्रमण और स्कूली परीक्षाओं  के कारण भी नगरीय निकायों के चुनाव कराना आसान नही है। ऐसे में गवालियर हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश से मामला पूरा उलझ गया है। 
यहां बता दे मध्यप्रदेश निर्वाचन आयोग एमपी में नगरीय निकाय और पंचायतों के चुनावों को सम्पन्न कराने तैयारिया कर चुका है।  एक अन्य याचिका के चलते चुनाव  कराने के आदेश भी है। इसके चलते पिछले दिनों राज्य निर्वाचन आयोग ने कहा था कि मार्च में चुनाव की तारीख की घोषणा होगी। नगरीय निकाय या पंचायती राज किसी एक का चुनाव होगा। फिलहाल शिवराज सरकार के सामने  अदालतों के फैसलों से एक नया संकट पैदा हो गया। 

यह था ग्वालियर हाईकोर्ट की बेंच का आदेश

हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने प्रस्तावित स्थानीय निकाय के चुनाव के लिए घोषित की गई आरक्षण प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। हाई कोर्ट का कहना है कि सरकार यदि स्थानीय निकाय के चुनाव कराना चाहती है तो अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित नगर निगम महापौर नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष के लिए रोटेशन के आधार पर आरक्षण प्रक्रिया का दोबारा नोटिफिकेशन करके ही चुनाव करा सकती है।

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